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भारतीय संस्कृति में नारियल बहुत शुभ, पवित्र और कल्याणकारी माना जाता है। पूजा-पाठ में, देवताओं के नैवेद्य में, हवन यज्ञ आदि में नारियल का उपयोग होता है। सबसे महत्वपूर्ण उपयोग नारियल का आध्यात्मिक साधना में होता है।
सामान्यतः जटा उतरे हुए नारियल के प्रत्येक फल पर टहनी की ओर तीन काले बिंदु दिखाई पड़ते हैं। मान्यता है कि इनमें से दो बिंदु नेत्रों के प्रतीक हैं और एक मुख का। गौर से देखें तो नारियल मानवाकृति से मिलता-जुलता है। यह तो नारियल की प्राकृतिक संरचना है परंतु इसकी प्रभावशाली और प्रमुख विचित्रता यह है कि किसी-किसी गोले पर तीन की जगह केवल दो बिंदु होते हैं। यानी एक आंख और एक मुख का प्रतीक होता है। ऐसा नारियल बहुत कम दिखाई देता है और भाग्य से ही किसी के हाथ में आता है। यह साक्षात लक्ष्मी का प्रतीक है। इससे भी अधिक दुर्लभ नारियल वह होता है, जिस पर एक ही बिंदु होता है। इसे एकाक्षी नारियल कहते हैं। कहते हैं कि जिसके घर में एकाक्षी नारियल होता है, उसके घर से कभी लक्ष्मी जा ही नहीं सकती। लक्ष्मी का स्थायी वास वहां होता है। लक्ष्मी सूक्त में कहा गया है कि संसार में बहुत कुछ मिल जाना संभव है पर एकाक्षी नारियल सुलभ नहीं है। जिसके घर में मंत्र सिद्ध, प्राण प्रतिष्ठा युक्त नारियल है उसके घर में अटूट लक्ष्मी का वास रहता है। ऐसा नारियल स्थायी संपत्ति, ऐश्वर्य और आनंद देता है। यही नहीं जिस घर में पूजित नारियल है उस घर के सदस्यों पर कोई भी तांत्रिक प्रभाव असर नहीं करता। दीपावली की रात्रि को ऐसे नारियल की षोडशोपचार पूजा कर के लाल वस्त्र में लपेट कर स्थापित करें।
ऊँ ऐं हृीं ऐं महालक्ष्मी स्वरूपाय एकाक्षी नारिकेलाय नमः
सर्व सिद्धि कुरु-कुरु स्वाहा
इसके पश्चात कहें -हे एकाक्षी नारियल आप मेरा कार्य सिद्ध करें।
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