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विचारणीय: शाहीन बाग में 4 महीने के बच्चे की ठंड लगने से मौत, प्रदर्शन पर लौटी उसकी मां
Last Updated on February 4, 2020 by Deepak
नई दिल्ली। देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू होने के बाद से दिल्ली के शाहीन बाग (Shaheen Bagh) इलाके में पिछले 50 दिनों से इस कानून के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं। इस प्रदर्शन में बच्चे से लेकर बूढ़े तक शामिल हो रहे हैं। ये सभी लोग शाहीन बाग का रास्ता जाम कर पिछले डेढ़ महीने से अधिक समय से वहां पर कड़ाके की ठंड होने के बावजूद दिनों-रात वहां पर जमे हुए हैं। इस सब के बीच एक मन को विचिलित कर देने वाली खबर सामने आई है।
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रिपोर्ट्स के अनुसार मोहम्मद जहान नाम के 4 महीने के बच्चे की दिल्ली के शाहीन बाग में जारी विरोध प्रदर्शन में ठंड लगने के कारण मौत (Death) हो गई है। 18 दिसंबर से रोज़ सीएए विरोधी प्रदर्शन में जा रही जहान की मां ने कहा है कि वह आगे भी प्रदर्शन का हिस्सा बनी रहेंगी क्योंकि यह उनके बच्चों के भविष्य का सवाल है। बता दें कि नाजिया हर दिन अपने चार माह के बच्चे मोहम्मद जहान (Mohammed Jahan) के साथ रोज विरोध प्रदर्शन में आती थी। जहान लोगों के बीच काफी मशहूर हो गया था। लोग उसके साथ खेलते और गालों पर तिरंगा बनाते थे लेकिन अफसोस अब जहान इस दुनिया में नहीं रहा।
मासूम की मां ने बताया कि विरोध प्रदर्शन से लौटने के बाद 30 जनवरी की रात सोते समय बच्चे की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि मैं शाहीन बाग से लगभग 1 बजे लौटी थी। उसे और बाकी बच्चों को सुलाने के बाद मैं सोने चली गई। सुबह मैंने देखा कि जहान कोई हलचल नहीं कर रहा था। हम उसे तुरंत अस्पताल लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। जहान के पिता आरिफ ने अपने बच्चे की मौत का कारण सीएए और एनआरसी को ठहराया है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार इसे नहीं लाती तो लोग प्रदर्शन नहीं करते, न मेरी पत्नी उसमें शामिल होती और आज मेरा बच्चा भी जिंदा होता।
अब प्रश्न ये उठता है कि क्या एक 4 माह के मासूम को हाड़ कंपा देने वाली ठंड में बाहर लेकर प्रदर्शन करने जाना बच्चे की सेहत का ख्याल करने से ज्यादा जरूरी है?, क्या देश-दुनिया की बातों और पचड़ों से अनभिज्ञ एक 4 माह के बच्चे किसी एक बात का समर्थक या विरोधी बनाकर पेश करना उचित है? और आखिरी सवाल इस बच्चे की मौत का जिम्मेदार कौन है? बच्चे की मां, शाहीन बाग के लोग, नागरिकता संशोधन कानून या मोदी सरकार? जवाब जरूर सोचें…