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गायब हो जाता है इस नदी का पानी
Last Updated on May 25, 2021 by saroj patrwal
नदियां-नाले ये सब पहाड़ों से ही तो निकलते हैं,आगे चलकर समुद्र में समा जाते हैं। लेकिन इस सबके बीच एक ऐसी नदी भी है जो समुद्र में नहीं मिलती है, लेकिन इसका पानी विलुप्त हो जाता है। आपको बता दें कि इस नदी का नाम है लूनी नदी। लूनी नदी का उद्गम राजस्थान के अजमेर जिले में 7,72 (बहतर) मीटर की ऊंचाई पर स्थित नाग की पहाड़ियों से होता है। ये नदी अजमेर से निकल कर दक्षिण-पश्चिम राजस्थान नागौर, जोधपुर, पाली, बाड़मेर, जालौर ज़िलों से होकर बहती हुई गुजरात के कच्छ जिले में प्रवेश करती है और कच्छ के रण में ही कहीं विलुप्त हो जाती है। नदी की कुल लंबाई 4,95 (पचानवे) किमी है। राजस्थान में इसकी कुल लंबाई 330 किमी है। इस नदी की खासियत ये है कि ये बालोतरा के बाद खारी हो जाती है, क्योंकि रेगिस्तान क्षेत्र से गुजरने पर रेत में मिले नमक के कण पानी में मिल जाते हैं। इस कारण इसका पानी खारा हो जाता है। यही नहीं ये नदी किसी समुद्र में नहीं, बल्कि कच्छ के रण में ही सूख जाती है। बताते हैं कि शुरुआती 100 किलोमीटर तक इसका पानी मीठा रहता है और इसी से राजस्थान के कई जिलों में सिंचाई की जाती है। इसलिए स्थानीय लोग इसकी पूजा भी करते हैं। नदी के सुंदर और प्राकृतिक नज़ारों को देखने का सबसे अच्छा समय मानसून बताया गया है।