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गुम हुई घराट की आवाज भूला बेठै आटे का स्वाद
Last Updated on September 4, 2021 by Sintu Kumar
घराट जिसे पनचक्की के नाम से भी जाना जाता है। सदियों से पहाड़ी इलाकों में पनचक्की से चलने वाले घराट लोगों को पौष्टिक आटा देकर जीवन प्रदान करते थे।लेकिन अब घराट संस्कृति आखिरी सांसें गिन रही है। अब नां तो घराट की आवाज सुनने को मिली है और ना ही इन में पीसे जाने वाले आटे का स्वाद मिलता है। अधिकतर घराट अब विलुप्त हो चुके हैं, उनकी जगह अब बिजली से चलने वाली आटा चक्कियों ने ले ली है।