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वीरभद्र के नाम की बैसाखी, किसकी बनेगी खेवनहार
Last Updated on October 15, 2021 by Vishal Rana
सियासत में आपका कद आपके नाम से जाना जाता है। अगर नाम की कील आपने सियासत की इमारत में ठोक दी, तो आने वाली पीढ़ी उसी कील के सहारे अपनी राजनीति के कुर्ते को टांग कर सियासत की रोटी सेंकते रहेगी। हिमाचल की सियासी बिल्डिंग में राजा वीरभद्र सिंह वही कील है। जिस पर ना सिर्फ कांग्रेस और राजा परिवार बल्कि सीएम जयराम भी अपना राजनीतिक कुर्ता हर रोज टांग रहे हैं। राजा वीरभद्र सिंह के निधन के बाद हिमाचल की सियासत सुनी हो गई है। शांता कुमार वयोवृद्ध होकर एकांतवास में हैं, धूमल को बीजेपी ने ही खुद 2017 में साइड लाइन कर दिया था। हिमाचल की सियासत के राजा का कुछ महीने पहले निधन हो चुका है। सीएम जयराम की फेस वैल्यू अभी भी मंडी से बाहर की नहीं बन पाई है। खुद राजा वीरभद्र सिंह की पत्नी व पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह सांत्वना वोट बटोरने के लिए राजा साहेब का नाम लेने से नहीं थकती, भरमौर से विधायक रहे ठाकुर सिंह भरमौर वीरभद्र का नाम लेने पर फफक कर रो पड़ते हैं। नेता प्रतिपक्ष शिमला के रिज पर प्रतिमा लगाने की बात करते हैं। इस बार उपचुनाव कांग्रेस और बीजेपी के बीच विकास पर नहीं बल्कि वीरभद्र सिंह के नाम पर टिकी हुई है।