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कोरोना की परछाई से यूं रहें दूर
Last Updated on May 22, 2021 by
भारतीय संस्कृति में खेती को सर्वोत्तम व्यवसाय कहा गया है। कृषि क्षेत्र में आज भी करोड़ों लोगों को रोजगार देने का सामथ्र्य है। इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों को विभिन्न योजनाओं के माध्यम से प्रोत्साहित कर रही है। किसान पारम्परिक कृषि से हटकर नकदी फसलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं जिससे उनकी आर्थिकी में आशातीत बदलाव आ रहा है। सरकारी या निजी क्षेत्र में नौकरियां तलाशने के बजाय अगर युवा सरकार की योजनाओं का लाभ उठाकर नकदी फसलों की खेती करें तो वे घर में ही अच्छी आय अर्जित सकते हैं। कुल्लू शहर से सटे बदाह गांव की निशा ने कुछ ऐसा ही करके दिखाया है। निशा देवी के पास ब्यास नदी के दाएं छोर पर लगभग पांच बीघा जमीन है। जमीन के इसी भू-भाग को उसने अपने परिवार की आजीविका का साधन बना लिया है। उसके सात सदस्यों वाले परिवार का भरण-पोषण इसी जमीन से हो रहा है। आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण वह अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सकी। उसके पति भी ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं है। वह दिन-रात खेतों में काम करती है। परिवार के अन्य सदस्य भी खेती-बाड़ी में उसका सहयोग करते हैं। निशा का मानना है कि उसका परिवार दिन भर खेतों में काम करता है और सायंकाल अपने घर जाते हैं। इससे वे कोरोना महामारी के खतरे से भी दूर हैं।