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उपचुनाव ने कुटलैहड़ की “गद्दारी” की याद दिलाई, 1977 में कैसे CM की कुर्सी गंवाई
वर्ष 1977 में ठाकुर रणजीत सिंह एक वोट से सीएम की कुर्सी से दूर हो गए थे, लांछन किसी और पर नहीं पर खुद पर लगा था। रणजीत सिंह सांसद थे,वह अपना वोट दे नहीं सकते थे,एक वोट की दरकार थी, उनके प्रतिद्वंदी शांता कुमार ने अपने वोट का खुद के लिए इस्तेमाल कर सीएम की कुर्सी अपने नाम कर ली। हालांकि, इतने वर्षों बाद कुटलैहड़ में होने जा रहे उपचुनाव में जो गद्दारी की बात सामने आई उसका कारण यही है कि रणजीत सिंह का साथ उस वक्त यहीं के नुमाइंदों ने नहीं दिया था,वरना सीएम की कुर्सी यहां होती। अब इस राग को कांग्रेस के बागी देवेंद्र भुट्टो ने बीजेपी कैंडिडेट बनने के बाद छेड दिया है,इशारा वो कांग्रेस कैंडिडेट की तरफ कर रहे हैं