- Advertisement -
हिमाचल को यूं ही देवभूमि नही कहा जाता …यहां के कण कण में देवी देवताओं का वास है..सौर मंडल में चमक रहे अनगिनत तारों की तरह हिमाचल की धरती पर भी अनगिनत छोटे बड़े मंदिर हैं और हर मंदिर के गर्भ में एक ऐसी कहानी छिपी है जिस पर विश्वास कर पाना मुश्किल है…और इस वीडियो में हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे जहां के एक अद्भुत कलश की कहानी हर इंसान को अपनी ओर आकर्षित करती है..अगर आप गौर से देखेंगे तो आपको यह कलश जंजीर से बंधा हुआ दिखाई देगा … कलश को बांधकर रखने के पीछे का कारण जानकर आपको काफी आश्चर्य होगा …दरअसल यह कलश बार बार यहां से भागने की कोशिश करता है…सुनने में आप सभी को अजीब लग रहा होगा अरंतु यह सच है …कलश के इस तरह से भाग जाने से यह मंदिर पूरे हिमाचल में विख्यात है …और यह मंदिर है मां हाटेश्वरी मंदिर.. जुब्बल कोटखाई में स्थित मां हाटेश्वरी का ये मंदिर काफी प्राचीन है. यह शिमला से लगभग 110 किमी. की दूरी पर स्थित है. मान्यता है कि इस प्राचीन मंदिर का निर्माण 700-800 वर्ष पहले हुआ था. माता हाटेश्वरी का मंदिर विशकुल्टी, राईनाला और पब्बर नदी के संगम पर सोनपुरी पहाड़ी पर स्थित है. मूलरूप से यह मंदिर शिखर आकार नागर शैली में बना हुआ था, लेकिन बाद में एक श्रद्धालु ने इसकी मरम्मत कर इसे पहाड़ी शैली के रूप में परिवर्तित कर दिया. मां हाटकोटी के मंदिर में एक गर्भगृह है जिसमें मां की विशाल मूर्ति विद्यमान है. यह मूर्ति महिषासुर मर्दिनी की है. इतनी विशाल प्रतिमा हिमाचल में ही नहीं बल्कि भारत के प्रसिद्ध देवी मंदिरों में भी देखने को नहीं मिलती. प्रतिमा किस धातु की है इसका अनुमान लगाना मुश्किल है. यहां के स्थायी पुजारी ही गर्भगृह में जाकर मां की पूजा कर सकते हैं.
- Advertisement -