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इस जिला के किसानों को आवारा और जंगली पशुओं से मिली निजात, पढ़ें क्या है कारण
Last Updated on February 17, 2020 by Deepak
ऊना। जंगली व बेसहारा पशुओं के आतंक से परेशान जिला ऊना के उपमंडल बंगाणा के गांव मुच्छाली के किसानों के लिए मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना (Mukhyamantri khet sanrakshan yojna) मील का पत्थर सिद्ध हो रही है। इस योजना का लाभ लेकर मुच्छाली गांव के वार्ड नंबर 5 के 45 किसान परिवार दोबारा से किसानी की राह पर चल पड़े हैं। गांव में जानवरों के आतंक के चलते पहले ये किसान खेती से मुंह मोड़ चुके थे, लेकिन कृषकों ने कृषि विभाग के सहयोग से सामूहिक तौर पर 12 हेक्टेयर भूमि पर करीब 1650 मीटर सौर ऊर्जा वाली बाड़ लगाकर बाड़बंदी की, जिसके बाद वे अब यहां पर गेंहूं व सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं।
मुच्छाली (Muchali) में सौर बाड़बंदी का कुल खर्च लगभग 15 लाख रुपए आया, जिसमें से 15 प्रतिशत का योगदान किसानों ने किया, जबकि 85 प्रतिशत उन्हें सब्सिडी के तौर पर मिले। इस योजना के अंतर्गत किसानों के खेत के चारों ओर बाड़ लगाई जाती है, ताकि जानवर खेत के अंदर दाखिल होकर फसलों को नुकसान न पहुंचा सकें। बाड़ को सोलर लाइट के माध्यम से संचालित किया जाता है और इसे चलाने में बिजली का इस्तेमाल नहीं किया जाता, जिससे पैसों की बचत होती है।
सौर बाड़ (Solar fence) में हल्का सौर आधारित करंट होता है और जैसे ही कोई जानवर तार के संपर्क में आता है तो उसे हल्का करंट लगता है, जिससे जानवर भाग जाता है। करंट हल्का होने के चलते इंसान के इसके संपर्क में आने से उसको किसी प्रकार का नुकसान नहीं होता। सौर बाड़ लगाने की योजना का लाभ लेने वाले किसानों का कहना है कि प्रदेश सरकार की यह योजना लाभकारी है और जानवरों से फसल को पहुंचने वाला नुकसान कम हो गया है, जिससे उनकी आय में बढ़ोतरी हुई है।
वहीं, कृषि विभाग के उपनिदेशक सुरेश कपूर ने बताया कि जंगली जानवरों के आतंक के कारण कई लोग खेतीबाड़ी छोड़ चुके थे, लेकिन मुख्यमंत्री खेत संरक्षण योजना के तहत बाड़बंदी होने से किसानों ने दोबारा उसी भूमि पर खेती शुरू कर दी है। कृषि उपनिदेशक ने बताया कि ऊना जिला में करीब 600 हेक्टेयर भूमि पर इस योजना के तहत बाड़बंदी की गई है।