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NCRB का खुलासा : देश में किसानों से ज्यादा खुदकुशी कर रहे बेरोजगार
Last Updated on January 10, 2020 by
नई दिल्ली। हम सब आये दिन किसानों की खुदकुशी (Suicide) की खबरें पढ़ते रहते हैं लेकिन असल में आंकड़े कुछ और ही कहते हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के डाटा के मुताबिक साल 2017-2018 में किसानों से ज्यादा बेरोजगारों ने खुदकुशी की है। NCRB द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक बेकारी और बेरोजगारी से तंग आकर खुदकुशी करने वालों की संख्या किसानों की आत्महत्या की तादाद से ज्यादा है। साल 2018 में 12 हजार 936 लोगों ने बेरोजगारी से तंग आकर खुदकुशी की थी, जबकि इसी अवधि में खेती-किसानी से जुड़े 10 हजार 349 लोगों ने आत्महत्या की थी।
NCRB के ताजा आंकड़े बताते हैं कि 2018 में देश में खुदकुशी के मामलों में 3.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। 2018 में आत्महत्या के 1 लाख 34 हजार 516 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि 2017 में 1 लाख 29 हजार 887 लोगों ने खुदकुशी की थी। 2017 में 12 हजार 241 लोगों ने बेरोजगारी (Unemployment) से परेशान होकर खुदकुशी की थी, जबकि खेती-किसानी से जुड़े 10 हजार 655 लोगों ने आत्महत्या की. हालांकि 2016 में बेरोजगारों के मुकाबले किसानों ने ज्यादा खुदकुशी की थी।
2016 में 11 हजार 379 किसानों-खेतिहर मजदूरों ने अपनी जान दे दी, जबकि इसी अवधि में 11,173 बेरोजगारों ने खुदकुशी की थी। हालांकि इन आंकड़ों के बीच अंतर बहुत कम था। 2015 में नौकरी और कमाई के साधनों से दूर 10912 लोगों ने खुदकुशी की, जबकि इसी अवधि में किसानों के आत्महत्या के 12602 मामले दर्ज किए गए थे। बेरोजगारों द्वारा खुदकुशी के जारी किए गए सरकारी आंकड़ों से कई तथ्यों का पता चलता है. इस कैटेगरी में सुसाइड करने वाले 82 फीसदी लोग पुरुष हैं. खुदकुशी के ज्यादा मामले केरल (1585) तमिलनाडु (1579), महाराष्ट्र (1260) कर्नाटक (1094) और उत्तर प्रदेश (902) में दर्ज किए गए हैं। साल 2018 में 5763 किसानों और 4586 खेतिहर मजदूरों ने खुदकुशी की है।