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शिमला। 14वें वित्तायोग से जिला परिषद और बीडीसी सदस्यों को कोई फंड न जारी होने से नाराज इन सदस्यों ने सीएम वीरभद्र सिंह के दरबार में दस्तक दी। इन सदस्यों ने सीएम को अवगत करवाया कि वित्तीय शक्तियां न होने से उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जिला परिषद अध्यक्ष संगठन के नेतृत्व में मिले प्रतिनिधिमंडल ने सीएम को जानकारी दी कि वे जब लोगों के बीच जाते हैं तो वे विकास कार्यों को लेकर धन की मांग करते हैं, लेकिन उनके पास कोई वित्तीय शक्तियां न होने से वे कोई मदद नहीं कर सकते। इससे उनकी उपयोगिता ही सवालों के घेरे में आ गई है।
संगठन के अध्यक्ष धर्मपाल चौहान, महासचिव डीपी पठानिया और मुख्य सलाहकार चंपा ठाकुर ने सीएम को बजट के अभाव में जिला परिषद सदस्यों की स्थिति से अवगत करवाया और कहा कि उनके पास वित्तीय शक्तियां न होने के कारण वे जनता की मांगों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावा उन्हें मानसिक रूप से भी दबाव पड़ रहा है। प्रतिनिधिमंडल ने सीएम से मांग कि कि 13वें वित्तायोग का जो धन बचा हुआ है, उसे जिला परिषद के माध्यम से जारी किया जाए। यदि यह राशि भी उन्हें जारी होती है तो भी उन्हें कुछ राहत अवश्य मिलेगी। प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि सरकार अपने स्तर पर उनके लिए फंड का प्रावधान करे। उनका कहना था कि हरियाणा सरकार ने भी अपने स्तर पर ऐसा प्रावधान किया है और इसे देखते हुए हिमाचल सरकार भी ऐसा ही प्रावधान करे।
गौर हो कि केंद्र ने चौहदवें वित्तायोग ने अगले पांच वर्ष के लिए पंचायतों में खर्च होने वाले धन को सीधे पंचायतों को ही देने का फैसला लिया है। इसमें जिला परिषद और बीडीसी सदस्यों को वित्तीय शक्तियां नहीं दी गई हैं। हालांकि राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से इस मामले को उठाया था, लेकिन केंद्र ने इस पर कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया। इसके बाद अब इन सदस्यों ने सीएम से मामला उठाया और अपने स्तर पर बजट का प्रावधान करने की गुहार लगाई। सीएम ने इन सदस्यों को आश्वासन दिया कि वे इस मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेंगे।
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