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आज हम जो जिंदगी जी रहे हैं उसका असर हमारे दिल पर पड़ता है। संतुलित जीवनशैली और नियमित व्यायाम दिल की सेहत के लिए बहुत जरूरी है। जीवन की भागदौड़ के नतीजतन, दिल से जुड़ी बीमारियों में इजाफा हुआ है। कम उम्र के लोगों में भी हार्ट अटैक के मामले देखने को मिल रहे हैं। इस संबंध में एक बात यह राहत देने वाली हो सकती है कि संतुलित आहार और स्व।स्य्ें जीवनशैली हमारे दिल को ज्याीदा समय तक स्विस्थव रख सकते हैं। दिल की देखभाल का सबसे आसान तरीका असामान्य खान-पान पर नियंत्रण रखना है। आप जो भी खाएं, उससे पहले यह सुनिश्चित जरूर कर लें कि यह आपके दिल की सेहत के लिए अच्छा रहेगा या नहीं।
सब्जियों और फलों में ऐसे तत्वप पाए जाते हैं जो कि दिल की बीमारियों के रोकथाम के लिए बहुत उपयोगी होते हैं जाहिर है कि दिल पर सबसे बुरा असर धूम्रपान का पड़ता है। आपकी धूम्रपान की आदत छुड़ाने में खान-पान की भूमिका अहम होती है। विटामिन से भरपूर चीजें जैसे कि रसीले फल, शिमला मिर्च, आंवला आदि खाने से धूम्रपान करने की इच्छा कम होती है। शुगर फ्री कैंडी से अपने मुंह को व्यस्त रखें। धूम्रपान की तलब लगने पर कुछ सूखे मेवों की महक आपका ध्यान भटका सकती है।स्व।स्थक दिल के लिए अपने दिनचर्या में शारीरिक गातिविधियों को शमिल करना चाहिए। हर रोज कम से कम 40 से 60 मिनट तक योगा और व्याहयाम करने की आदत डालिए। हर रोज जागिंग करें या पैदल चलें।
अपना रक्तव चाप 130/80 तक रखिए। ब्लड प्रेशर रीडिंग की संख्यान अगर 140 या उससे ज्यातदा हो जाए तो खतरनाक होता है। सिस्टो लिक बीपी का 120 से 139 होना और डिस्टोोलिक बीपी का 80 से 89 होना प्री-हायपरटेंशन का संकेत है। उच्च रक्तएचाप को नियंत्रित रखिए। लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल या बैड कोलेस्ट्रा ल) 100 एमजी/डीएल के नीचे होना चाहिए। हाई डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एचडीएल या गुड कोलेस्ट्रॉरल) पुरुषों में 45 और महिलाओं में 55 एमजी/डीएल से अधिक होना चाहिए। यदि एलडीएल, उचित खान-पान, व्याओयाम और ध्यामन आदि करने के बाद भी 15 हफ्ते से ज्याखदा है तो डॉक्टऔर से संपर्क कीजिए।
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