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सुख सरकार को सीधा अल्टीमेटम, नाया स्कूल में शिक्षक भेजो वरना आंदोलन होगा
Last Updated on September 8, 2023 by sintu kumar
नाहन। कांग्रेस सरकार जब सत्ता में आई तो बीजेपी ( BJP) के कार्यकाल में खुले बहुत सारे स्कूलों को बंद कर दिया। उसके पीछे तर्क ये दिया गया कि इन स्कूलों में मूल सुविधाएं नहीं थी इसलिए बंद कर लिए। लेकिन जो स्कूल वर्षों पहले खुले हैं और जहां पर दुर्गम इलाकों के बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं वहां पर स्टाफ का पूरा ना होना एक बड़ा सवाल है। व्यवस्था परिवर्तन का पहला कदम ये होना चाहिए था कि पहले से चल रहे स्कूलों में शिक्षकों को भेजा जाता।
ऐसे ही एक स्कूल की बात करते हैं जो वर्षों पहले यानी 1968 में खुला और 2008 में इसका दर्जा बढ़ा कर माध्यमिक किया। ये स्कूल जिला सिरमौर के शिलाई विधानसभा क्षेत्र में आता है और शिलाई के विधायक है सुख सरकार में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान (Harshwardhan Chauhan)। इस स्कूल में अभी 70 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। हाल ये है कि स्कूल मात्र दो अध्यापकों के सहारे चल रहा है। इस स्कूल से निकले छात्र आज ऊंचे सरकारी पदों पर बैठे हैं। स्कूल में छात्रों को भविष्य को अंधकार में देख पहले तो अभिभावकों ने शांति पूर्वक आंदोलन चलाया पर अब लगता है पानी सिर के ऊपर से गुजर चुका है। अब विधानसभा क्षेत्र के लोगों ने सरकार को अल्टीमेटम (Ultimatum) दिया है। लोगों का कहना है कि प्राइमरी और मिडल स्कूल नाया में लंबे अरसे शिक्षकों के खाली पड़े पदों (Post) को भरने के लिए क्षेत्र के ग्रामीण एक महीने से शांतिपूर्ण आंदोलन चला रहे हैं, लेकिन अबतक इस ओर सरकार का ध्यान नहीं गया है। अभिभावकों का आरोप है कि शांतिपूर्वक आंदोलन का सरकार व शिक्षा विभाग पर कोई भी असर नहीं पड़ रहा है। इसे लेकर पंचायत के पांच गांव के लोगों की एक आपात बैठक (Meeting) पंचायत प्रधान लायक राम शर्मा की अध्यक्षता में संपन्न हुई।
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आंदोलन की दी चेतावनी
बैठक में इस बात को लेकर चिंता जताई गई कि पिछले एक वर्ष से स्टाफ (Staff) के अभाव के कारण पढ़ाई बाधित हो रही है लेकिन सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही। सरकार के ऐसे रवैये से नाराज लोगों ने सरकार को 10 सितंबर तक का अल्टीमेटम (Ultimatum) दिया है। ग्रामीणों ने सरकार से दो टूक शब्दों में कहा है कि यदि इन दोनों स्कूलों को स्टाफ नहीं मिला तो सरकार इसके गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे।