-
Advertisement
सुधीर का आरोप- JaiRam Govt की नाकामी से कई विकास योजनाएं अधर में
Last Updated on March 7, 2020 by Deepak
धर्मशाला। पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा ने जयराम सरकार के बजट को दिशाहीन व दशाहीन बताया है। मीडिया से बातचूत केदौरान उन्होंने कई ऐसे मुद्दों को साझा किया, जिससे प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तुत किये गए आंकड़ों को लेकर सवालिया निशान खड़े हो गए। उन्होंने कहा कि जो राशि एडीबी प्रोजेक्ट द्वारा प्रदेश सरकार को विकास कार्यों के लिए दी गई थी, उसे ना तो वह खर्च कर पाई है ना ही उनके साथ किए गए एमओयू का रिन्यूअल किया गया है। जिस कारण वह राशि अब लैप्स हो चुकी है । सुधीर ने इस बजट को उधार का बजट बताया। उन्होंने कहा कि शिमला में विश्व बैंक के कहने पर पूर्व सरकार द्वारा पीने के पानी और सीरेज के लिए बनायी कंपनी SJPNLपर कोई कार्य न होने के चलते विश्व बैंक ने कड़ा संज्ञान लिया है।
यह भी पढ़ें: न्याय व्यवस्था में बदलाव को लेकर बड़ी बात कह गए Anurag Thakur
उसके मद्देनजर देश को 900 करोड़ की परियोजनाओं का नुकसान हो सकता है ADB बैंक के अंतर्गत आई हुई योजनाओं पर समय पर कार्य न कर पाने के कारण लगभग 1900 करोड़ की अतिरिक्त धनराशि पर MEA (ministry of economic affairs)ने रोक लगा दी है, जिससे प्रदेश को भारी नुकसान पहुँचा है। सुधीर ने कहा कि इसी प्रकार जुलाई 2016 में विश्व बैंक द्वारा प्रदेश को दिए गए 1100 करोड़ रुपये के हॉर्टीकल्चर डेवेल्पमेंट प्रोजेक्ट काम न हो पाने के कारण विश्व बैंक ने कड़ा संज्ञान लिया है। इस परियोजना से प्रदेश के डेढ़ लाख बागबानों को लाभ मिलना था। जिसमें 33 प्रतिशत महिलाएं हैं, जो इनसे वंचित हो गए है। समय पर परियोजनाओं को कार्यान्वित न कर पाने के कारण हिमाचल को नॉन परफोर्मिंग स्टेट की कैटेगरी में डाला जा सकता है, जिसका प्रदेश को भारी नुकसान होगा । स्पोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा पूर्व कांग्रेस सरकार के समय सकोह में बनने वाले खिलाड़ियों के लिए होस्टल निर्माण हेतु 28 करोड़ की धनराशि प्रदेश को मिली थी, जिस पर वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा आज तक एक रुपया भी खर्च नहीं किया गया।
पूर्व मंत्री ने कांगड़ा हवाई अड्डे के विस्तारीकरण पर भी प्रदेश सरकार को घेरते हुए कहा कि प्रदेश के सीएम धरातल पर यह स्पष्ट करें कि कब लोगों को मुआवजे की प्रक्रिया को शुरू करेंगे व कितना क्षेत्र इससे प्रभावित होगा इसकी स्थिति को स्पष्ट करें। उन्होंने स्मार्ट सिटी पर प्रदेश सरकार द्वारा दिये गए 100 करोड़ रुपए पर सरकार को स्थिति स्पष्ट करने को कहा कि यह पूर्व में प्रदेश सरकार द्वारा दिये गए पैसे हैं या प्रदेश में सीएम और 100 करोड़ स्मार्ट सिटी के लिए दे रहे हैं । पूर्व मंत्री ने यह भी बताया कि ब्रिक्स के अंतर्गत लगभग 3200 करोड़ के प्रोपजल पूर्व सरकार द्वारा भेजे गए थे जिसमें ग्रामीण पेयजल योजनाएं प्रस्तावित थी जिसे 2016 में शुरू किया गया था, प्रथम चरण में इसमें 700 करोड़ को मंजूरी मिली थी जिसे अब रोक दिया गया है । उन्होंने कहा कि शीघ्र ही वह शीर्ष ने ताओं से चर्चा करके प्रदेश सरकार की गलत नीतियों बारे शीघ्र ही एक जनआंदोलन करेंगे।