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मंत्रा डेस्क। संचार क्षेत्र का जाना पहचाना नाम हैं एयरटेल के मालिक सुनील भारती मित्तल। उन्होंने अपने पिता की राजनीतिक विरासत छोड़ उद्योग के क्षेत्र में खुद को स्थापित करने का ख्वाब देखा। बहुत ही कम उम्र में मित्तल ने अपने पिता से 20 हजार रुपये कर्ज लेकर खुद का काम शुरू किया और देखते ही देखते एक बड़े कॉरपोरेट के रूप में मशहूर हो गए। हालांकि, उनकी सफलता के पीछे उनके परिवार और अनुकूल परिस्थितियों का बड़ा ही योगदान रहा।
पंजाबी अग्रवाल परिवार में जन्में सुनील के पिता सत पाल मित्तल राज्यसभा के जाने-माने सांसद थे। माना जाता है कि सुनील के बिजनेस को आगे बढ़ाने में उनके पिता का सहयोग काफी रहा। चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट होने के बाद सुनील ने अपने दो भाइयों और एक दोस्त के साथ मिलकर काम शुरू किया। शुरुआत में उन्हें कोई खास संघर्ष का सामना नहीं करना पड़ा। हालांकि, 1992 में उनके पिता का देहांत हो गया। बावजूद इसके उन्होंने अपनी कामयाबी की सफर जारी रखा।
मित्तल ने पहले 1976 में 18 साल की उम्र में अपने पिता से 20 हजार रुपये उधार लेकर साइकिल का पुर्जा बनाने का काम शुरू किया। लुधियाना में स्थापित उनका यह कारोबार उनकी महत्वाकाक्षाओं से काफी कम था। इसलिए 1980 में उन्होंने विदेश से माल आयात करने का लाइसेंस खरीदा और जापान से इलेक्ट्रिक पावर जेनरेटर भारत लाने का काम शुरू किया। लेकिन, भारत सरकार ने जेनरेटर आयात करने का लाइसेंस कैंसल कर दिया। इसके बाद 1984 में मित्तल ने पुश बटन वाले फोन ‘मिटब्रो’ का कारोबार किया। उससे पहले चकरी घुमाकर फोन डायल करने वाले फोन आते थे।
बाद में जर्मनी की कंपनी से करार के बाद उनकी कंपनी भारती कम्युनिकेशन लिमिटेड ने फैक्स मशीन, कॉर्डलेस फोन और टेलिकम्युनिकेशन गियर का निर्माण शुरू किया। सुनील मित्तल की जिदंगी में 1992 काफी लकी साबित हुआ। इसी दौरान भारत सरकार ने मोबाइल फोन के लिए लाइसेंस जारी करने शुरू किए। 1994 में उन्होंने भारती सेल्युलर लिमिटेड (बीसीएल) की स्थापना की और ‘एयरटेल’ ब्रांड लॉन्च किया गया। आज की तारीख में एयरटेल टॉप मोबाइल फोन सेवाओं में शामिल है।
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