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धेनुम आश्रय सदनम से बोले टांडा के चिकित्सा अधीक्षक, लंगर छोड़ो… स्ट्रैचर-कुर्सियां अनुदान में दे दो
Last Updated on January 20, 2020 by Sintu Kumar
कांगड़ा। टांडा अस्पताल (Tanda Hospital) में सांयकालीन लंगर लगाने की मनाही के मामले को लेकर सोमवार को डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडीकल कॉलेज (Dr. Rajendra Prasad Medical College) एवं अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक तथा धेनुम आश्रय सदनम के सदस्यों की एक बैठक हुई। बैठक में लंगर संचालन के मुद्दे को सुलझाने के दौरान ट्रस्ट के सदस्यों को कहा गया कि लंगर छोड़ो तथा अस्पताल को स्ट्रैचर व कुर्सियां अनुदान में दे दो, जिसपर ट्रस्ट के सदस्यों ने दो टूक शब्दों में स्पष्ट किया कि यह काम सरकार का है।
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एक तरफ टीएमसी प्रशासन ने धेनुम आश्रय सदनम सहित एक चैरेटीबल ट्रस्ट व यूथ कल्ब को अस्पताल परिसर के अंदर लंगर संचालन को लेकर लिखित में महामारी नियंत्रण अधिनियम तथा खाद्य सुरक्षा अधिनियम का हवाला देकर रोक लगाने के निर्देश जारी किए हैं। वहीं, दुसरी तरफ एक अन्य संस्था पर मेहरबान होते हुए उसे अस्पताल के अंदर चाय, ब्रैड, बिस्कुट परोसने की मंजूरी बरकरार रख कर सरकार की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। जिसके चलते कांगड़ा की सामाजिक संस्थाएं जनहित के लिए किए जा रहे कार्यों पर अफसरशाही की लगाम कसने से हैरान हैं। उनके अनुसार लंगर पर रोक जनहित की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। कथित तौर पर लंगर पर लगने वाली बंदिश को अफसरशाही की मिलीभगत का नतीजा माना जा रहा है।
छह माह पूर्व ली थी लंगर लगाने की मंजूरी
धेनुम आश्रय सदनम को छह माह पूर्व सप्ताह में एक बार लंगर लगाने की मंजूरी चिकित्सा अधीक्षक द्वारा ही प्रदान की गई थी। तब संस्था ने रोज़ लंगर लगाने की मंजूरी के लिए आवेदन किया तो ट्रस्ट को खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत पंजीकृत होने को कहा गया। तदोपरांत ट्रस्ट ने अपना पंजीकरण करा कर प्रमाण पत्र अस्पताल प्रशासन को सौंप दिया। खाद्य नियमों का अनुसरण करते हुए सप्ताह में दो बार लंगर सेवा शुरू कर दी। नववर्ष के आगमन पर ट्रस्ट ने सप्ताह में चार दिन गरीब तीमारदारों को लंगर मुहैया कराना शुरू कर दिया, जिसकी मरीजों व तीमारदारों सहित अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं की तरफ से सराहना की गई, लेकिन अचानक अस्पताल प्रशासन की तरफ लंगर रोकने के निर्देश लोगों के गले नहीं उतर रहे हैं।
धेनुम आश्रय सदनम ने खटखटाया उच्च न्यायालय का दरवाजा
लंगर लगाने को लेकर लिखित मनाही का आदेश पाकर धेनुम आश्रय सदनम ने उच्च न्यायलय का दरवाजा खटखटाया है। ट्रस्ट के संस्थापक अजय सहगल का कहना है कि अस्पताल में गरीब मरीजों व तीमारदारों को लंगर सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयास जारी रहेंगे। इस संदर्भ में हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायलय के पूर्व डिप्टी जनरल एडोवोकेट एवं अधिवक्ता विनय शर्मा ने कहा कि धेनुम आश्रय सदनम की लंगर संचालन को लेकर जनहित याचिका दायर कर दी गई है। वो न्यायालय से मांग करेंगे कि जिस प्रकार आलमाइटी ब्लैसिंग संस्था शिमला के अस्पतालों में, जनहित मोर्चा ऊना के अस्पतालों में, अन्नपूर्णा पालमपुर में तथा सेवा भारती टीएमसी में लंगर संचालित कर रही है। उसी तर्ज़ पर धेनुम आश्रय सदनम को लंगर लगाने की जनहित में मंजूरी प्रदान की जाए।