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मुद्दो के बजाय मातम पर राजनीति, कौन कितना सही?
Last Updated on October 25, 2021 by saroj patrwal
सियासत के कई रंग होते हैं, यह लड़ी तो विकास, महंगाई और भलाई के मुद्दों पर जाती है, मगर चुनाव आते आते भटक कर छीटांकशी पर आ जाती है। आरोप प्रत्यारोप के दौर में असल मुद्दे छिप जाते हैं। हिमाचल के उपचुनाव में यह खेल खुलकर हो रहा है। कोई किसी को रावण बता रहा है, तो कोई किसी को मातम मनाने की सलाह दे रहा है। और सियासी बिसात पर जनता पिसती चली जा रही है।
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