एकदम खुली हवा में न जाएं अस्थमा के मरीज
Update: Monday, December 12, 2016 @ 10:48 AM
सर्दी का मौसम अस्थमा या दमा रोगियों के लिए खास तकलीफदायक होता है क्योंकि सर्दी-जुकाम व गले में सूजन पैदा करने वाले बैक्टीरिया व वायरस इस रोग को बढ़ा देते हैं। सांस लेने में परेशानी होना, दम घुटना, सांस लेते समय आवाज होना, सांस फूलना, छाती में कुछ जमा हुआ सा या भरा हुआ सा महसूस होना, बहुत खांसने पर चिकना-चिकना कफ आना, मेहनत वाले काम करते समय सांस फूलना आदि अस्थमा के लक्षण होते हैं।
- ठंडी हवायें अस्थमा के लक्षणों को गंभीर बना सकती हैं इसलिए अस्थमा के मरीजों को मौसम के अचानक बदलाव से सावधान रहना चाहिए खास तौर पर सुबह के वक्त गर्म बिस्तर से उठकर एकदम खुली हवा में नहीं जाना चाहिए, बल्कि थोड़ा इंतजार करें।
- अस्थमा के रोगियों को डॉक्टर की सलाह के मुताबिक इनहेलर और नैजल स्प्रे आदि नियमित रूप से इस्तेमाल करना चाहिए, साथ ही उन्हें हमेशा अपने पास रखना चाहिए क्योंकि ठंड के दिनों में सबसे ज्यादा परेशानी अस्थमा के मरीजों को होती है।
- चिकित्सकों का कहना है कि अस्थमा बढ़ाने वाले एलर्जी के तत्व ठंडे मौसम में ज्यादा होने की वजह से दमा के मरीजों को ज्यादा तकलीफ होती है, ऐसे में अस्थमा के रोगियों को कोहरे से विशेष रूप से बचना चाहिए। उन्हें जल्दी-जल्दी गर्म और सर्द वातावरण में भी नहीं जाना चाहिए।
- इसके अलावा सर्दियों में स्वस्थ रहने के लिए अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना बेहद अहम है। जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक होती है, उन्हें सर्दी- जुकाम आदि जैसी समस्याएं आसानी से नहीं होती।
- इसके लिए अपना खान-पान ठीक रखें, खाने में पपीता, कद्दू, गाजर, टमाटर, पालक, अमरूद जैसी मौसमी सब्जियों और फलों को जरूर शामिल करें, जिससे आपके शरीर का तापमान मौसम के मुताबिक गर्म रहे, पूरी नींद लें और थोड़ा व्यायाम भी करें।
- इस मौसम में ठंडी और शुष्क हवा के कारण जुकाम-खांसी के विषाणु ज़्यादा फैलते हैं। इसी वजह से सर्दियों के मौसम में अकसर लोगों को खांसी की समस्या रहती है। ऐसे में ठंडी चीज़ें जैसे कि कोल्ड ड्रिंक आइसक्रीम आदि खाने से तकलीफ में इज़ाफा हो सकता है। अगर आपको साइनस की समस्या है तो धूल- मिट्टी और कोहरे से अपना बचाव करें।