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धर्मशाला। एक अलग राज्य के रूप में सामने आने के बाद हिमाचल प्रदेश ने कई मुकाम हासिल किए जो कि किसी भी राज्य के लिए एक सपना हो सकते हैं। बेशक प्रदेश ने विकास के मामले में नए आयाम बनाए, लेकिन कुछ मसले ऐसे भी हैं, जिनके मामले में तेजी से काम करने की जरूरत है। यह मसले सीधे तौर पर आम आदमी से जुड़े हुए हैं और इनका लाभ भी आम आदमी को मिलेगा। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण मसला है स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाने का, जिसका कि अभी तक संपूर्ण समाधान नहीं हो पाया है।
यह बात सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों से सामने आई है। विभाग के अनुसार वर्ष 1993 में प्रदेश में जल की उपलब्धता और पर्याप्तता पता करने के लिए एक सर्वेक्षण किया गया था। उस सर्वेक्षण के मुताबिक प्रदेश में 45 हजार 367 ऐसी बस्तियां थीं, जिनमे पेयजल या तो उपलब्ध ही नहीं था या आंशिक रूप से मिल रहा था।
प्रदेश की सभी बस्तियों को पेयजल उपलब्ध करवाने के लिए एक कार्ययोजना बनाकर मार्च 2008 तक सभी बस्तियों को पूर्णता पेयजल सुविधा उपलब्ध करवाने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया। यह सुविधा देने के लिए 15 वर्ष का समय तय किया गया था, लेकिन 23 वर्ष बीत जाने के बाद भी यह लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया है। आज भी प्रदेश में 11 हजार 998 बस्तियां ऐसी हैं जहां आंशिक रूप से पेयजल उपलब्ध हो रहा है। विभाग द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार पहली अप्रैल 2016 को प्रदेश में 53 हजार 604 बस्तियां थीं। इनमें से नवंबर 2016 तक 41 हजार 606 बस्तियों में पेयजल सुविधा उपलब्ध करवाई जा चुकी है। यानि उक्त 11 हजार 998 बस्तियों को अभी पूर्ण रूप से पेयजल के लिए इंतजार करना होगा। प्रदेश का सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग इस लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाने के लिए प्रदेश की जनसंख्या में हुई वृद्धि और पेयजल स्त्रोतों के सूखने को बाधा बताता है। लेकिन सवाल यह है कि जनसंख्या वृद्धि एक निरतंर प्रक्रिया है तो क्या भविष्य में इस वृद्धि को ध्यान में रखकर योजना नहीं बनाई जा रही है। जलस्त्रोतों का सूखना भी चिंतनीय है, लेकिन यह जल संरक्षण के प्रयासों में तेजी लाने का भी संकेत है। अढ़ाई दशक की इस अवधि में जलस्त्रोतों का सूखना, विभाग के लक्ष्य को इतना प्रभावित कर सकता है तो आगामी समय में क्या हाल होगा इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
विभागीय आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में कुल 9 हजार 393 पेयजल आपूर्ति योजनाएं हैं। इनमें से 1820 उठाऊ पेयजल योजनाएं, 7288 जल प्रवाह पेयजल योजनाएं व 285 नलकूप आधारित योजनाएं हैं जिनसे स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाया जा रहा है। सूखाग्रस्त एवं अत्याधिक पानी की कमी वाले क्षेत्रों में हैंडपंप के माध्यम से पानी की आपूर्ति के प्रयास विभाग कर रहा है। नवंबर 2016 तक प्रदेश में 34 हजार 904 हैंडपंप स्थापित किए जा चुके हैं।
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