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क्योंथल रियासत के भ्रमण पर निकले डोमेश्वर देवता पहुंचे पीरन-ट्रहाई
Last Updated on March 15, 2020 by Deepak
शिमला। क्योंथल रियासत के भ्रमण पर निकले डूमेश्वर देवता गुठान कोटखाई पीरन व ट्रहाई गांव में पहूंचे जहां पर स्थानीय लोगों द्वारा देवता व इनके साथ आए सभी कारदारों का भव्य स्वागत किया गया । इस मौके पर देवलुओं द्वारा देवता के रथ के साथ चोल्टू नृत्य, जिसे जातर कहा जाता है, प्रस्तुत करके लोगों द्वारा भरपूर मनोरंजन करवाया गया। इससे पहले डोमेश्वर देवता द्वारा क्योंथल रियासत के राजा को उनके महल में जाकर आशीर्वाद दिया गया ।
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देवता के गुर अर्थात देवा अमर सिंह ठाकुर और भंडारी सुभाष ने बताया कि कालांतर से डोम देवता गुठान का साम्राज्य 22 रियासतों एवं 18 ठकुराईयों में माना जाता है और डोमेश्वर देवता अपनी प्रजा को आशीर्वाद देने के उददेश्य से राजा जुन्गा के आदेशानुसार 20 वर्ष उपरांत भ्रमण पर निकलते हैं । उन्होंने बताया कि अप्रैल 2019 को क्योंथल रियासत के भ्रमण पर निकले हैं और 22 रियासतों और 18 ठकुराईयों के भ्रमण पर करीब तीन वर्ष लग जाएंगे। उन्होंने जानकारी दी कि डोमेश्वर देवता का इतिहास क्योंथल रियासत के राजा से जुड़ा है । कालांतर में राजा जुन्गा द्वारा गुठान के अहिचा ब्राह्मण की हत्या करने पर कुष्ठ रोग हो गया था । राजा द्वारा कुष्ठ रोग निवारण और वंशावली के लिए काफी जप तप और अपने कुल देवता जुन्गा की आराधना की गई परंतु जब कोई राहत नहीं मिली तो राजा जुन्गा द्वारा डोमेश्वर देवता को आमंत्रित किया गया ।
ब्राह्मण हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए डोम देवता ने राजा जुन्गा को कहा कि वह चायल के समीप भलावग में 84 हाथ लंबा तालाब बनाए और उसे अश्विनी खड्ड से पानी लाकर भरा जाए । इसके अतिरिक्त 84 कन्याओं व 84 ब्राह्मणों को जमाएं और 84 गऊओं का दान करें तभी वह ब्रह्म हत्या से मुक्त होगें । राजा द्वारा भलावग नामक स्थान पर 84 हाथ लंबा तालाब तैयार करवाया गया और पूरी प्रजा द्वारा अश्विनी खड्ड से पानी लाकर भरा गया । डोमेश्वर देवता की कृपा से राजा जुन्गा ब्रह्म हत्या से मुक्त हुए और उनके घर संतान भी हुई । इनका कहना है कि कालांतर में डोमेश्वर देवता क्योंथल रियासत के शासक की राजगद्दी समारोह तथा संतान होने पर विशेष तौर पर महल में अनिवार्य रूप से आते थे । उन्होने बताया कि राजा जुन्गा द्वारा डोम देवता से आग्रह किया गया कि वह 20 वर्षों के उपंरात 22 रियासत और 18 ठकुराईयों का भ्रमण करके प्रजा को आशीर्वाद दें। उन्होने बताया कि वचनबद्ध डोमेश्वर देवता कालांतर से इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं ।
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