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तिब्बतियों का New Year Losar शुरू,मैक्लोडगंज-शिमला में पूजा-अर्चना
Last Updated on February 24, 2020 by Deepak
मैक्लोडगंज/शिमला। निर्वासन में रहने वाले तिब्बती (Tibetan)आज से अपना नव वर्ष यानी लोसर (New YearLosar)मना रहे हैं। 26 तक चलने वाले इस लोसर के दौरान आज सुबह मैक्लोडगंज (McLeodganj) स्थित मुख्य बौद्व मंदिर में पूजा-अर्चना हुई, जिसमें तिब्बती समुदाय ने भारी संख्या में भाग लिया।इसके बाद सब लोग अपने-अपने घरों में लौटकर इसे परंपरागत तौर पर मना रहे हैं। यह तिब्बती समुदाय का प्रमुख धार्मिक उत्सव है जिसे ये लोग उसी उल्लास से मनाते हैं जैसे हिंदुओं में दीपावली या होली का पर्व मनाया जाता है। तिब्बतियों में एक आम कहावत है लोसर इज लेसर जिसका अर्थ है नया साल नया काम। राजधानी शिमला स्थित दोरजे द्रक मठ में भी पूजा की गई।
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लोसर के अवसर पर केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के आफिस सहित तिब्बती संस्थान तीन दिंन तक बंद रहेंगे। जाहिर है इस साल कोरोना वायरस के चलते लोसर सादगी से मनाया जा रहा है। इस संबंध में केंद्रीय तिब्बती प्रशासन ने एक संदेश भी जारी किया था। लोसर के दौरान मांस का सेवन पूरी तरह से वर्जित रहेगा। तिब्बति कैलेंडर के अनुसार यह 2147 वा वर्ष है और इसका शुभारंभ मेल आयरल माउस है। आज लोग अपने घरों के मंदिरों में तथा बौद्ध मंठ में पूजा करेंगे।
इस पर्व के दौरान निर्वासित तिब्बती विशेष पूजा अर्चना कर ईष्टदेव से बुरी आत्माओं को घरों से दूर करने तथा उनके घरों में निवास करने की कामना की जाती है। तिब्बती समुदाय लोसर पर्व के लिए दो माह पहले छांग (देसी मदिरा) तैयार करना शुरू कर देता है। देसी मदिरा का पहले अपने ईष्ट को भोग लगाया जाता है, उसके बाद स्वयं या रिश्तेदारों को आदान-प्रदान किया जाता है। समुदाय पर्व के दौरान भगवान को चढ़ाने के लिए मैदे से खपसे (मटर की तरह दिखने वाले) व्यंजन बनाते हैं।