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शिमला। जिसे बेटी की तरह समझा, उसी ने दिया दगा। जिस पर विश्वास कर लाखों रुपए निवेश को लगाए, उसी ने की ठगी। यही नहीं, उक्त महिला और उसके पति ने ठगी कबूल करने के बाद जो चेक दिए, वह भी बाउंस हो गए। यह घटना यहां लक्कड़ बाजार में रहने वाले भटनागर परिवार के साथ घटी। ठगी का यह मामला सदर थाने के तहत दर्ज भी है, लेकिन इस मामले में कोई कार्रवाई अभी तक नहीं हुई है। थक हार कर भटनागर परिवार ने अब पीएम और सीएम को ऑनलाइन शिकायत दर्ज करवाई है। आज यहां इसका खुलासा लक्कड़ बाजार में रहने वाले मंजुल मोहन भटनागर ने प्रेस कांफ्रेंस में किया। मंजुल ने कहा कि जुब्बड़हट्टी के समीप एक गांव की रहने वाली एक महिला ने उनके माता-पिता के साथ कथित तौर पर धोखाधड़ी की। उन्होंने इस संबंध में कई दस्तावेज भी दिखाए। उन्होंने कहा कि महिला उनकी माता की स्टूडेंट थी और इसके बाद वह मिलती जुलती थी और परिवार से काफी घुलमिल गई थी। इस बीच, वह दो निजी बैंकों में निवेश करने का आफर लेकर आई और पिता एसएम भटनागर ने उसकी बातों पर विश्वास कर निवेश किया।
मंजुल ने कहा कि वर्ष 2008 में एफडी का खाता खुलवाया गया। एसएम भटनागर ने दूसरे बैंक से 3 लाख 90 हजार रुपये निकाले और निजी बैंक में निवेश किए। वे वर्ष 2014 तक उसके कहने पर लाखों का निवेश करवाते रहे। इस बीच, 11 दिसंबर 2014 में एसएम भटनागर की मौत हो गई। इसके बाद जब उनके बेटे मंजुल अपनी माता के साथ बैंक खातों को अपने नाम करवाने बैंक पहुंचे तो उनके होश फाख्ता हो गए। उस समय उन्हें पता चला कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है। मंजुल ने आरोप लगाया कि भटनागर परिवार ने आभा को 21 लाख रुपये से अधिक की धनराशि निवेश को दी थी, लेकिन उनके खातों में यह जमा नहीं हुई। जो राशि हुई भी, उसे भी वह महिला और उनके करीबियों ने बैंक से खुद ही निकाल दिया।उन्होंने कहा कि पुलिस ने जांच के दौरान आरोपी के पति के बयान कलमबंद किए हैं। इसमें उन्होंने 21 लाख रुपये देने की बात स्वीकारी है और कहा था कि वे पैसे दे देंगे, लेकिन कुछ नही हुआ। मंजुल ने कहा कि इस संबंध में थाना सदर के तहत लक्कड़ बाजार पुलिस चौकी में 24 मई 2016 को प्राथमिकी दर्ज हुई थी। पुलिस ने आईपीसी की धारा 420, 467, 468 के तहत मामला दर्ज किया था, लेकिन आरोपी के खिलाफ कोई भी कार्रवाई की है। इससे पीड़ित परिवार ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि लक्कड़ बाजार में एक पुलिस कर्मचारी ने दस्तावेजों से छेड़छाड़ की और कुछ दस्तावेज गायब भी किए। उस कर्मचारी के वहां से ट्रांसफर होने के बाद इसका पता चला और उन्होंने चौकी में फिर से सभी दस्तावेज दिए, लेकिन उसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस बीच उन्हें महिला के पति ने चेक देकर उन्हें पैसे लौटाने की बात कही थी, लेकिन वे चेक भी बाउंस हो गए। इस संबंध में भी उन्होंने कोर्ट में केस किया है।
मंजुल ने कहा कि पिछले माह उन्होंने इस संबंध में पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम वीरभद्र सिंह को भी आनलाइन शिकायत भेजी है, लेकिन अभी तक वहां से कोई जवाब नहीं आया है। इसके अलावा महिला आयोग को भी उन्होंने शिकायत भेजी है। मंजुल ने कहा कि उनकी माता की तबीयत खराब रहती है और इस कारण वे उच्च स्तर पर भी अपनी बात रखने जा नहीं पा रहे। वे डीजीपी से मिलने गए थे, लेकिन वे भी वहां नहीं मिले। उन्होंने उम्मीद जताई कि पीएम और सीएम अब इस मामले में हस्तक्षेप करेंगे और उन्हें न्याय मिलेगा।
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