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बीजेपी का कैडर बेहोश, नेता मदहोश भगवा दल में बस नाम का ही है जोश
Last Updated on January 28, 2022 by Deepak
कांगड़ा ऐसा सियासी किला जिसका इतिहास है कि हर मौजूदा सरकार का वर्तमान बदल देता है और लगे हाथ अगले पांच वर्षों के लिए भविष्य भी बिगाड़ देता है। कांगड़ा साल 2022 यानि चुनावी वर्ष में प्रवेश कर चुका है। इस मर्तबा किले के भीतर एक बहुत बड़ा बदलाव आया हुआ है। पहले यह होता था कि बीजेपी-कांग्रेस दोनों के लोकल पॉलिटिकल परफॉर्मेंस विधायक-मंत्री खुद ठीक होते थे, मगर अपनी स्टेट लीडरशिप की हरकतों की वजह से पिट जाते थे। पर इस बार कांगड़ा की लोकल लीडरशिप की वजह से स्टेट लीडरशिप के पिटने के आसार बने हुए हैं।
यह किला 2017 से बीजेपी के कब्जे में है। साल 2022 तक प्रचंड बहुमत मिला हुआ है। इसी वजह से सवाल उठना लाजमी है इस चुनावी साल में बीजेपी के हालात क्या हैं घ् जवाब सीधा है कि बीजेपी की हालत खुद उन चेहरों की वजह से खराब हो चुकी है जिनको बीजेपी ने कांगड़ा में अपना चेहरा बनाया था। एक लाइन में यह कहना सही रहेगा किए कार्यकर्ता.कैडर बेहोश, नेता मदहोश और भगवां दल में नाम का ही जोश। वर्ष 2017 में बीजेपी में पीढ़ी परिवर्तन हुआ और जयराम ठाकुर की लीडरशिप में गाड़ी आगे बढ़ने शुरू हुई। पर इस पीढ़ी परिवर्तन के साथ.साथ कांगड़ा की भगवां पीढ़ी में भी सरकार से लेकर संगठन तक परिवर्तन हो गया। ज्यादातर वो चेहरे राजनीतिक तेज से लबरेज हो गए जो राजनीतिक तौर पर निस्तेज ही कहे जा सकते थे। नतीजा यह हुआ कि कांगड़ा के बड़े सियासी नाम की तरह इन्होंने अपने कद बढ़ा लिए और कैडर छोटा पड़ता चला गया। नेता तो अगड़े हो गए मगर असल बीजेपी कैडर पिछड़ा बना दिया गया।
अगर कांगड़ा में पसरे एंटी.इनकंबेंसी फैक्टर के अंडर करंट की बात करें तो यह आम आदमी के बजाए बीजेपी कैडर में ज्यादा पसरा हुआ है। वजह यही है कि एस्टेब्लिश लीडरशिप खुद के अहम में इतनी मस्त है कि कैडर ही इनसे त्रस्त है और नेताओं के हर वहम को दूर करने की कसम उठा रहा है। संगठन के ही लोग कहते हैं कि बीजेपी में पीढ़ी परिवर्तन तो हुआ पर कांगड़ा के लीडर तो कैडर परिवर्तन की ही जमीन बनाने शुरू हो गए हैं। कैडर को कोई तरजीह नहीं दी गई।
यह भी कहा जा रहा है कि बड़े नेताओं ने कार्यकर्ताओं को इतना छोटा कर दिया है कि वह वोट तक मांगने के लिए फील्ड में कैसे जाएंगे। अपने आम वर्कर का कोई खास काम तो दूर की बात, उसका किसी और के लिए बताया काम तक नहीं किया गया। कांगड़ा के ऐसे नेताओं की लिस्ट में वह तमाम नाम शामिल हैं, जिन्होंने जयराम सरकार और संगठन में कांगड़ा के आकार के सहारे कद तो बना लिया मगर कैडर को बौना साबित किया। जाति.वर्ग विशेष के नाम पर अपना उल्लू सीधा किया और कार्यकर्ताओं को जनहित और सामाजिक मामलों की सलीब पर उल्टा लटका दिया—–