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बीजेपी के विधायकों के कटेंगे टिकट! मची है 12 में हलचल
Last Updated on January 10, 2022 by Deepak
हिमाचल प्रदेश में लगभग एक दर्जन बीजेपी विधायकों के टिकटों पर अभी से तलवार लटक गई है। इसी के चलते कुछ विधायक चुनावी साल के शुरू होते ही इस संबंध में आशंकित हैं। ये नेता अभी से केंद्रीय नेतृत्व और सीएम जयराम ठाकुर की गुड लिस्ट में रहने की कवायद में जुट गए हैं। दूसरी ओर केंद्रीय नेतृत्व ने भी मौजूदा विधायकों से पूछा है कि पिछले चार साल में उन्होंने क्या.क्या काम किए हैं। इसी के साथ ही कमजोर प्रदर्शन वाले बीजेपी विधायकों को अपने टिकट कटने की चिंता सताने लगी है। वर्तमान में हिमाचल प्रदेश में बीजेपी के 43 विधायक हैं। एक विधायक जुब्बल.कोटखाई उपचुनाव में बीजेपी की हार के बाद कम हुआ है। विधानसभा के चुनाव इसी साल अक्टूबर के बाद होने हैं। दिसंबर में नई सरकार शपथ ले लेगी। इन सभी मौजूदा विधायकों के कामकाज पर केंद्रीय नेतृत्व की पैनी नजर है। राज्य में हाल में हुए मंडी लोकसभा सीट सहित तीन विधानसभा हलकों अर्की, फतेहपुर और जुब्बल.कोटखाई के उपचुनाव में कई बीजेपी नेताओं का कमजोर प्रदर्शन रहा है। इन्हीं में कुछ मौजूदा और कुछ पूर्व विधायक हैं। मंडी संसदीय क्षेत्र में तो कई विधायकों सहित कुछ मंत्रियों के कामकाज से केंद्रीय नेतृत्व संतुष्ट नहीं है। आगे भी ऐसी स्थिति ना बने, इसलिए अच्छे प्रदर्शन वाले विधायकों और अन्य नेताओं को भी सूचीबद्ध किया जाने लगा है। इसी बीच,ज्वालामुखी से बीजेपी विधायक रमेश धवाला ने पिछले दिनों टिकट जल्द तय करने की बात कर हलचल मचा दी है। ध्वाला ने कहा है कि आगामी विधानसभा चुनाव के लिए अगर अभी से टिकट निश्चित किए जाएं तो इसका हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को लाभ होगा। ये वहीं धवाला है,जिन्हें पार्टी पिछले चार साल से साइडलाइन किए हुए है। यानी इन्हीं के विधानसभा क्षेत्र में इन्हें रोर डिस्टर्ब किया जाता है। धवाला भी इस बात को लेकर आशंकित हैं कि कहीं पार्टी उनकी टिकट ही साफ ना कर दे। इसलिए अगर समय रहते पता चल जाए तो दूसरा विकल्प देख सके। ऐसे ही करीब-करीब 12 विधायक हैं जो अपने टिकट को लेकर आशंकित हैं। वहीं, इस बाबत पार्टी के प्रदेश मामलों के प्रभारी अविनाश राय खन्ना का कहना है कि हमने पार्टी विधायकों से पूछा है कि वे बताएं कि पिछले चार साल में उन्होंने क्या.क्या काम किए हैं। उनके रिपोर्ट कार्ड को देखा जाएगा। जहां तक टिकट तय करने की बात है तो इसके लिए फार्मूला यही होगा कि कौन जिताऊ है और कौन नहीं है। जहां अभी से टिकट तय करने की बात है तो इस बारे में स्पष्ट है कि इसकी एक निश्चित प्रक्रिया है। किसी से बोलने से टिकट तय नहीं किए जाते हैं, ना ही काटे जाते हैं।