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हिमाचल प्रदेश के हस्तशिल्पों को बढ़ावा देने का EPCH का जोरदार प्रयास
Last Updated on February 9, 2020 by
नई दिल्ली। हस्तशिल्प सेक्टर के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए ईपीसीएच (EPCH) ना केवल कई गतिविधियों का आयोजन करती है बल्कि देश के विभिन्न शिल्प क्लस्टर्स में हस्तशिल्प उत्पादन में लगे कारीगरों और शिल्पकारों के उत्थान के लिए भी काम करती है, खास कर समाज के कमजोर वर्ग से संबंधित महिलाओं के लिए। ईपीसीएच के महानिदेशक राकेश कुमार ने बताया कि ईपीसीएच समय-समय पर वर्कशॉप, सेमिनार और उद्यमिता एवं डिजाइन विकास कार्यक्रम आयोजित करती रहती है ताकि देश के भीतरी इलाकों से बेहतरीन शिल्प उत्पादन में लगे हमारे कारीगरों को डिजाइन में सहयोग दिया जा सके जिससे वो प्रचलित डिजाइनों और वर्तमान अंतरराष्ट्रीय ट्रेंड्स के अनुसार अपने उत्पादों को तैयार करने में और सक्षम हो सकें।
हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में जागरूकता सेमिनार (Seminar) के दौरान कुमार ने कहा, ‘हिमाचल प्रदेश देवभूमि के रूप में लोकप्रिय है। हिमाचल प्रदेश के कारीगरों के रचनात्मक दिमाग ने यहां के हस्तशिल्पों की एक आश्चर्यजनक रेंज को तैयार किया है। हिमाचल प्रदेश के पास पेश करने के लिए बहुत कुछ है। स्टोन, धातु की मूर्तियों से लेकर गुड़ियों तक, पॉटरी, पेंटिंग, रग्स, कार्पेट्स, शॉल और जूलरी हिमाचल प्रदेश के उत्कृष्ट शिल्प हैं। लेकिन हिमाचल प्रदेश के कारीगरों और शिल्पकारों को बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि डिजाइन डिवेलप्मेंट, शिल्प कौशल में सुधार, मार्केट लिंकेज, पैकेजिंग, क्वालिटी कम्पलाइअन्स और डिजिटल मार्केटिंग का महत्व इत्यादि। कुल मिलाकर इन चुनौतियों से हिमाचल प्रदेश के शिल्पों की मार्केटिंग में बाधा आ रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में हिमाचल प्रदेश के शिल्पों की बड़ी मांग को देखते हुए ईपीसीएच राज्य में कुल्लू शॉल कारीगरों, बांस शिल्पों के कौशल विकास के कार्यक्रम जैसी कई गतिविधियां पहले से ही चला रही है।’
कुमार ने विस्तार से बताया कि परिषद ने हमीरपुर (Hamirpur) और कांगड़ा (Kangra) में पारंपरिक हाथ कढ़ाई और बांस शिल्प के लिए हस्तशिल्प तकनीकी प्रशिक्षण भी शुरू किया है। ईपीसीएच ने अंतरराष्ट्रीय मेले में हिमाचली शिल्प का प्रतिनिधित्व भी सुनिश्चित किया है और घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजार की मांग के अनुसार उत्पादों को तैयार करने की दिशा में डिजाइनों में भी कई बदलाव करवाए हैं। उन्होंने बताया कि, परिषद ने इसके अलावा हिमाचल प्रदेश के हस्तशिल्प के समग्र विकास और प्रचार को शुरू करने का फैसला किया है जिसमें कौशल प्रशिक्षण, डिजाइन में सुधार और उत्पाद विकास, उद्यमिता विकास, ब्रांडिंग और प्रचार, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मेलों और प्रदर्शनियों में भागीदारी, इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना, उत्पादकों का ग्रुप बनाना शामिल है, ताकि हिमाचल प्रदेश के शिल्पों की एक ओवरऑल ब्रांड इमेज बनाई जा सके।
ईपीसीएच के महानिदेशक ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के लिए इसकी रूपरेखा तय करने की दिशा में राज्य प्रशासन और केंद्र सरकार के साथ कई बैठकों का आयोजन किया गया और ईपीसीएच ने प्रचार गतिविधियों को शुरू करने के लिए राज्य सरकार को पहले ही प्रस्ताव सौंप दिया है।