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शांता की चेतावनी- भाजपाई रहो या चलते बनो
Last Updated on October 26, 2021 by Vishal Rana
जब गुजरात में माधव राव सोलंकी (फोटो सर्च कर लेना) खाम नीति लेकर आए, तो बीजेपी ने कमोबेश इसी फॉर्मूले को 90 के दशक में हिमाचल में लागू करने की कोशिश की। माधव राव ने गुजरात में पटेल पाटीदार को साइड लाइन किया, यही प्रयोग हिमाचल में बीजेपी ने राजपूतों के साथ किया। 90 के चुनाव में बीजेपी को सफलता भी मिली। लेकिन सत्ता के हवन कुंड की आंच को शांता कुमार पूरे पांच साल तक सुलगाने में फेल हो गए। उसके बाद से सियासत में यह तय हुआ कि ब्राह्मणों के टीके से राजपूत सत्ता की सिंहासन पर बैठेंगे। और ब्राह्मण दरबार की शोभा बढ़ाएंगे। इधऱ, शांता कुमार 90 के बाद प्रदेश की राजनीति से देश की राजनीति में सक्रिय हुए। उधर, देश की राजनीति से प्रदेश की ओर पंडित सुखराम ने अपना कदम बढ़ाया। और यहीं से सियासी रार दोनों ब्राह्मणों में ठन गई। और आज उसकी एक बानगी फिर से कैमरे के सामने भी