ऊपर लटकी Electrical Wires, नीचे से गुजर रहे अधिकारी-कर्मचारी
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शिमला। भले ही प्रदेश सरकार स्थिति बहाल होने की बात कर रही हो, लेकिन सच्चाई यह है कि सचिवालय के नज़दीक टूटी हुई बिजली की तारें किसी को नज़र नहीं आतीं। बर्फ़बारी के बाद पांच दिन तक तारें सड़क के बीचोंबीच लटकती रहीं और लाल-नीली बत्ती लगी गाड़ियां यहां से गुज़रती रहीं। रात के समय घुप अंधेरे में गुजरने वाले लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन प्रशासन को यह नज़र नहीं आ रहा है।
- शिमला में हालात सामान्य होने के दावों की खुली पोल
हैरानी की बात है कि प्रदेश सरकार, बिजली बोर्ड युद्धस्तर पर काम करने का दावा तो कर रहा है, लेकिन हालात ऐसे हैं कि बर्फबारी से गिरे खंभों को बदलने के लिए लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है। आलम यह है कि कोई भी अधिकारी फ़ोन पर उपलब्ध होने से कतरा रहा है।
माल रोड और सीएम के घर से सचिवालय तक जाने वाली सड़क बिलकुल साफ़ कर दी गई है, जबकि संजौली से अस्पताल जाने वाली सड़क हादसों को न्यौता दे रही है। आम आदमी का सवाल यह है कि बर्फ तो सारे शिमला में एक सी गिरी थी, लेकिन ये आफत के फाहे सिर्फ आम आदमी के हिस्से में क्यों आ रहे हैं। आईजीएमसी के बाहर जाम की स्थिति बन रही है, लेकिन साल भर बर्फ़बारी से निपटने के लिए बैठक करने वाला प्रशासन आज कहीं भी नज़र नहीं आ रहा है। पुलिस के जवानों के सहारे थोड़ी बहुत व्यवस्था तो चल रही है, लेकिन हालात दयनीय है। स्थानीय निवासी रामकृष्ण सूद का कहना है कि प्रदेश की राजधानी में पांच दिन से बिजली नहीं है। सरकार की नाक के नीचे यदि यह हाल है, तो ग्रामीण इलाकों का अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है।
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