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विज्ञान विषयः अध्याय-14 … ऊर्जा के स्त्रोत
Last Updated on March 16, 2020 by Sintu Kumar
प्रश्न 1. ऊर्जा का उत्तम (आदर्श) स्रोत किसे कहते हैं?
(H.P. 2009, Set A, 2010 Set-A, 2011 Set-A, 2012 Set-C, 2014 Set-C, 2015-A)
उत्तर-हमें अपने दैनिक जीवन की अनेक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ऊर्जा के स्रोत की परम आवश्यकता होती है। भोजन पकाने के लिए, हीटर चलाने के लिए, यात्रा करने के लिए वाहन आदि में ऊर्जा की ज़रूरत पड़ती है। ऊर्जा का उत्तम स्रोत वह है जिसमें निम्नलिखित विशेषताएं हों-
(i) जिस का प्रति एकांक द्रव्यमान अधिक कार्य करे।
(ii) भंडारण और परिवहन सरल हो।
(iii) सरलता से प्राप्त हो जाता हो।
(iv) सस्ता हो।
प्रश्न 2. उत्तम ईंधन किसे कहते हैं? (H.P. 2009, Set-B, 2010 Set-A, 2011, Set-A, C, 2012, Set-A)
उत्तर-(1) इसका ऊष्मीय मान (कैलोरीमान) अधिक होना चाहिए।
(2) ईंधन का ज्वलन ताप उचित होना चाहिए।
(3) ईंधन के दहन की दर संतुलित होनी चाहिए अर्थात न अधिक हो और न कम।
(4) ईंधन में अज्वलनशील पदार्थों की मात्रा जितनी कम हो उतना अच्छा होता है।
(5) दहन के पश्चात विषैले पदार्थों की उत्पत्ति कम-से-कम होनी चाहिए।
(6) ईंधन की उपलब्धता पर्याप्त तथा सुलभ होनी चाहिए।
(7) ईंधन कम मूल्य पर प्राप्त हो सके।
(8) ईंधन का आसानी से भंडारण तथा परिवहन सुरक्षित होना चाहिए।
प्रश्न 3. यदि आप अपने भोजन को गर्म करने के लिए किसी भी ऊर्जा स्त्रोत का उपयोग कर सकते हैं तो आप किस का उपयोग करेंगे और क्यों? (H.P. 2009, Set-A)
उत्तर-हम अपना भोजन गर्म करने के लिए LPG (द्रवित पेट्रोलियम गैस) का उपयोग करना पसंद करेंगे। क्योंकि इसमें उत्तम ईंधन की अनेक विशेषताएं विद्ययमान हैं। इसका ज्वलनांक अधिक नहीं है, कैलोरीमान अधिक है, दहन संतुलित दर से होता है तथा दहन के बाद विषैले पदार्थों को उत्पन्न नहीं करती।
प्रश्न–
प्रश्न 1. जीवाश्म ईंधन की क्या हानियां हैं? (H.P. 2009, Set-C, 2012, Set-A, 2015, 2016 Set-A)
उत्तर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं और अब हमारे पास इनके सीमित भंडार ही बचे हैं। यह शीघ्र रिक्त हो जाएंगे। जीवाश्म ईंधन को जलाने से कार्बन, नाइट्रोजन और सल्फर के ऑक्साइड उत्पन्न होते हैं। सल्फर के ऑक्साइड अम्लीय होते हैं और वे अम्लीय वर्षा का कारण बनते हैं जिससे हमारे जल और मृदा के संसाधनों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जीवाश्म ईंधन के जलने से वायु में हानिकारक कणिकाएं और धुआँ प्रदूषण फैलाते हैं जिस कारण कई तरह के श्वसन संबंधी रोग फैलते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड ग्रीन हाऊस प्रभाव से वातावरणीय तापमान में वृद्धि करती है और कार्बन मोनोऑक्साइड तो बंद कमरों में सोये हुए लोगों में कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन बना कर उनका जीवन ही ले लेती है।
प्रश्न 2. हम ऊर्जा के वैकल्पिक स्त्रोतों की ओर क्यों ध्यान दे रहे हैं?
अथवा
ऊर्जा संकट से क्या अभिप्राय है? (H.P. 2011, Set-A, 2014 Set-A, B)
उत्तर-हमारे जीवन के लिए ऊर्जा का प्रयोग आवश्यक है। खाना पकाने, बिजली उत्पन्न करने, कल-कारखानों को चलाने और वाहनों के लिए हमें ऊर्जा की आवश्यकता होती है जिसे अधिकतर हम ईंधनों और बिजली से प्राप्त करते हैं। पृथ्वी में संचित कोयला और पेट्रोलियम लंबे समय तक हमारी आवश्यकताओं को पूरा करते रहे हैं। अभी भी ये धरती की गहराई में विद्यमान हैं और इन्हें हम प्राप्त कर रहे हैं। पर ये अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत हैं। इनका एक बार प्रयोग कर लेने के बाद इनका उपयोग पुनः नहीं हो सकता इसलिए आवश्यक है कि हम उस ऊर्जा का अधिक से-अधिक उपयोग करें जो नवीकरणीय है। सौर ऊर्जा ही अंततः हमारे लिए ऐसा स्रोत है जो पवनों और जल के माध्यम से ऊर्जा प्रदान कराने का आधार बनता है। सूर्य से प्राप्त होने वाली ऊर्जा परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप में सभी प्रकार की ऊर्जाओं का कारण बनती है। इसी ऊर्जा का रूपांतरण हमारी सभी ऊर्जाओं की आधारशिला है। पवन की संवहनी धाराएं पवन चक्रवात, तूफान, वर्षा, हिमपात आदि सूर्य की ऊष्मा के कारण ही आते हैं जिन्हें प्रयत्न से विभिन्न ऊर्जाओं में रूपांतरित कर के हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं। सौर ऊर्जा का सीधा प्रयोग युगों से किया जा रहा है। यह आवश्यक है कि सौर ऊर्जा पर आधारित नवीकरणीय ऊर्जाओं का अधिक प्रयोग किया जाए। कोयला और पेट्रोलियम जैसे जीवाश्मी ईंधन तो अनवीकरणीय हैं और कुछ वर्ष बाद समाप्त हो जाएंगे। हमारी आवश्यकताएं निरंतर बढ रही हैं। उन्हें पूरा करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग में वृद्धि करनी चाहिए ताकि भविष्य में हमें ऊर्जा संकट का सामना न करना पड़े। नवीकरणीय ऊर्जा से वातावरण का प्रदूषण भी रोका जा सकता है।
प्रश्न 3. हमारी सुविधा के लिए पवनों तथा जल ऊर्जा के पारंपरिक उपयोग में किस प्रकार के सुधार किए गए हैं?
उत्तर-पवनों तथा जल ऊर्जा का लंबे समय से प्रयोग मानव के द्वारा पारंपरिक रूप से किया जाता रहा है। वर्तमान में इन में कुछ सुधार किए गए हैं ताकि इनसे ऊर्जा की प्राप्ति सरलता, सहजता और सुगमता से हो।
- पवन ऊर्जा-सूर्य के विकिरणों से भूखंडों और जलाशयों के आसमान गर्म होने के कारण वायु में गति उत्पन्न होती है और पवनों का प्रवाह होता है। पहले पवन ऊर्जा से पवन चक्कियां चला कर कुओं से जल खींचने का काम होता था लेकिन अब पवन ऊर्जा का उपयोग विद्युत उत्पन्न करने में किया जाने लगा है। विद्युत उत्पन्न करने के लिए अनेक पवन चक्कियों को किसी विशाल क्षेत्र में लगाया जाता है। ऐसे क्षेत्र को पवन ऊर्जा फार्म कहते हैं। जिन स्थानों पर 15km/h से अधिक गति से पवनें चलती हैं। जनित्रों से भी पवन चक्कियों की पंखुड़ियों को घूर्णी गति दी जा सकती है।
- जल ऊर्जा-जल वैद्युत् संयंत्रों में ऊंचाई से गिरते जल की स्थितिज ऊर्जा को विद्युत में रूपांतरित किया जाता है। ऐसे जल प्रपातों की संख्या बहुत कम है जिनका उपयोग स्थितिज ऊर्जा के स्रोत के रूप में किया जा सकता है। इसलिए अब जल विद्युत संयंत्रों को बांधों से संबंधित किया गया है। विश्व भर में बड़ी संख्या में बांध बनाए गए हैं। हमारे देश में विद्युत ऊर्जा की मांग का एक चौथाई भाग जल वैद्युत संयंत्रों से पूरा होता है। जल विद्युत उत्पन्न करने के लिए नदियों के बहाव को रोक कर बड़ी-बड़ी कृत्रिम झीलों में जल इकट्ठा कर लिया जाता है। इस प्रक्रिया में जल की गतिज ऊर्जा को स्थितिज ऊर्जा में रूपांतरित कर लिया जाता है। बांध के ऊपरी भाग से पाइपों द्वारा जल को बांध के आधार पर स्थापित टरबाइन के ब्लेडों पर गिराया जाता है जो विद्युत ऊर्जा को उत्पन्न कराते हैं।
प्रश्न–
प्रश्न 1. सौर कुक्कर के लिए कौन सा दर्पण-अवतल, उत्तल अथवा समतल, सर्वाधिक उपयुक्त होता है? क्यों?
उत्तर-सौर कुक्कर में समतल दर्पण सर्वाधिक उपयुक्त होता है क्योंकि यह प्रकाश की सभी किरणों को वांछित स्थान की ओर परावर्तित कर देता है।
प्रश्न 2. महासागरों से प्राप्त हो सकने वाली ऊर्जाओं की क्या सीमाएं हैं? (H.P. 2013, Set-B)
उत्तर-महासागरों से अपार ऊर्जा की प्राप्ति हो सकती है लेकिन सदा ऐसा संभव नहीं हो सकता क्योंकि महासागरों से ऊर्जा रूपांतरण की तीन विधियों-ज्वारीय ऊर्जा, तरंग ऊर्जा और सागरीय तापीय ऊर्जा की अपनी-अपनी सीमाएं हैं।
1.ज्वारीय ऊर्जा (H.P.2013. Set-A) –ज्वारीय ऊर्जा का दोहन सागर के किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बांध बना कर किया जाता है। बांध के द्वार पर स्थापित टरबाइन ज्वारीय ऊर्जा को विद्युत में रूपांतरित कर देता है। सांगर के संकीर्ण क्षेत्र पर बांध निर्मित करने योग्य उचित स्थितियां सरलता से उपलब्ध नहीं होती।
- तरंग ऊर्जा-तरंग ऊर्जा का व्यावहारिक उपयोग केवल वहीं हो सकता है जहां तरंगें अति प्रबल हों। विश्वभर में ऐसे स्थान बहुत कम हैं जहां सागर के तटों पर तरंगें इतनी प्रबलता से टकराती हों कि उनकी ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित किया जा सके।
3.सागरीय तापीय ऊर्जा-सागरीय तापीय ऊर्जा की प्राप्ति के लिए संयंत्र (OTEC) तभी कार्य कर सकता है जब महासागर के पृष्ठ पर जल का ताप तथा 2 कि० मी० तक की गहराई पर जल के ताप में 20°C का अंतर हो। इस प्रकार विद्युत ऊर्जा प्राप्त हो सकती है पर यह प्रणाली बहुत महंगी है।
प्रश्न 3. भूतापीय (Geothermal) ऊर्जा क्या होती है? (H.P. 2008, 2010, 2011, Set-B, 2014 Set-A)
उत्तर-भूपर्पटी की गहराइयों में भौमिकीय परिवर्तनों के कारण तप्त क्षेत्रों में चट्टानें ऊपर की ओर धकेल दी जाती हैं। जब भूमिगत जल इन तपे हुए स्थलों के संपर्क में आता है तो भाप उत्पन्न होती है। कभी-कभी तप्त जल को पृथ्वी के पृष्ठ से बाहर निकलने का निकास मार्ग मिल जाता है जिसे गर्म चश्मा या ऊष्ण स्रोत कहते हैं। कभी-कभी भाप चट्टानों के बीच रुक जाती है और इसका दाब बहुत अधिक हो जाता है। पाइप डालकर भाप को बाहर निकाल लिया जाता है और उसकी सहायता से विद्युत जनित्रों के द्वारा विद्युत उत्पन्न की जाती है। अत: भौमिकीय परिवर्तनों के कारण भूपपर्टी की गहराइयों से तप्त स्थल और भूमिगत जल से बनी भाप से उत्पन्न ऊर्जा को भूतापीय ऊर्जा कहते हैं।
प्रश्न 4. नाभिकीय ऊर्जा का क्या महत्त्व है? (H.P. 2009, 2010, Set-C, 2015)
अथवा
नाभिकीय रिएक्टरों से विद्युत ऊर्जा कैसे प्राप्त की जाती है? (H.P. 2013 Set-B, 2014 Set-A)
उत्तर-नाभिकीय ऊर्जा भारी नाभिकीय परमाणु (यूरेनियम, प्लूटोनियम, थोरियम) के नाभिक पर निम्न ऊर्जा न्यूट्रॉन से बमबारी करके हल्के नाभिकों में तोड़ा जा सकता है जिससे विशाल मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है। यूरेनियम के एक परमाणु के विखंडन से जो ऊर्जा मुक्त होता है वह कोयले के किसी कार्बन परमाणु के दहन से उत्पन्न ऊर्जा की तुलना में एक करोड़ गुना अधिक होती है। अत: नाभिकीय विखंडन से अपार ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। अनेक विकसित और विकासशील देश नाभिकीय ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा का रूपांतरण कर रहे हैं।
प्रश्न
प्रश्न 1. क्या कोई ऊर्जा स्रोत प्रदूषण मुक्त हो सकता है? क्यों अथवा क्यों नहीं? (H.P. 2014, Set-C)
उत्तर-नहीं, कोई भी ऊर्जा स्रोत पूर्ण रूप से प्रदूषण मुक्त नही हो सकता, चाहे ऊर्जा स्रोत स्वच्छ हो पर फिर भी वह पर्यावरण को किसी न किसी प्रकार क्षति पहुँचाता है। सौर-सेल को प्रायः प्रदूषण मुक्त कहते हैं लेकिन इस युक्ति के निर्माण में पर्यावरणीय क्षति होती ही है।
प्रश्न 2. राकेट ईंधन के रूप में हाइड्रोजन का उपयोग किया जाता रहा है। क्या आप इसे CNG की तुलना में अधिक स्वच्छ ईंधन मानते हैं? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर-हाइड्रोजन निश्चित रूप से CNG से स्वच्छ ईंधन है क्योंकि यह दहन क्रिया में CO2 को उत्पन्न नहीं करती और न ही इसका अपूर्ण दहन होता है।
प्रश्न–
प्रश्न 1. ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप नवीकरणीय मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए। (H.P. 2009, Set-B, 2011, Set-C, 2012, Set-A, 2013 Set-A, 2014 Set-C, 2015 Set-A)
उत्तर-वायु ऊर्जा, पवन ऊर्जा और सागरीय ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत हैं क्योंकि इनका प्रयोग तब तक किया जा सकता है जब तक हमारा सौर परिवार की समान परिस्थितियां बनी रहेंगी।
प्रश्न 2. ऐसे दो ऊर्जा स्रोतों के नाम लिखिए जिन्हें आप समापन योग्य मानते हैं। अपने चयन के लिए तर्क दीजिए। (H.P. 2011, Set-B, 2013 Set-A, B, C, 2014 Set A)
उत्तर-कोयला और पेट्रोलियम ऐसे ऊर्जा स्रोत हैं जिन्हें समापन योग्य माना जाता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि लगभग 200 वर्ष तक ये पृथ्वी से समाप्त हो जाएंगे जबकि इनके निर्माण में लाखों वर्ष लगते हैं।
अभ्यास के प्रश्नों के उत्तर
प्रश्न 1. गर्म जल प्राप्त करने के लिए हम सौर जल तापक का उपयोग किस दिन नहीं कर सकते?
(a) धूप वाले दिन (b) बादलों वाले दिन
(c) गर्म दिन (d) वायु पवनों वाले दिन।
उत्तर-(b) बादलों वाले दिन।
प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन जैव मात्रा ऊर्जा स्रोत का उदाहरण नहीं है?
(a) लकड़ी (b) गोबर गैस
(c) नाभिकीय ऊर्जा (d) कोयला।
उत्तर-(c) परमाणु ऊर्जा।
प्रश्न 3. जितने ऊर्जा स्रोत हम उपयोग में लाते हैं उनमें से अधिकांश सौर ऊर्जा को निरूपित करते हैं। निम्नलिखित में से कौन-सा ऊर्जा स्रोत अंततः सौर ऊर्जा से व्युत्पन्न नहीं है।
(a) भूतापीय ऊर्जा (b) पवन ऊर्जा
(c) नाभिकीय ऊर्जा (d) जैव मात्रा।
उत्तर-(a) भूतापीय ऊर्जा।
प्रश्न 4. ऊर्जा स्रोत के रूप में जीवाश्म ईंधनों तथा सूर्य की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए।
उत्तर–
जीवाश्म ईंधन | सूर्य |
(1) यह ऊर्जा का अनवीकरणीय स्रोत है।
(2) यह प्रदूषण नहीं फैलाता है। (3) रासायनिक क्रियाओं से ऊष्मा और प्रकाश उत्पन्न करता है। (4) निरंतर ऊर्जा प्रदान नहीं कर सकता है। (5) मानव मन चाहे ढंग से उस पर नियंत्रण कर सकता है। |
(1) यह ऊर्जा का विकीरणीय स्रोत है।
(2) यह बहुत अधिक प्रदूषण फैलाता है। (3) परमाणु संलयन से बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा और प्रकाश उत्पन्न करता है। (4) निरंतर ऊर्जा प्रदान करता है। (5) मनचाहे ढंग से उसमें ऊर्जा उत्पत्ति पर मानव किसी भी अवस्था में नियंत्रण नहीं कर सकता। |
प्रश्न 5. जैव मात्रा तथा ऊर्जा स्रोत के रूप में जल वैद्युत की तुलना कीजिए और उनमें अंतर लिखिए।
उत्तर-(क) ऊर्जा के स्रोत रूप में जैव मात्रा-यह ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है। यह स्वच्छ ईंधन है लेकिन इसकी उपलब्धता बहुत बड़ी मात्रा के रूप में नहीं हो सकती।
(ख) ऊर्जा के स्रोत रूप में जल वैद्युत-यह ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है। यह स्वच्छ ईंधन है। इसकी उपलब्धता बहुत बड़ी मात्रा के रूप में हो सकती है। इस के कारण पर्यावरण में अनेक परिवर्तन आते हैं।
प्रश्न 6. निम्नलिखित से ऊर्जा निष्कर्षित की सीमाएं लिखिए–
(a) पवनें (H.P. 2013, Set-C, 2015 Set-B) (b) तरंगें (H.P. 2013, Set-B) (c) ज्वार भाटा।
(H.P. 2013, Set-A)
उत्तर-(a) पवनें–
(i) पवन ऊर्जा निष्कर्षण के लिए पवन ऊर्जा फार्म की स्थापना हेतु बहुत अधिक बड़े स्थान की आवश्यकता होती है।
(ii) पवन ऊर्जा तभी उत्पन्न हो सकती है जब हवा की गति 15km/h से अधिक हो।
(iii) हवा की तेज़ गति के कारण टूट-फूट और नुकसान की संभावनाएं अधिक होती हैं।
(b) तरंगें–
(i) तरंग ऊर्जा तभी प्राप्त की जा सकती है जब तरंगें बहुत प्रबल हों।
(ii) इसके समय और स्थिति बहुत बड़ी परिसीमाएं हैं।
(c) ज्वार–
ज्वारभाटा के कारण सागर की लहरों का चढ़ना और गिरना घूर्णन गति करती पृथ्वी पर मुख्य रूप से चंद्रमा के गुरुत्वीय खिंचाव के कारण होता है। तरंगों की ऊंचाई और बांध बनाने की स्थिति इसकी प्रमुख परिसीमाएं हैं।
प्रश्न 7. ऊर्जा स्रोतों का वर्गीकरण निम्नलिखित वर्गों में किस आधार पर करेंगे? (H.P. 2010, Set-A, B)
(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय
(H.P. 2010, Set-A, B, 2011 Set-B, 2012 Set-A, 2013 Set-A, C, 2014 Set A, 2015)
(b) समाप्य तथा असमाप्य
क्या (a) तथा (b) के विकल्प समान हैं?
उत्तर-(a) नवीकरणीय तथा अनवीकरणीय स्त्रोत–
(i) नवीकरणीय स्त्रोत-ये स्रोत ऊर्जा की उत्पत्ति तब तक करने की योग्यता रखते हैं जब तक हमारा सौर मंडल विद्यमान है। पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, सागर की तरंगें, परमाणु ऊर्जा आदि नवीकरणीय स्रोत हैं।
(ii) अनवीकरणीय स्रोत (H.P. 2010, 2011 Set A,2012 Set-A,C,2015)–ऊर्जा के ये स्रोत लाखों वर्ष पहले विशिष्ट स्थितियों में बने थे। एक बार उपयोग कर लिए जाने के बाद इन्हें बहुत लंबे समय तक पुन: उपयोग में नहीं लाया जा सकता। जीवाश्मी ईंधन कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैसें ऊर्जा के अनवीकरणीय स्रोत हैं।
(b) समाप्य तथा असमाप्य-ऊर्जा के समाप्य स्रोत अनवीकरणीय हैं जबकि असमाप्य स्रोत अनवीकरणीय हैं।
प्रश्न 8. ऊर्जा के आदर्श स्त्रोत में क्या गुण होते हैं? (H.P. 2010, 2012 Set-C, 2015)
उत्तर-(i) पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा प्रदान करने की क्षमता होनी चाहिए।
(ii) सरलता से प्रयोग करने की सुविधा से संपन्न होनी चाहिए।
(iii) समान दर से ऊर्जा उत्पन्न की उत्पत्ति होनी चाहिए।
(iv) सरल भंडारण के योग्य होनी चाहिए।
(v) परिवहन की योग्यता से युक्त होनी चाहिए।
प्रश्न 9. सौर कुकर का उपयोग करने के क्या लाभ तथा हानियां हैं? क्या ऐसे भी क्षेत्र हैं जहाँ सौर कुक्करों की सीमित उपयोगिता है? (H.P. 2010, 2013 Set-A, 2015)
उत्तर-सौर कुक्कर के लाभ–
(1) ईंधन का कोई खर्च नहीं होता।
(2) पूर्ण रूप से प्रदूषण रहित है।
(3) किसी प्रकार की गंदगी नहीं फैलती।
सौर कुक्कर की हानियां–
(1) बहुत अधिक तापमान उत्पन्न नहीं कर सकता।
(2) रात के समय काम में नहीं लाया जा सकता।
(3) बादलों वाले दिन काम नहीं कर सकता।
(4) यह 100°C – 140°C तापमान प्राप्त करने के लिए 2-3 घंटे ले लेता है।
ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जहां सौर कुक्करों का सीमित प्रयोग किया जा सकता है। जिन क्षेत्रों में आकाश प्रायः बादलों से घिरा रहता है वहां इनकी सीमित उपयोगिता है।
प्रश्न 10. ऊर्जा की बढ़ती मांग के पर्यावरणीय परिणाम क्या हैं? ऊर्जा की खपत को कम करने के उपाय लिखिए। (H.P. 2009, Set C)
उत्तर-ऊर्जा की माँग तो जनसंख्या वृद्धि के साथ निरंतर बढ़ती ही जाएगी। ऊर्जा किसी भी प्रकार की हो उसका पर्यावरण पर प्रभाव निश्चित रूप से पड़ेगा। ऊर्जा की खपत कम नहीं हो सकती। उद्योग-धंधे, वाहन, दैनिक आवश्यकताएं आदि सबके लिए ऊर्जा की आवश्यकता तो रहेगी। यह भिन्न बात है कि वह प्रदूषण फैलाएगा या पर्यावरण में परिवर्तन उत्पन्न करेगा।
ऊर्जा की बढ़ती मांग के कारण जीवाश्म ईंधन पृथ्वी की परतों के नीचे समाप्त होने के कगार पर पहुँच गया है। लगभग 200 वर्ष के बाद यह पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। जल विद्युत ऊर्जा के लिए बड़े-बड़े बांध बनाए गए हैं जिस कारण पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ा है। ऊर्जा के विभिन्न नए स्रोत खोजते समय ध्यान रखा जाना चाहिए कि उस ईंधन की कैलोरीमान अधिक हो। उसे प्राप्त करना सरल हो और उसका दाम बहुत अधिक न हो। स्रोत का पर्यावरण पर कुप्रभाव नहीं पड़ना चाहिए।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न
(OTHER IMPORTANT QUESTIONS)
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न
(Long Answer Type Questions)
प्रश्न 1. ऊर्जा स्रोत से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-प्रत्येक वह वस्तु जो किसी भी प्रकार ऊर्जा प्रदान कर सकती है उसे ऊर्जा का स्रोत माना जाता है पर उसकी उपयोगिता को सार्थक बनाकर ही ऐसा किया जा सकता है। हर नदी का पानी अधिक ऊंचाई से गिरा कर ही विद्युत ऊर्जा में बदला जा सकता है और कोयला जलने के बाद ही ऊष्मा ऊर्जा उत्पन्न करता है जिसे किसी अन्य प्रकार की ऊर्जा में रूपांतरित किया जा सकता है। ऊर्जा के स्रोत की रचना करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं-
1.स्थितिज ऊर्जा से गतिज ऊर्जा-पहाड से नीचे आने वाली नदी के प्रवाह में ऊर्जा होती है पर वह इतनी अधिक नहीं होती कि उसका विद्युत उत्पादन में प्रयोग किया जा सके। उसे बांध के पीछे रोक कर बहुत ऊंचाई से नीचे गिराया जाता है। स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदलती है। उससे विद्युत उत्पन्न की जाती है।
- उचित ऊष्मा ऊर्जा-ज्वलनशील पदार्थ उचित ऊष्मा ऊर्जा को प्राप्त करते हैं। अपने ज्वलनांक को प्राप्त करने के पश्चात ही वे जलते हैं और पानी के उबालने में सहायक बनते हैं। उत्पन्न भाप से अन्य प्रकार की ऊर्जाओं का रूपांतरण किया जा सकता है। कोयला, पेट्रोल, मिट्टी का तेल आदि बिना जले हुए किसी भी प्रकार ऊर्जा के स्रोत नहीं कहला सकते।
- प्रयोग में सुविधा-ऊर्जा का वह स्रोत अच्छा होता है जो प्रयोग की दृष्टि से सुविधाजनक हो। इस विश्व में हाइड्रोजन गैस का कैलोरीमान सबसे अधिक है और वह बहुत ज्वलनशील है पर उसे घरों-उद्योगों वाहनों आदि में ईंधन के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। वह विस्फोट के साथ जलती हैं। उसके द्वारा उत्पन्न ऊर्जा को सहजता से नियंत्रित नहीं किया जा सकता।
- सुविधाजनक भंडारण तथा परिवहन की दृष्टि से सुरक्षित-ऊर्जा का स्रोत वह है जिस का भंडारण सरलता से किया जा सके और उसे आसानी से दूसरे स्थान तक ले जा सकता हो।
प्रश्न 2. चित्र की सहायता से बॉक्सनुमा सौर-कुक्कर की संरचना व कार्य विधि का वर्णन कीजिए।
(HP. Dec. 2008, 2010 Set A, C, 2013 Set-B)
उत्तर-सौर कुक्कर के मुख्य अवयव-(i) काली सतह, (ii) साधारण कांच की पट्टी, (iii) दर्पणों की उचित व्यवस्था, (iv) ऊष्मारोधी बॉक्स।
सिद्धांत तथा कार्य विधि-काली सतह, परावर्तक सतह की तुलना से अधिक ऊष्मा का अवशोषण करती है परंतु कुछ समय पश्चात काली सतह इस अवशोषित ऊष्मा का विकिरण प्रारंभ कर देती है। ऊष्मा की इस कमी को रोकने के लिए काली पट्टी को किसी ऊष्मारोधी बॉक्स में रखकर उसे कांच की पट्टी से ढक दिया जाता है। बॉक्स की अंदर की दीवारों को काले रंग में पेंट कर दिया जाता है ताकि अधिक-से-अधिक ऊष्मा का अवशोषण हो सके तथा परावर्तन द्वारा ऊष्मा का नुकसान कम-से-कम हो सके। जब इस सौर कुक्कर को सौर प्रकाश में कुछ समय के लिए रखा जाता है तो इसकी अंदरूनी सतह सौर ऊर्जा को प्राप्त करने के पश्चात गर्म हो जाती है। अब ये सतहें स्वयं ऊष्मा को अवरक्त विकिरण के रूप में छोड़ने लगती हैं परंतु ऊपरी सतह पर स्थापित कांच की पट्टी इन विकिरणों को बाहर नहीं जाने देती। अत: बॉक्स के अंदर की ऊष्मा अंदर ही रह जाती है। सौर ऊर्जा संग्रहण के क्षेत्र को बढ़ाने के लिए पार्श्व में परावर्तक का उपयोग किया जाता है। इस कुक्कर का अंदरूनी ताप 2-3 घंटे की अवधि में 100°C से 140°C हो जाता है। इस सौर कुक्कर में उन खाद्य पदार्थों को सरलता से पकाया जा सकता है जिन्हें हल्की ऊष्मा की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 3. ऊर्जा के उन रूपों का वर्णन कीजिए जिनमें महासागरों में संचित ऊर्जा स्वयं को प्रकट करती है। उत्तर-महासागर में ऊर्जा निम्नलिखित रूपों में भंडारित है-
- ज्वारीय ऊर्जा (Tidal Energy)-घूर्णन गति कारण पृथ्वी पर चंद्रमा के गुरुत्वीय खिंचाव के कारण महासागरों में जल का स्तर चढ़ता और गिरता रहता है। इसे ज्वार-भाटा कहते हैं। ज्वार-भाटे में जल के स्तर के चढने तथा गिरने से हमें ज्वारीय ऊर्जा प्राप्त होती है। ज्वारीय ऊर्जा की प्राप्ति सागर के किसी संकीर्ण क्षेत्र पर बांध का निर्माण करके की जाती है। बांध के द्वार पर स्थापित टरबाइन ज्वारीय ऊर्जा को विद्युत में रूपांतरित कर देता है।।
- तरंग ऊर्जा (Wave Energy)– यह सागरीय लहरों से संबंधित ऊर्जा है। सागर की सतह पर चलने वाली वायु की तेज़ धाराओं से उत्पन्न हुई लहरें ऊपर उठती और नीचे गिरती रहती हैं। यह जल को निरंतर गतिशील रखती हैं। प्रतिदिन सागर की लहरें दो बार उठती-गिरती हैं जिससे तरंग ऊर्जा प्राप्त होती है। इनसे टरबाइन घुमा कर विद्युत उत्पन्न की जाती है।
- सागरीय तापीय ऊर्जा (Ocean Thermal Energy)- समुद्रों के तल का जल सूर्य द्वारा गर्म हो जाता है जबकि उनका गहराई वाला भाग अपेक्षाकृत ठंडा रहता है। ताप में इस अंतर का उपयोग सागरीय तापीय ऊर्जा रूपांतरण विद्युत संयंत्र (Ocean Thermal Energy Conversion Plant या OTEC विद्युत संयंत्र) में ऊर्जा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। OTEC विद्युत संयंत्र केवल तभी कार्य करते हैं जब समुद्र के तल पर जल का ताप तथा 2 km तक की गहराई पर जल के ताप में 20°C का अंतर हो। तल के तप्त जल का उपयोग अमोनिया जैसे वाष्पशील द्रवों को उबालने में किया जाता है। इस प्रकार बनी द्रवों की वाष्प फिर जनित्र के टरबाइन को घुमाती है। समुद्रों की गहराइयों से ठंडे जल के पंपों से खींचकर वाष्प को ठंडा करके फिर से द्रव में संघनित किया जाता है।
प्रश्न 4. जैव गैस प्राप्त करने के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए। स्पष्ट कीजिए कि अवायुजीवी (अनॉक्सी) अपघटन से क्या तात्पर्य है? (H.P. 2011, Set-B)
उत्तर-वनस्पतियों और जीव-जंतुओं के अवशेषों को पानी की उपस्थिति में ऑक्सी सूक्ष्म जीवों द्वारा निम्नकरण किया जा सकता है। जिस संयंत्र में यह प्रक्रिया की जाती है उसे बायोगैस संयंत्र कहते हैं। इस प्रक्रम में मीथेन, H2, CO2 और H2S गैसों का मिश्रण प्राप्त होता है जिसे बायोगैस कहते हैं। यह अति उत्तम ईंधन है। गोबर गैस बनने के पश्चात अवशेष में अत्यधिक पोषक तत्त्व होते हैं जिसे खाद के रूप में उपयोग करके मिट्टी को उपजाऊ बनाया जाता है। बायोगैस में 65% मीथेन होती है। इस गैस को स्टोव के माध्यम से जलाकर ऊष्मा प्राप्त की जाती है।
बायोगैस संयंत्र दो प्रकार के हैं–
(1) फिक्सड डोम टाइप-इसमें गैस की गुंबदनुमा टंकी सदा स्थिर रहती है।
(ii) गैस होल्डर या पानी में तैरती टंकी-इसमें गैस की टंकी पानी में तैरती रहती है।
इन संयंत्रों में गोबर तथा पानी डाला जाता है। इस प्रकार उत्पन्न बायोगैस को पाइपों द्वारा उचित स्थान पर ले जाया जाता है। लगातार गैस प्राप्त करने के लिए संयंत्र में लगातार अपशिष्ट जैव पदार्थ डाला जाता है। इन संयंत्रों में जीव द्रव्यमान के अतिरिक्त मानव मल का उपयोग भी किया जा सकता है। कई शहरों में घरेलू मल जल का विसर्जन विशाल बायोगैस.संयंत्रों में किया जाता है। इस प्रकार जल प्रदूषण भी नहीं होता तथा लाभदायक गैस भी प्राप्त हो जाती है।
जैव गैस (बायोगैस)-यह मीथेन, CO2, H2 तथा H2S का मिश्रण है। यह जीव जंतुओं तथा वनस्पति के अपशिष्ट पदार्थों का ऑक्सी-सूक्ष्म जीवों द्वारा ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में निम्नकरण द्वारा प्राप्त की जाती है। बायोगैस में उपस्थित मीथेन का अधिक कैलोरीमान होने के कारण यह ईंधन का काम करती है।
संयंत्र-इसमें कुआँ T आकार का भूमिगत टैंक जिसे डाइजैस्टर कहते हैं, होता है। यह ईंटों का बना होता है जिसकी छत गुंबद आकार की होती है। यह गैस होल्डर का काम करता है। इसकी छत पर गैस के निकास के लिए नली लगी होती है जिसके साथ वाल्व लगा रहता है। इसकी बाईं तरफ तिरछी अंत: चैंबर तथा दाईं ओर बाह्य द्वार होता है जोकि ईंटों तथा सीमेंट के बने होते हैं । इसमें अंत द्वार और मिक्सिंग चैंबर की भांति जुड़े होते हैं जैसे निकास द्वार तथा ओवर फ्लो टैंक जुड़े होते हैं। तैरती हुई गैस टंकी वाला बायोगैस संयंत्र लोहे की बनी बड़ी टंकी से युक्त होता है। इसमें गैस इसके नीचे इकट्ठी होती है।
प्रश्न 5. पशुओं के गोबर तथा जैव अपशिष्ट से जैवगैस बनाने के क्या लाभ हैं?
उत्तर-पशुओं के मल और जैव अवशिष्ट पदार्थों से बायोगैस प्राप्त की जाती है उसके एक नहीं अनेक लाभ हैं।
(i) जब पशुमल को उपलों के रूप में जलाते हैं तो उसमें उपस्थित नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं जो फसलों को उपलब्ध नहीं हो पाते। जैव गैस संयंत्र में गोबर का प्रयोग करने से साफ़-सुथरा ईंधन जैव गैस प्राप्त होने के बाद शेष बची स्लरी को खेतों में खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है। जो नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्वों की कमी को पूरा करती है।
(ii) गोबर के उपलों को जलाने से अत्यधिक धुआँ उत्पन्न होता है जिससे वायु प्रदूषित होती है। परंतु जैव गैस संयंत्र में गोबर के प्रयोग से उत्पन्न हुई जैव गैस बिना धुआँ जलती है जिससे वायु प्रदूषित नहीं होती।
(ii) जैव अवशिष्ट पदार्थों और पशुओं के मल के वायु में सूखने से प्रदूषण फैलता है जो बायोगैस संयंत्र के प्रयोग से समाप्त हो जाता है।
प्रश्न 6. जीवाश्म ईंधनों को अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के रूप में क्यों वर्गीकृत किया गया है? इन स्रोतों के संरक्षण के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
उत्तर-जीवाश्मी ईंधन आज से लाखों-करोड़ों वर्ष पहले पृथ्वी की सतह पर होने वाले परिवर्तनों के परिणामस्वरूप बने थे। भौगोलिक और वातावरणीय परिवर्तनों के कारण जीव-जंतु और पेड़-पौधे मिट्टी की सतह के नीचे दब गए थे। पृथ्वी तल के दबाव और भीतरी गर्मी के कारण वे जीवाश्मी ईंधनों में परिवर्तित हो गए थे। मनुष्य इसे अपने उपयोग के लिए भूमि से प्राप्त करते हैं। प्रयोग के बाद इन्हें पुन: प्राप्त नहीं किया जा सकता इसलिए इन्हें जीवाश्मी अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत माना जाता है।
भूमि के नीचे इनकी निरंतर कमी होती जा रही है। पेट्रोल तो हमारे देश में सन् 2020 तक समाप्त हो जाएगा और कोयला लगभग 250 वर्ष पश्चात नहीं रहेगा। इसलिए इनका प्रयोग सोच-समझ कर करना चाहिए। इन्हें व्यर्थ नहीं जलाना चाहिए।
प्रश्न 7. नाभिकीय रिएक्टरों से विद्युत ऊर्जा कैसे प्राप्त की जाती है? (H.P. 2010, Set-C, 2013 Set-B)
उत्तर- नाभिकीय रिएक्टर में यूरेनियम को ईंधन के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। पहले U-235 की विखंडन योग्य प्रतिशत मात्रा बढ़ाने के लिए इसे संवर्धित किया जाता है। जब एक मंद गति वाला न्यूट्रॉन U-235 के नाभिक से टकराता है तो तीन नये न्यूट्रॉन मुक्त होते हैं जो एक श्रृंखला बनाते हैं। इन मुक्त न्यूट्रॉनों को नियंत्रण में रखने के लिए कैडमियम तथा बोरॉन धातु की छड़ें प्रयोग में लाते हैं। ये छड़ें न्यूट्रॉनों को अवशोषित करके उन्हें प्रभावित बना देती हैं। जब ये छड़ें पूर्णतः ईंधन में प्रविष्ट कर दी जाती हैं तो वे समस्त न्यूट्रानों का अवशोषण कर लेती हैं तथा श्रृंखला अभिक्रिया रुक जाती है।
इन छड़ों को बाद में ईंधन में से धीरे-धीरे उतना ही बाहर निकाला जाता है जितना कि वह केवल उतनी ऊर्जा का अवशोषण करे जिससे मुक्त न्यूट्रॉनों दवारा नाभिकीय विखंडन अभिक्रिया को नियंत्रित रूप में संचालित करके निश्चित परिणाम में ऊर्जा प्राप्त होती रहे। इस प्रकार प्राप्त ऊष्मीय ऊर्जा से पानी को भाप में बदलकर बड़े-बड़े टरबाइन घुमाए जाते हैं। भाप की ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। इन टरबाइनों के घूमने से विद्युत जनित्र द्वारा विद्युत उत्पन्न होती है। जब भाप संघनित हो जाती है तो इसे फिर दूसरे चक्र में काम में लाया जाता है।
प्रश्न 8. उस प्रक्रिया का विवरण दीजिए जिसके द्वारा सूर्य ऊर्जा उत्पन्न करता है।
उत्तर-सूर्य से ऊर्जा का विमोचन नाभिकीय संलयन अभिक्रिया द्वारा होता है। सूर्य के क्रोड में हाइड्रोजन के नाभिक अत्यधिक तीव्र गति से गतिशील रहते हैं। जब ये नाभिक परस्पर संलयित होकर अधिक द्रव्यमान वाले तत्त्व के नाभिक बनाते हैं तब अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है। यही वह ऊर्जा है जो हमें उस समय प्राप्त होती है जब पृथ्वी सूर्य के सामने होती है। सूर्य में उपस्थित हाइड्रोजन के भारी आइसोटोप ड्यूटीरियम के नाभिक सूर्य के अंदर परस्पर मिल कर हीलियम उत्पन्न करते हैं तथा इसके साथ-साथ ऊर्जा भी उत्पन्न होती है। हाइड्रोजन के संलयन हेतु नाभिकों को उच्च वेग से टकराना आवश्यक होता है। यह तभी संभव होता है जब ताप लगभग 4000.000° C हो। इससे स्पष्ट है कि सूर्य का तापक्रम 4000,000°C है। सूर्य में उपस्थित एक ग्राम हाइड्रोजन 62,000,000,000 जूल ऊर्जा उत्पन्न करती है। अतः सूर्य द्वारा उत्पन्न ऊर्जा संलयन अभिक्रिया का परिणाम है जिसमें हाइड्रोजन संलयित होकर हीलियम में परिवर्तित होती है।
2 2 4
H+H→ He + ऊष्मा ऊर्जा
1 1 2
प्रश्न 9. पवन चक्की के कार्य करने के सिद्धांत को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-गतिशील हवा को पवन कहते हैं। इसके पास पर्याप्त मात्रा में गतिज ऊर्जा होती है क्योंकि यह गतिशील है अतः इसमें कार्य करने की क्षमता होती है। जब हवा तेजी से चलती है तो अपनी गति से वह राह में आने वाली वस्तुओं की दिशा बदल सकती है, उन्हें स्थिर अवस्था से गतिशील बना सकती है; घूमने वाली वस्तुओं को तेजी से घुमा सकती है। तूफानों में बड़े-बड़े पेड़ इसी के कारण उखड़ जाते हैं, खंबे गिर जाते हैं और हल्की वस्तुएं उड़कर दूर जा गिरती हैं।
पवन-चक्की एक मशीन है जो तेज़ हवा चलने से उत्पन्न ऊर्जा पर आधारित है। इसमें बड़े-बड़े पंख (Blades) होते हैं जो पवन की गतिज ऊर्जा से घूमने लगते हैं और वे अपने साथ जुड़े अन्य उपकरणों को घुमाकर उपयोगी कार्य कराते हैं।
पवन चक्की को गति देने और उससे उपयोगी कार्य कराने के लिए पवन का वेग कम-से-कम 15 किमी० घंटा होना चाहिए।
प्रश्न 10. स्पष्ट कीजिए कि बहते हए पानी की ऊर्जा, सौर ऊर्जा से किस प्रकार संबध है?
उत्तर-जल ऊर्जा चाहे नदियों या उन पर बने बांधों से कार्य कराने में सहायक बने पर वास्तव में बहने वाले पानी में ऊर्जा का आधार सूर्य ही है। सूर्य की गर्मी से पानी का वाष्पन होता है। समुद्रों, नदियों, नहरों, तालाबों आदि सभी से पानी वाष्पित होता है और संघनित होकर बादल बन जाता है। वायु के द्वारा बादल दूर-दूर चले जाते हैं। वे बरसते हैं और बर्फ के रूप में पानी को वापिस धरती पर भेजते हैं। पर्वतों की ऊंचाइयों पर बर्फ पिघलती है और पानी में परिवर्तित होती है। वाष्पन के समय सौर ऊर्जा का एक मात्र पानी के अणुओं की स्थितिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाता है और हवा में बादल बनाता है। वर्षा और हिमपात के समय पानी के अणुओं की स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदल जाती है। बर्फ के पिघलने से बने पानी में उच्चतर गुरुत्वाकर्षण स्थितिज ऊर्जा होती है और बहते पानी में स्थितिज ऊर्जा अपने आप गतिज ऊर्जा में बदलती जाती है। बांधों के पीछे पानी को रोक कर जब नीचे गिराया जाता है तो भी स्थितिज से गतिज ऊर्जा का रूपांतरण होता है। इससे विद्युत-ऊर्जा बनती है। वास्तव में सौर ऊर्जा ही प्रमुख भूमिका निभाती है। बहने वाले पानी में ऊर्जा रूपांतरण का आधार सौर ऊर्जा ही है।
प्रश्न 11. नाभिकीय विखंडन और नाभिकीय संलयन में अंतर लिखिए।
उत्तर–
नाभिकीय विखंडन | नाभिकीय संलयन |
(1) नाभिकीय विखंडन में एक भारी नाभिक दो हल्के नाभिकों में टूट जाता है।
(2) नाभिकीय विखंडन में श्रृंखला अभिक्रिया भी हो सकती है और नहीं भी। (3) विखंडन अभिक्रियाएं न्यूट्रॉनों के भारी नाभिकों से टकराने पर होती हैं। (4) नाभिकीय विखंडन अभिक्रियाएं बिजली को उत्पन्न करने के लिए नियंत्रित की गई हैं। (5) नाभिकीय विखंडन अधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करती है। (6) नाभिकीय विखंडन के उत्पाद साधारणतः रेडियो- एक्टिव अत: इन्हें निपटाने की समस्या नहीं होती है। |
(1) संलयन क्रिया में दो हल्के नाभिक संयोजन करके एक भारी नाभिक बनाते हैं।
(2) नाभिकीय संलयन श्रृंखला अभिक्रिया नहीं है। (3) इस अभिक्रिया में हल्के परमाणु बहुत अधिक तापमान पर संलयन करते हैं (4) नाभिकीय संलयन अभिक्रियाओं को अभी तक नियंत्रित नहीं किया गया है। (5) नाभिकीय संलयन अभिक्रिया में उत्पादित ऊर्जा नाभिकीय विखंडन से कहीं अधिक है। (6) नाभिकीय संलयन के उत्पादन रेडियो-एक्टिव होते हैं। अतः इन्हें निपटाने की समस्या होती नहीं होती है।
|
प्रश्न 12. संलयन अभिक्रिया का वर्णन कीजिए तथा उन परिस्थितियों को लिखिए जिनमें वह संपन्न होती है।
उत्तर-नाभिकीय संलयन वह क्रिया है जिसमें हाइड्रोजन जैसे छोटे परमाणुओं के दो नाभिक आपस में मिलकर हीलियम जैसे भारी तथा स्थायी नाभिक बनते हैं। इससे बहुत अधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है।
2 2 3 1
d + d I He + on
1 1 2 0
अथवा
2 2 3 1
H + H I He + on
1 1 2 0
नाभिकीय संलयन की क्रिया तभी संभव हो सकती है जब हल्के परमाणुओं को 4×106 °C तक गर्म किया जाए। सूर्य में हाइड्रोजन निरंतर हीलियम में बदल कर बहुत अधिक मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न कर रही है। हाइड्रोजन की इस नाभिकीय संलयन अभिक्रिया में उत्पन्न ऊर्जा से ही सूर्य चमकता है तथा विभिन्न तरंगदैर्यों के प्रकाश का विकिरण करता है। सूर्य द्वारा उत्सर्जित इन तरंगदैर्यों में अवरक्त तरंगदैर्ध्य भी शामिल होती हैं जो अपने ऊष्मीय प्रभाव के कारण पृथ्वी को गर्म करती हैं। एक ग्राम हाइड्रोजन के संलयन से 6.2 x 1010 जूल ऊर्जा उत्पन्न होती है। हाइड्रोजन के नाभिकीय संलयन के संपन्न होने के लिए हाइड्रोजन को लगभग चालीस लाख डिग्री सैल्सियस (40,00,000°C) के अति उच्च ताप तक गर्म करना आवश्यक है इसलिए रिएक्टर या प्रयोगशाला में नाभिकीय संलयन प्रक्रिया नहीं हो सकती। सूर्य के अंदर होने वाली संलयन प्रक्रियाएं अभी नियंत्रित रूप से प्रयोगशाला में नहीं हो पाई हैं। हाइड्रोजन बम के विस्फोट में “नाभिकीय संलयन” क्रिया उपयोग में आती है। हाइड्रोजन बम में नाभिकीय संलयन की अनियंत्रित क्रिया होती है जिसमें भारी हाइड्रोजन, हीलियम में परिवर्तित होती है तथा थोडे से समय में ही ऊर्जा की अति विशाल मात्रा हो जाती है।
प्रश्न 13. दो प्ररूपी संलयन अभिक्रियाएं विस्तार से लिखिए।
उत्तर-(i) हल्के तत्वों के नाभिकों में संलयन-विशेष अवस्थाओं में हल्के नाभिकीय तत्त्व आपस में मिलकर बड़ी परमाण्विक संख्या के परमाणु को बनाते हैं। जब दो ड्यूरॉन आपस में मिलते हैं तो 3He नाभिक के साथ न्यूट्रॉन बनते हैं।
d + d I He +n
यह संलयन क्रिया सन् 1930 में खोजी गई थी। इस में यह क्रिया भी संभव है-
d + d I t + p
यहां t ट्रिटियन (प्रोटॉन + दो न्यूट्रॉन) है। इस का अर्थ है कि दो ड्यूट्रॉन परस्पर मिल कर 3He + n बनाते हैं या ट्रिटियन + प्रोटॉन तैयार करते हैं।
(ii) हाइड्रोजन से ड्यूटीरियम का संश्लेषण-इस प्रक्रिया में दो प्रोटॉनों में से एक को न्यूट्रॉन में बदल दिया जाता है जिस के साथ पॉजीट्रान (e+) और न्यूटॉनों (V) उत्पन्न होते हैं।
p + p I d + e+ + v
न्यूट्रानों उदासीन कण होता है जिस का द्रव्यवमान नगण्य होता है। जिस कारण इस की भेदन शक्ति बहुत अधिक होती है।
लघु उत्तरात्मक प्रश्न
(Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1. ईंधन किसे कहते हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर-ईंधन-जिन पदार्थों को जलाकर ऊष्मा ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है, उन्हें ईंधन कहते हैं। ईंधन ठोस, तरल तथा गैस तीनों अवस्थाओं में उपलब्ध होते हैं। जैसे कोयला, लकड़ी, कोक तथा चारकोल ठोस ईंधन हैं, पेट्रोल, डीज़ल तथा किरोसीन तरल ईंधन हैं तथा प्राकृतिक गैस और बायोगैस आदि गैस ईंधन हैं।
प्रश्न 2. जीव द्रव्यमान (biomass) ईंधन का क्या अर्थ है?
उत्तर-पौधों तथा जंतुओं के शरीर में उपस्थित पदार्थों को जीव द्रव्यमान कहते हैं। किसी जीव की मृत्यु के पश्चात् जीव द्रव्यमान का उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है जिसे जीव द्रव्यमान ईंधन कहते हैं। लकड़ी, कृषि अपशिष्ट तथा गोबर के कंडे इसी ईंधन के उदाहरण हैं जिनसे गांवों को ऊर्जा की कुल आवश्यकता का 80% भाग प्राप्त होता है। इनका उपयोग उदयोगों में भी किया जाता है जैसे गन्ने की खोई कई उद्योगों के बायलरों में जलाई जाती है।
प्रश्न 3. चारकोल ईंधन उत्तम है परंतु इसका उपयोग कम क्यों होता जा रहा है?
उत्तर-चारकोल बनाने के लिए व्यापक पैमाने पर जंगलों को काटना पड़ता है जिसके परिणामस्वरूप लकड़ी की कमी होती जा रही है। लकड़ी की कमी के कारण चारकोल कम बनता है और महंगा भी होता है। इसलिए ईंधन के रूप में इसका उपयोग दिन प्रतिदिन कम होता जा रहा है। आजकल इससे भी सस्ते तथा अच्छे ईंधन सरलता से उपलब्ध हैं।
प्रश्न 4. प्रकृति में कोयला किस प्रकार बना?
उत्तर-करोड़ों वर्ष पूर्व पृथ्वी पर विशाल जंगल ही जंगल पाए जाते थे। धीरे-धीरे ये जंगल पृथ्वी के उथले दलदलों में धंसते चले गए। पृथ्वी के आवरण के दबाव तथा ताप के कारण वृक्षों के अवशेष ऊर्जा के भंडार घरों के रूप में बदलते गए। आजकल इन्हीं पदार्थों को कोयला कहते हैं। इन प्राचीन भंडारों (खानों) से कोयला निकाला जाता है जिससे हम अपनी ऊर्जा की आवश्यकता को पूरा करते हैं।
प्रश्न 5. ईंधन तेल, कोयले की तुलना में अच्छा ईंधन है। क्यों?
उत्तर-(i) कोयला बहुत अधिक मात्रा में राख उत्पन्न करता है जिसे समय-समय पर हटाना पड़ता है। इसके विपरीत ईंधन तेल का उपयोग करने से किसी भी तरह का कोई पदार्थ शेष नहीं बचता क्योंकि इसका दहन पूर्ण होता है।
(ii) कोयले की अपेक्षा ईंधन तेल का ज्वलन ताप कम होता है इसलिए इसे आसानी से जलाया जा सकता है।
(iii) कोयले की अपेक्षा ईंधन तेल कम धुआं उत्पन्न करता है जिससे वातावरण प्रदूषित नहीं होता।
प्रश्न 6. प्राकृतिक गैस क्या है ? इसका प्रमुख लाभ क्या है ? भारत में यह कहां-कहां पर पाई जाती है?
उत्तर-प्राकृतिक गैस मुख्य रूप से मीथेन (CH4 ) होती है। इसका प्रमुख लाभ यह है कि इसे घर तथा उद्योगों में सीधा जलाने के लिए उपयोग किया जाता है। भारत में त्रिपुरा, जैसलमेर तथा मुंबई के अपतट आदि स्थानों पर इसके भंडार हैं। कृष्णा तथा गोदावरी के डेल्टा में भी इसकी उपस्थिति का पता चला है।
प्रश्न 7. ईंधनों का वर्गीकरण उनकी अवस्था के अनुसार किस-किस में किया जा सकता है ? उदाहरण देकर लिखिए।
उत्तर-भौतिक अवस्था के अनुसार ईंधनों का वर्गीकरण तीन अवस्थाओं ठोस, तरल तथा गैस में किया गया है।
ठोस ईंधन-कोयला, कोक, चारकोल, लकड़ी।
द्रव ईंधन-डीज़ल, पेट्रोल, कैरोसीन। गैस ईंधन-प्राकृतिक गैस, पेट्रोलियम गैस, कोल गैस, बायोगैस।
प्रश्न 8. हाइड्रोजन गैस का कैलोरीमान बहुत ऊंचा है, लेकिन फिर भी इसे ईंधन के रूप में उपयोग नहीं करते। ऐसा क्यों है?
उत्तर-हाइड्रोजन का ऊष्मीय मान अधिक होते हुए भी निम्नलिखित कारणों से इसका उपयोग घरेलू अथवा औद्योगिक ईंधन के रूप में नहीं किया जाता-
(1) इसका भंडारण, परिवहन तथा प्रयोग विधि अति कठिन है।
(2) इसका निर्माण काफ़ी महंगा है।
(3) यह अत्यन्त ज्वलनशील है जिस पर नियंत्रण करना सरल नहीं तथा इससे विस्फोट भी हो सकता है। (4) इसके दहन से उत्पन्न ज्वाला का तापक्रम अति अधिक होता है जिसका प्रयोग घरों में नहीं किया जा सकता।
प्रश्न 9. जीवीय गैस (बायोगैस) के दो गुण बताओ।
उत्तर-(i) यह उच्च ऊष्मीयमान वाला एक अच्छा ईंधन है।
(ii) यह बिना धुएं की ज्वाला के साथ जलती है।
प्रश्न 10. ऊष्मीयमान को समझाओ तथा इसका महत्त्व भी बताओ।
(H.P. 2010, Set-C)
उत्तर-ईंधन का ऊष्मीयमान-“किसी ईंधन के 1 ग्राम के जलने से उत्पन्न ऊष्मा की जूल में मात्रा उस ईंधन का ऊष्मीयमान कहलाता है।”
महत्त्व-इससे यह मालूम किया जा सकता है कि अमुक ईंधन अच्छा ईंधन है अथवा नहीं। ऐसा करने से प्रयोग किए जाने वाले ईंधन की मात्रा का पहले से अनुमान लगाया जा सकता है।
प्रश्न 11. उन वायु प्रदूषकों के नाम लिखो जो पेट्रोलियम में उपस्थित ईंधनों के ज्वलन के फलस्वरूप उत्पन्न होते हैं।
उत्तर-पेट्रोलियम में उपस्थित ईंधनों के दहन के फलस्वरूप जल वाष्प, CO2, कार्बन मोनो-ऑक्साइड, लेड वाष्प तथा बिना जले हाइड्रोकार्बन आदि उत्पन्न होते हैं। इसके अतिरिक्त अंतः दहन इंजनों में वायुमंडलीय N2 भी नाइट्रोजन के ऑक्साइडों में ऑक्सीकृत हो जाती है। ये सारे प्रदूषक अत्यंत घातक हैं।
प्रश्न 12. जीवाश्मी ईंधन (Fossil-Fuel) की परिभाषा दीजिए। इसके उचित उदाहरण दीजिए। ऊर्जा संकट से निपटने के लिए जीवाश्म ईंधन के उपयोग के लिए ध्यान में रखने वाली दो सावधानियों को बताइए।
उत्तर-जीव-जंतुओं के अवशेष जो भूमि के नीचे दबे रहे और ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में अपघटित होकर ईंधन बने, उन्हें जीवाश्मी ईंधन कहते हैं। पा ऊर्जा संकट से बचने के लिए सावधानियां कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस जैसे ऊर्जा स्रोतों के समाप्त होने के खतरे से निम्नलिखित ढंगों द्वारा बचा जा सकता है-
(i) हमें जीवाश्म ईंधन से प्राप्त ऊर्जा का प्रयोग करते समय अत्यंत ध्यान रखना चाहिए और केवल उसी समय इस ईंधन का उपयोग करना चाहिए जब इसका कोई वैकल्पिक नवीकरणीय स्रोत उपलब्ध न हो।
(ii) हमें नई टैक्नालॉजी पता लगानी चाहिए ताकि हम ऊर्जा से भरपूर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे बायोमास या सूर्य आदि से ऊर्जा प्राप्त कर सकें।
(iii) हमें ऊर्जा को व्यर्थ नष्ट नहीं होने देना चाहिए।
प्रश्न 13. खाना पकाने के लिए उपलों का प्रयोग करने के स्थान पर गोबर को बायोगैस संयंत्र में प्रयोग करना क्यों अच्छा है? इसके तीन कारण बताइए।
अथवा
यदि आप अपने भोजन को गर्म करने के लिए किसी ऊर्जा स्रोत का उपयोग कर सकते हैं तो आप किस का उपयोग करेंगे और क्यों? (H.P2009, Set-A)
उत्तर-जब गोबर जलता है तो यह काफ़ी धुआं उत्पन्न करता है जिससे वायु प्रदूषण होता है और काफ़ी मात्रा में तत्त्वों की हानि होती है। गोबर का बायोगैस संयंत्र में प्रयोग निम्नलिखित बातों के कारण अच्छा समझा जाता है-
() बायोगैस बिना धुएं के जलती है।
(ii) बायोगैस काफ़ी मात्रा में ऊष्मा पैदा करती है।
(iii) संयंत्र में बचा हुआ व्यर्थ पदार्थ नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस के यौगिकों से भरा हुआ होता है और इसे खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
प्रश्न 14. एल० पी० जी० को अच्छा ईंधन क्यों समझा जाता है? (H.P 2010, Set-B)
उत्तर-(i) L.P.G. का अधिक कैलोरीमान (46 KJ/g) है।
(ii) यह गैस धुआं रहित ज्वाला के साथ जलती है क्योंकि इसमें कोई विषैली गैस उत्पन्न नहीं होती है अर्थात् इससे वायु प्रदूषण नहीं होता है।
(iii) L.P.G. के दहन के उपरांत कुछ अवशेष नहीं रहता है। अतः यह एक स्वच्छ घरेलू ईंधन है।
(iv) यह ऊष्मा उत्पन्न करने का कम खर्च वाला साधन है।
प्रश्न 15. पत्थर के कोयले की अपेक्षा कोक अच्छा ईंधन क्यों है?
उत्तर-पत्थर का कोयला प्राथमिक ईंधन (Primary fuel) है जबकि कोक द्वितीयक ईंधन (Secondary fuel) है इसलिए कोक पत्थर के कोयले से अच्छा ईंधन है। कोक का कैलोरीमान अधिक होता है।
प्रश्न 16. “जीवाश्म ईंधन को जलाने से प्रदूषण फैलता है” टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-जीवाश्म ईंधनों को जलाने से काफ़ी मात्रा में धुआं निकलता है जो वायुमंडल में प्रवेश कर वायु को प्रदूषित करता है। यह कथन सत्य है कि जीवाश्म ईंधन के जलाने से प्रदूषण होता है।
प्रश्न 17. सामान्यतः प्राकतिक गैस कहां पाई जाती है? इसको साफ़-सथरा ईंधन क्यों कहते हैं?
उत्तर-प्राकृतिक गैस मुख्यतः मीथेन होती है जो कि खनिज तेल के साथ उपस्थित होती है। कई स्थानों पर इसके कूप होते हैं। यह भूमि के नीचे पेट्रोलियम के ऊपर पाई जाती है।
(i) यह गैस आसानी से जलती है तथा इससे ऊष्मा भी अधिक उत्पन्न होती है।
(ii) इसके जलने से कोई धुआं उत्पन्न नहीं होता और न ही किसी प्रकार की विषैली गैसें निकलती हैं। (iii) इसके जलाने से शेष कुछ भी नहीं बचता।
प्रश्न 18. बायोगैस क्या है? इसके अवयवों के नाम लिखो तथा इसके दो उपयोग बताओ।
उत्तर-बायोगैस-यह मीथेन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन तथा हाइड्रोजन सल्फाइड का मिश्रण है। इसका मुख्य अवयव मीथेन है जोकि एक उत्तम ईंधन है।
बायोगैस के उपयोग-(i) यह खाना पकाने के लिए ईंधन के रूप में प्रयुक्त होती है।
(ii) यह इंजन चलाने के लिए ईंधन के रूप में प्रयोग की जाती है।
(iii) यह सड़क की रोशनी के लिए भी प्रयोग की जाती है।
प्रश्न 19. ईंधन A का कैलोरीमान तथा ज्वलनताप क्रमशः 55 किलोजूल/ग्राम तथा 20° से० तथा ईंधन B का 55 किलोजूल/ग्राम तथा 80° से० है। यदि ईंधन A जलने पर CO2., SO2, तथा SO3 जबकि ईंधन B केवल CO2 सह-उत्पाद उत्पन्न करता है तो बताओ दोनों ईंधनों में से कौन-सा ईंधन अधिक आदर्श ईंधन है? अपने उत्तर की पुष्टि के लिए दो कारण दें।
उत्तर-ईंधन A की अपेक्षा ईंधन B अधिक आदर्श ईंधन है क्योंकि-
(i) B दहन के पश्चात उन हानिकारक गैसों को उत्पन्न नहीं करता जो A ईंधन करता है।
(ii) B का ज्वलन ताप न अधिक है और न ही कम। अतः इसका रख-रखाव बहुत आसान है। दूसरी ओर A का उच्च ज्वलन ताप है इसलिए यह शीघ्र आग पकड़ लेता है।
प्रश्न 20. निम्नलिखित को प्राथमिक तथा द्वितीयक ईंधन के रूप में वर्गीकृत कीजिएपेट्रोलियम, कोक, कोल गैस, लकड़ी, कोयला, पेट्रोल, प्राकृतिक, गैस, किरोसिन।
उत्तर-प्राथमिक ईंधन-लकड़ी, कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, पेट्रोल, कोक, किरोसिन। द्वितीय ईंधन-कोल गैस।
प्रश्न 21. एल० पी० जी० के घटक बताओ। इस ईंधन को कोयले से अच्छा क्यों समझा जाता है?
उत्तर-एल० पी० जी० की संरचना-यह द्रवित ब्यूटेन तथा आइसो ब्यूटेन का मिश्रण है। इसके रिसाव का पता लगाने के लिए इथाइल मरकेपटन (C2H5SH) की थोड़ी-सी मात्रा इसमें डाली जाती है।
निम्नलिखित गुणों के कारण इसे उत्तम ईंधन माना जाता है-
(i) इसमें वाष्पशील न होने वाले पदार्थों की बहुत कम मात्रा होती है।
(ii) इसका ऊष्मीय कैलोरीमान अधिक होता है।
(iii) इससे वायु प्रदूषण नहीं होता है।
प्रश्न 22. यदयपि एल० पी० जी० गंधहीन है तो भी इसके रिसाव की जानकारी आसानी से कैसे हो जाती है? रसोई घर में इसके रिसाव का पता लगने पर आप क्या कदम उठाएंगे? (H.P. 2011, Set-A)
उत्तर-एल० पी० जी० प्रोपेन, ब्यूटेन हाइड्रोकार्बन का मिश्रण है। यद्यपि ये गैसें रंगहीन और गंधहीन हैं तब भी इनके रिसाव का आसानी से पता लगाया जा सकता है क्योंकि बहुत कम मात्रा में एक तेज़ गंध वाला ईथाइल मरकैप्टन एल० पी० जी० के साथ मिलाया जाता है जो रिसाव का पता लगाने में सहायक होता है।
रसोई घर में रिसाव पर उठाए जाने वाले कदम–
(i) सभी जलती हुई चीजें जैसे-स्टोव, लैंप, सिगरेट और अगरबत्ती आदि बुझा देने चाहिएं।
(ii) सभी विद्युत उपकरण को पूर्ववत रहने दो। स्विच न तो खोलो न बंद करो।
(iii) गैस सिलिंडर का बल्ब बंद कर दो।
(iv) खिड़कियां, दरवाजे खोल देने चाहिएं।
प्रश्न 23. जैव गैस प्लांट में गोबर का प्रयोग करने के कोई दो कारण बताइए।
उत्तर-(i) गोबर को सीधे ही उपलों के रूप में जलाने से उसमें उपस्थित नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस जैसे पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं। जैव गैस प्लांट में गोबर का प्रयोग करने से साफ-सुथरा ईंधन प्राप्त होने के पश्चात अवशिष्ट स्लरी को खेतों में खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
(ii) गोबर को उपलों के रूप में जलाने से अत्यधिक धुआं उत्पन्न होता है जिससे वायु प्रदूषित होती है। दूसरी ओर जैव गैस बनती है जिससे वायु प्रदूषित नहीं होती।
प्रश्न 24. यदि हम जीवाश्म ईंधनों का उपयोग अत्यधिक तीव्र दर से करें तो उसका परिणाम क्या होगा? कारण सहित समझाएं।
उत्तर-जीवाश्म ईंधन पृथ्वी के अंदर अत्यंत मंद गति से होने वाली असामान्य प्रक्रियाओं के द्वारा बने हैं। दबे हुए पेड़-पौधों तथा जंतु अवशेषों से जीवाश्म ईंधन बनने की प्रक्रिया में करोड़ों वर्ष लग जाते हैं। जो जीवाश्म ईंधन हम आजकल पृथ्वी में से खोद कर निकाल रहे हैं, वे करोड़ों वर्ष पहले पृथ्वी में दबे जीव-जंतुओं से बने हैं। यदि हम जीवाश्म ईंधनों का उपयोग अत्यंत तेज़ गति से करेंगे तो वे शीघ्र ही पूर्ण रूप से समाप्त हो जाएंगे।
प्रश्न 25. चारकोल घरेलू ईंधन के रूप में लोकप्रिय क्यों रहा है? चारकोल का उपयोग ईंधन के रूप में अब दिन-प्रतिदिन कम क्यों होता जा रहा है?
उत्तर-चारकोल का ऊष्मीय मान बहुत अधिक है अर्थात् वह प्रति ग्राम भार के हिसाब से अधिक ऊष्मा उत्पन्न करता है। इसके अतिरिक्त चारकोल एक धुआं-रहित ईंधन है जो वायु को प्रदूषित नहीं करता। इन कारणों से चारकोल घरेलू उपयोग के लिए बहुत लोकप्रिय ईंधन रहा है। परंतु बड़े पैमाने पर चारकोल बनाने के लिए आवश्यक लकड़ी की कमी होती जा रही है। लकड़ी की कमी के कारण चारकोल ईंधन के रूप में दिन प्रतिदिन कम उपयोग किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त वृक्ष काटने से पर्यावरण का प्रदूषण होता है।
प्रश्न 26. सामूहिक बायोगैस संयंत्र से क्या तात्पर्य है? इन्हें लगाने के मुख्य कारण क्या हैं?
उत्तर-बहुत से परिवारों द्वारा मिल कर लगाया गया बायोगैस संयंत्र ‘सामूहिक बायोगैस संयंत्र’ कहलाता है। इस प्रकार के संयंत्र निम्नलिखित कारणों से लगाए जा रहे हैं-
(i) अनेक परिवारों में संयंत्र को क्रियाशील रखने के लिए बड़ी मात्रा में मवेशी नहीं होते।
(ii) कुछ परिवार आरंभ में होने वाला खर्च उठाने में असमर्थ होते हैं।
(ii) अनेक संयंत्र लगाने की जगह एक ही संयंत्र लगाना सस्ता पड़ता है।
प्रश्न 27. हमारे देश में सामूहिक बायोगैस संयंत्र का क्या भविष्य है?
उत्तर-हमारे देश में सामूहिक बायोगैस संयंत्र’ का भविष्य उज्ज्वल है। संसार में सबसे अधिक मवेशी हमारे देश में हैं। एक अनुमान के अनुसार हमारे देश की मवेशी जनसंख्या 14.5 लाख सामहिक बायोगैस के लिए आवश्यक गोबर प्रदान कर सकती है। यदि ये सारे संयंत्र कार्य आरंभ कर दें तो हमारे ग्रामीण क्षेत्रों की घरेलू ऊर्जा आवश्यकता की 75% आपूर्ति हो जाएगी।
प्रश्न 28. प्राकृतिक गैस को एक महत्त्वपूर्ण गैस क्यों माना जाता है?
उत्तर-(i) इस गैस का प्रयोग सीधे ही घरों तथा कारखानों में ईंधन के रूप में किया जाता है।
(ii) यह गैस सीधे ही पाइपों द्वारा वितरित की जा सकती है।
(ii) इस गैस का ऊष्मीय मान काफ़ी अधिक है।
(iv) प्राकृतिक गैस के जलने से प्रदूषण नहीं फैलता।
प्रश्न 29. यद्यपि सूर्य ऊर्जा का विशाल स्रोत है फिर भी सौर ऊर्जा केवल सीमित रूप से उपयोग में क्यों लाई जा रही है?
उत्तर-सूर्य हमारी पृथ्वी पर ऊर्जा का सबसे विशाल स्रोत है। यह ऊर्जा हम तक बहुत ही विसरित रूप में पहुंचती है। पृथ्वी के वायुमंडल के ऊपरी भाग के प्रत्येक वर्ग मीटर द्वारा 1.36 kJ ऊर्जा प्रति सेकेंड प्राप्त की जाती है। इसका 47% भाग पृथ्वी तल के प्रत्येक वर्गमीटर तक एक सेकेंड में पहुंचता है। ऊर्जा की यह अल्प मात्रा भी समान रूप से उपलब्ध नहीं है। इसी कारण सौर ऊर्जा का केवल सीमित उपयोग किया जा सकता है।
प्रश्न 30. सौर ऊर्जा का दैनिक कार्यों में प्रमुख पारंपरिक उपयोग बताओ।
उत्तर-सौर ऊर्जा पारंपरिक रूप में निम्नलिखित दैनिक कार्यों के लिए उपयोग की जा रही है-
(i) कपड़े सुखाने में।
(ii) समुद्री जल से नमक बनाने में।
(iii) फसल काटने के बाद अनाज में से नमी की मात्रा कम करने में।
(iv) सब्जियां, फल और मछली सुखाने में।
प्रश्न 31. सौर ऊर्जा का प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से किस प्रकार दोहन किया जाता है? बताओ।
उत्तर-सौर ऊर्जा को ऊष्मा के रूप में इकट्ठा करके या विद्युत् में परिवर्तित करके इसका दोहन किया जा सकता है। पौधों में सौर ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में बदल कर तथा सागरीय लहरों की ऊर्जा का दोहन करके सौर ऊर्जा को अप्रत्यक्ष रूप में उपयोग में लाया जा सकता है।
प्रश्न 32. सौर तापन युक्तियों की कोई दो परिसीमाएं लिखो।
उत्तर-(i) इन्हें सूर्य से ऊर्जा बहुत अल्पमात्रा में तथा विसरित रूप में प्राप्त होती है। इस प्रकार उच्च ताप प्राप्त करने में इन युक्तियों की क्षमता नहीं होती है। इसके अतिरिक्त एक ही स्थान पर सौर ऊर्जा समान रूप से प्राप्त नहीं होती बल्कि प्रतिदिन बदलती रहती है। ये युक्तियां वर्षा वाले दिन काम करने में असमर्थ होती हैं।
(ii) सभी सौर तापन युक्तियों को सूर्य की दिशा में लगातार बदलना पड़ता है ताकि उन पर धूप सीधी पड़े। प्रश्न 33. अर्ध-चालक क्या है? इनकी चालकता किस प्रकार बढ़ाई जा सकती है?
उत्तर-अर्ध-चालक ऐसे पदार्थ हैं जिनमें सामान्यतः विद्युत् प्रवाहित नहीं की जा सकती है, अर्थात वे सुचालक नहीं होते। सेलेनियम, सिलिकॉन, जरमेनियम तथा गेलियम आदि अर्ध चालक के उदाहरण हैं। विद्युत रोधियों की तुलना में अर्ध-चालकों में कुछ सीमा तक विद्युत् का चालन संभव है, परंतु यदि अर्ध-चालकों में कुछ विशेष अपद्रव्य मिला दिये जायें तो उनकी चालकता बहुत अधिक बढ़ जाती है।
प्रश्न 34. पवन किसे कहते हैं ? पवन किस प्रकार चलती है?
उत्तर-पवन-गतिशील वायु को पवन कहते हैं।
पवन का चलना-धुव्रीय क्षेत्रों की तुलना में भू-मध्य रेखीय क्षेत्रों में सौर प्रकाश की तीव्रता अधिक होती है। परिणामस्वरूप भू-मध्य रेखीय क्षेत्रों में पृथ्वी की सतह के निकट की वायु शीघ्र ही गर्म हो जाती है और ऊपर की ओर उठने लगती है। इस खाली स्थान को भरने के लिए ध्रुवीय क्षेत्रों की अपेक्षाकृत ठंडी वायु भू-मध्य रेखीय क्षेत्रों की ओर प्रवाह करने लगती है और निरंतर हवा चलने लगती है। वायु के इस प्रवाह में पृथ्वी के घूर्णन तथा स्थानीय परिस्थितियों के कारण लगातार बाधा पड़ती रहती है।
प्रश्न 35. सौर ऊष्मक युक्तियों में कांच की पट्टी का क्या महत्त्व है?
उत्तर-ऊष्मारोधी बाक्स में काली पट्टी की ऊपरी सतह को किसी कांच की पट्टी से ढक दिया जाता है। कांच की पट्टी का यह विशेष गुण है कि यह सौर प्रकाश में विद्यमान अवरक्त विकिरणों को अपने भीतर से गुज़रने देती है। कांच की पट्टी के पार गुजरने के बाद उसकी तरंगदैर्ध्य अधिक हो जाती है। कांच की पट्टी उन अवरक्त (INFRA RED) विकिरणों के लिए नहीं होती जिनकी तरंगदैर्ध्य अधिक हो तथा जिनका उत्सर्जन उन वस्तुओं से हो रहा हो जो तुलनात्मक रूप से निम्न ताप पर है।
प्रश्न 36. सौर जल ऊष्मक (Solar Water Heater) का संक्षिप्त वर्णन करो। (H.P. 2010)
उत्तर-सौर जल ऊष्मक-सौर ऊष्मक युक्ति को कुछ परिवर्तनों के पश्चात् सौर जल ऊष्मक के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है इसके लिए काली पट्टी को तांबे की ट्यूब द्वारा बदला जा सकता है। इसको बाहरी ओर से काला कर दिया जाता है। इस ट्यूब का एक सिरा जल स्रोत से जुड़ा होता है तथा दूसरा सिरा गर्म जल प्राप्त करने के लिए किसी नल से जुड़ा रहता है जहां से गर्म जल प्राप्त होता है।
प्रश्न 37. सौर सैलों के विभिन्न उपयोग बताओ। (H.P. 2012, Set-B)
उत्तर-सौर सैलों के मुख्य उपयोग निम्नलिखित हैं-
(i) कृत्रिम उपग्रहों तथा अंतरिक्ष अन्वेषक यान मुख्य रूप से सौर पैनलों द्वारा उत्पादित विद्युत पर निर्भर करते हैं।
(ii) भारत में इन सैलों का उपयोग प्रकाश व्यवस्था, जल पंपों, रेडियो तथा दूरदर्शन कार्यों के लिए किया जाता है।
(iii) सौर सैलों के उपयोग लाइट हाऊस (Light Houses) तथा तट से दूर निर्मित खनिज तेल के कुएं खोदने के रिग (Rigs) को विद्युत् ऊर्जा प्रदान करने में किया जाता है।
प्रश्न 38. यह समझाइये कि किसी सौर तापन युक्ति की दक्षता विद्युत प्रचलित युक्ति की दक्षता से कम क्यों होती है?
उत्तर-सौर तापन युक्तियों में सूर्य से प्राप्त ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है। यह ऊर्जा हम तक बहुत ही विसरित रूप में पहुंचती है। इसके अतिरिक्त ऊर्जा की यह थोड़ी मात्रा एक समान रूप से उपलब्ध नहीं होती तथा इसकी कमी भी चालन, संवहन तथा विकिरण विधियों द्वारा बहुत अधिक होती है। इसके फलस्वरूप और तापन युक्तियों की दक्षता विद्युत प्रचालित युक्तियों की अपेक्षा कम होती है।
प्रश्न 39. उन तत्वों का नाम बताइये जिनका उपयोग सौर सैल निर्माण हेतु किया जा सकता है।
उत्तर-सौर सैल के निर्माण में सिलीकॉन, गैलियम सीलिनियम, गेलियम जैसे अर्ध-चालकों का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 40. यह समझाइये कि पिछले कुछ दशकों में सौर सैलों का महत्त्व क्यों बढ़ गया है?
उत्तर-सौर सैल में उपयोग किए जाने वाले तत्व अधिक मात्रा में कम दाम में उपलब्ध हैं तथा इनकी अधिक क्षमता है। सौर सैल के उपयोग से प्रदूषण नहीं होता। कृत्रिम उपग्रहों, सौर पैनलों, वैज्ञानिक उपकरणों, दूरसंचार साधनों आदि में इनका प्रयोग सरलता से किया जा सकता है। इन कारणों के फलस्वरूप सौर सैलों का महत्त्व पिछले कुछ दशकों में बढ़ गया है।
प्रश्न 41. ऐसे तीन कारक बताइये जो पवन को गतिशील करने के लिए उत्तरदायी हैं।
उत्तर-पवन को गतिशील करने के लिए निम्नलिखित तीन कारक उत्तरदायी हैं-
(i) सूर्य की स्थिति
(ii) वायु के तापमान का अंतर
(iii) वायु के दाब का अंतर।
प्रश्न 42. सौर-सेल महंगे क्यों होते हैं? इनका उपयोग कहां-कहां किया जाता है? (H.P. 2012, Set-D)
उत्तर-सौर-सेल निर्माण के लिए सिलिकॉन का उपयोग किया जाता है। प्रकृति में यह बहुत अधिक मात्रा में है परंतु सौर सेलों को बनाने में उपयोग होने वाले विशिष्ट श्रेणी के सिलिकॉन की उपलब्धता सीमित है। सौर सेलों के उत्पादन की सारी प्रक्रिया अभी भी बहुत महंगी है। सौर सेलों को परस्पर संयोजित करके पैनेल बनाने में चांदी के उपयोग किया जाता है। इसके कारण लागत में और वृद्धि हो जाती है। उच्च लागत तथा कम दक्षता होने पर भी सीर सेलों का उपयोग बहुत से वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए किया जाता है। मानव निर्मित उपग्रहों में सौर सेलों का उपयोग प्रमख ऊर्जा स्रोत के रूप में किया जाता है। रेडियो, संचार तंत्रों, टी० वी० रिले केंद्रों आदि में सौर सेल पैनेल उपयोग किए जाते हैं। ट्रैफिक सिग्नलों, परिकलकों तथा बहुत से खिलौनों में सौर सेल लगे होते हैं। महंगा होने के कारण सौर सेलों का घरेलू उपयोग अभी तक सीमित है।
प्रश्न 43. भारत के उन क्षेत्रों क्षेत्रों के नाम बताओ जो क्षेत्र उच्च पवन ऊर्जा उपलब्ध करने के लिए उपयुक्त है?
उत्तर- भारत में उच्च पवन ऊर्जा प्राप्त करने हेतु क्षेत्र-
(i) गुजरात (ii) पश्चिमी मध्य प्रदेश
(iii) दक्षिणी तमिलनाडु (iv) राजस्थान के कुछ भाग
(v) बंगाल की खाड़ी (vi) कर्नाटक के कुछ भाग।
प्रश्न 44. एक विद्यार्थी ने बॉक्सनुमा सौर कुक्कर का मॉडल बनाया। उसने बॉक्स की खुली सतह को प्लास्टिक की पारदर्शी पन्नी से ढक दिया। उसने पाया कि यह कुक्कर भली प्रकार कार्य नहीं करता है। कुक्कर की कार्य क्षमता को बढ़ाने के लिए उसमें क्या सुधार करने चाहिएं? कारण दीजिए।
उत्तर-पारदर्शी प्लास्टिक पन्नी अवरक्त विकिरणों को अपने में से नहीं गुज़रने देती है जिससे कुक्कर ने भली प्रकार कार्य नहीं किया। इसकी कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए उसे प्लास्टिक की पन्नी हटाकर कांच की पट्टी लगानी चाहिए। कांच की पट्टी अपने में से प्रकाश (Infra Red) तथा अवरक्त विकिरणें गुज़रने देती है, परंतु कम तापमान पर विमुक्त हुई लंबी तरंगदैर्ध्य वाली अवरक्त विकिरणों को नहीं गुज़रने देती । इस प्रकार यह गर्म रहता है।
प्रश्न 45. सौर भट्टी किसे कहते हैं? इसकी बनावट तथा लाभ लिखिए।
उत्तर-जिस भट्टी को सौर ऊर्जा से गर्म किया जाता है उसे सौर भट्टी कहते हैं।
बनावट-सौर भट्टी में छोटे-छोटे हज़ारों दर्पणों का प्रयोग किया जाता है। उन्हें इस प्रकार लगाया जाता है कि एक बहुत बड़ा अवतल परावर्तक तैयार हो जाए। इसके फोकस पर एक भट्टी रख दी जाती है। सूर्य की किरणे दर्पण से परावर्तित होकर फोकस बिंदु पर मिल जाती हैं जिस कारण परावर्तन के पश्चात् भट्टी का तापमान बहुत अधिक बढ़ जाता है। यह तापमान इतना अधिक बढ़ाया जा सकता है कि इससे लोहे जैसी धातु भी पिघल जाए।
लाभ-(i) धातुओं को पिघला कर विभिन्न वस्तुएं तैयार की जा सकती हैं।
(ii) धातुओं को काटा और जोड़ा जा सकता है।
प्रश्न 46. “महासागर ऊर्जा के विशाल भंडार हैं।”इस कथन को स्पष्ट करो।
उत्तर-महासागर वास्तव में ही ऊर्जा के विशाल भंडार हैं जिनके द्वारा अपार मात्रा में ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। ऊर्जा उत्पत्ति के आधार निम्नलिखित हैं-
(i) सागरों की लहरें गतिज ऊर्जा के कारण विद्युत उत्पन्न करती हैं।
(ii) सागरों की विभिन्न सतहों के ताप के अंतर से विद्युत ऊर्जा की उत्पत्ति की जा सकती है।
iii) चंद्रमा और सूर्य के आकर्षण के कारण उत्पन्न ज्वार भाटा से टरबाइन घुमाकर टरबाइनों के द्वारा विद्युत उत्पन्न की जा सकती है जो सागर तटों पर रहने वालों के लिए वरदान बन सकती है।
(iv) सागरों के विभिन्न स्थानों पर लवणों की सांद्रता अलग-अलग होने के कारण उनसे ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है।
(v) समुद्री जीवन को ईंधन के रूप में प्रयुक्त करके पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है।
(vi) हाइड्रोजन के समस्थानिक डयूटेरियम के नाभिकीय संलयन से असीमित मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है।
प्रश्न 47. सौर सैल पैनल की बनावट और कार्य विधि समझाइए।
उत्तर-सौर सैल पैनल अर्ध-चालकों की सहायता से बनाई गई ऐसी युक्ति है जो सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करके उपयोगी कार्य करती है।
बनावट-सौर सैल पैनल अनेक सौर सैलों के सामूहिक रूप से कार्य करने की योग्यता पर आधारित होते हैं। अनेक सौर सैलों के विशेष क्रम में व्यवस्थित करके सौर सैल पैनल बनाये जाते हैं। इसे ऐसे स्थान पर लगाया जाता है जहां पर्याप्त मात्रा में धूप आती हो। पैनल की दिशा को बदलने की व्यवस्था भी की जाती है।
कार्यविधि-सिलिकॉन तथा गैलियम जैसे अर्धचालकों की सहायता से बनाये गए सौर सैलों के पैनल पर जब सौर ऊर्जा पड़ती है तो अर्धचालक के दो भागों में विभवांतर उत्पन्न हो जाता है जिससे चार वर्ग से० मी० के एक सौर सैल के द्वारा 60 मि० ली० एंपियर धारा लगभग 0.4-0.5 वोल्ट पर उत्पन्न होती है। सौर सैलों की कम या अधिक संख्या के आधार पर कम या अधिक विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जाती है। . उपयोग-(i) सड़कों पर प्रकाश की व्यवस्था की जाती है।
(ii) कृत्रिम उपग्रहों तथा अंतरिक्ष अन्वेषक यानों में विद्युत का प्रबंध किया जाता है।
प्रश्न 48. भूतापीय ऊर्जा क्या है? इसे किस प्रकार विद्युत उत्पादन के लिए प्रयुक्त किया जाता है?
(H.P. 2011, Set-B)
उत्तर-पृथ्वी के नीचे सदा भौमिकीय परिवर्तन होते रहते हैं। वहां तपा हुआ लावा और गैसें चट्टानों को ऊपर की तरफ़ धकेलती रहती है जिसके कारण कुछ स्थानों पर ‘तप्त स्थल’ बन जाते हैं। जब भूमिगत जल इन तप्त स्थलों के संपर्क में आता है तो भाप बन जाती है। कभी-कभी तप्त जल और भाप स्वयं ही पृथ्वी तल से बाहर निकलने का स्थान प्राप्त कर लेते हैं। इन निकास मार्गों को ‘गर्म चश्मा’ या ‘ऊष्ण स्रोत’ कहते हैं। कभी-कभी यह भाप बाहर नहीं निकल पाती। यह चट्टानों के बीच में फंस जाती है जहां इसका दाब अत्यधिक हो जाता है। तप्त स्थलों तक पाइप डालकर इस भाप को बाहर निकाल लिया जाता है। बहुत उच्च दाब पर निकली यह भाप टरबाइन को घुमाती है जिससे विद्युत जनित्र विद्युत उत्पादन करते हैं। इसके द्वारा विद्युत उत्पादन की लागत अधिक नहीं है लेकिन पृथ्वी पर ऐसे बहुत कम क्षेत्र हैं जहां से व्यापारिक दृष्टिकोण से इस ऊर्जा का दोहन करना व्यावहारिक है।
प्रश्न 49. मनुष्य को ऊर्जा कहां से प्राप्त होती है?
उत्तर-मनुष्य के शरीर में मांसपेशियों में ऊर्जा इकट्ठी होती है। वह ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए भोजन करता है। रासायनिक क्रियाओं द्वारा भोजन पचता है तो ऊष्मा ऊर्जा मुक्त होती है। रासायनिक ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा में परिवर्तित होती है। इस प्रकार उत्पन्न ऊर्जा को शरीर ग्रहण करता है।
प्रश्न 50. पानी द्वारा विद्युत किस प्रकार उत्पन्न की जाती है?
उत्तर–बांध बना कर पानी को इकट्ठा किया जाता है जिसमें स्थितिज ऊर्जा होती है। जब इस पानी को नीचे गिराया जाता है तो स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में परिवर्तित होती है। इस गतिज ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदल कर टरबाइन चलाए जाते हैं। इस प्रकार टरबाइन से प्राप्त यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत उत्पादक यंत्रों द्वारा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।
प्रश्न 51. पवन ऊर्जा की एक महत्त्वपर्ण परिसीमा limitation बताइए। इसका एक लाभ भी बताएं।
उत्तर-पवन ऊर्जा की एक महत्त्वपूर्ण परिसीमा यह है कि यह सभी स्थानों पर हर समय उपलब्ध नहीं होती। अत: गतिशील वायु के बिना पाल-नाव तथा पवन चक्कियां चलनी बंद हो जाती हैं। पवन ऊर्जा का एक महत्त्वपूर्ण लाभ यह है कि इसके प्रयोग से वातावरण प्रदूषित नहीं होता।
प्रश्न 52. गतिशील जल में किस प्रकार की ऊर्जा होती है? उस उपकरण का नाम बताएं जिसके द्वारा बहते हुए जल की ऊर्जा उपयोग में लायी जाती है।
उत्तर-गतिशील जल में अपनी गति के कारण गतिज ऊर्जा होती है। पनचक्की में बहते हुए जल की ऊर्जा काम में लाई जाती है।
प्रश्न 53. क्या कारण है कि आरंभ के दिनों में अधिकतर फैक्टरियां बहती नदी अथवा बांध के पास स्थित होती थीं?
उत्तर-बहती नदी के जल या बांध से गिरते हुए जल की गतिज ऊर्जा से फैक्टरी की मशीनें चलने लगती हैं। इसलिए बहते हुए जल की गतिज ऊर्जा का उपयोग करके फैक्टरी की मशीनें चलाने के लिए ही आरंभ में अधिकतर फैक्टरियां बहती नदी अथवा बांध के पास स्थित होती थीं।
प्रश्न 54. जल ऊर्जा का एक महत्त्वपूर्ण प्रतिबंध (limitation) बताइए। इसका एक लाभ भी लिखें।
उत्तर-जल ऊर्जा का एक महत्त्वपूर्ण प्रतिबंध यह है कि पन-चक्की को चलाने के लिए बहता हुआ जल प्रत्येक स्थान पर अधिक मात्रा में उपलब्ध नहीं होता। इसलिए कार्य करने के लिए जल ऊर्जा का उपयोग केवल उन्हीं स्थानों पर हो सकता है जहां बहता हुआ जल अधिक मात्रा में उपलब्ध हो। जल ऊर्जा का एक महत्त्वपूर्ण लाभ यह है कि इसके उपयोग से पर्यावरण का प्रदूषण नहीं होता।
प्रश्न 55. क्या कारण है कि एक जल-प्रपात की चोटी की तलना में उसके तल के पास का पानी हल्का सा गर्म होता है?
उत्तर-अधिक ऊंचाई के कारण जल-प्रपात की चोटी पर पानी में स्थितिज ऊर्जा होती है। जब यह पानी नीच गिरता है तो इसकी स्थितिज ऊर्जा, गतिज ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है और जब यह पानी ज़मीन से टकराता है तो उसकी गतिज ऊर्जा का एक भाग ऊष्मीय ऊर्जा में बदल जाता है। इस प्रकार उत्पन्न ऊष्मीय ऊर्जा, जल-प्रपात के तल के पास के पानी को थोड़ा-सा गर्म कर देती है।।
प्रश्न 56. ‘किसी बाँध द्वारा उत्पन्न की गई जल-विद्युत् को सौर ऊर्जा का ही अन्य रूप माना जा सकता है।‘ समझाइए।
उत्तर-बहते हुए जल से उत्पन्न विद्युत् को जल-विद्युत् कहते हैं। सौर ऊर्जा की ऊष्मा को समुद्र, वृक्षों के पत्तों तथा पृथ्वी की सतह पर उपस्थित जल स्रोतों में से जल का वाष्पीकरण करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार उत्पादित जल वाष्प वायुमंडल में ऊपर उठते हैं। यह जल वाष्प ठंडे होकर वापिस वर्षा के रूप में नीचे गिरते हैं। वर्षा का पानी तथा बर्फ के पिघलने तथा बर्फ से बना जल जल-बांध में इकट्ठा कर लिया जाता है। इस प्रकार सौर ऊर्जा जल की स्थितिज ऊर्जा में बदल जाती है। इस पानी को तीव्र गति से प्रवाहित किया जाता है और इस प्रकार स्थितिज ऊर्जा गतिज ऊर्जा में बदल जाती है। जब यह तीव्र गति से बह रहा जल टरबाइन के ब्लेडों से टकराता है तो इसकी गतिज ऊर्जा टरबाइन को स्थानांतरित हो जाती है जिससे विद्युत् उत्पन्न होती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जल विद्युत सौर ऊर्जा का अन्य रूप है।
प्रश्न 57. बड़े-बड़े बांधों के निर्माण के साथ जुड़ी विभिन्न समस्याओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-बड़े-बड़े बांधों के निर्माण के लिए पर्वतीय क्षेत्रों को अच्छा माना जाता है। वहाँ बनाए गए बांधों से जुड़ी हुई प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं-
(i) कृषि योग्य भूमि का बहुत बड़ा भाग जल में डूबकर नष्ट हो जाता है।
(ii) मानव आवास नष्ट हो जाते हैं।
(iii) जल में डूब कर पारिस्थितिक तंत्र नष्ट हो जाते हैं।
(iv) सड़े-गले पेड़-पौधे अवायवीय परिस्थितियों में सड़ कर मैथेन गैस उत्पन्न करते हैं जिससे ग्रीन हाऊस प्रभाव बढ़ता है।
(v) बांधों के निर्माण से विस्थापित लोगों के संतोषजनक पुनर्वास और क्षतिपूर्ति की समस्या उत्पन्न हो जाती है।
प्रश्न 58. सूर्य ऊर्जा का प्रत्यक्ष एवं विशाल स्रोत किस प्रकार है?
उत्तर-सूर्य की ऊर्जा से ही पृथ्वी पर हवा चलती है तथा जल चक्र चलता है। पेड़-पौधे सौर ऊर्जा का उपयोग करके प्रकाश संश्लेषण दवारा भोजन तैयार करते हैं। इसी भोजन पर ही समस्त मानव जाति तथा जंतुओं का जीवन निर्भर करता है। अन्य ऊर्जाओं का मूल स्रोत भी सूर्य ही है। यदि सूर्य न होता तो किसी प्रकार की ऊर्जा भी न होती। यह कहना पूर्ण रूप से सही है कि ऊर्जा का प्रत्यक्ष एवं विशाल स्रोत सूर्य है।
प्रश्न 59. सौर ऊर्जा के निर्माण की मुख्य विधि क्या है?
उत्तर-सूर्य हाइड्रोजन से बना है। हाइड्रोजन के नाभिक अत्यंत तेज़ गति से गतिशील होते हैं। जब ये नाभिक परस्पर जुड़ते हैं तो अधिक द्रव्यमान वाले तत्वों के नाभिक बनते हैं तथा अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है।
2 2 4
H+H→ He + ऊष्मा ऊर्जा
1 1 2
प्रश्न 60. उस विधि का नाम लिखो जिसके द्वारा सूर्य से ऊर्जा प्राप्त होती है। ऊर्जा प्राप्त करने के लिए इस विधि को प्रयोगशाला में क्यों नहीं अपनाया जा सकता?
उत्तर-सूर्य से ऊर्जा नाभिकीय संलयन विधि द्वारा उत्पन्न होती है। यह क्रिया केवल अत्यधिक ताप (4000000°C) पर ही संपन्न हो सकती है। इतने उच्च ताप को प्रयोगशाला में किसी अवस्था में उत्पन्न नहीं किया जा सकता और न ही अभिक्रिया को नियंत्रित किया जा सकता है।
प्रश्न 61. विखंडन तथा संलयन में उत्पन्न होने वाली ऊर्जाओं की तुलना कीजिए।
उत्तर-विखंडन और संलयन के दौरान उत्पन्न ऊर्जा में बहुत बड़ा अंतर है। जब एक ग्राम यूरेनियम को विखंडित किया जाता है तो लगभग 6.2×1010 J ऊर्जा उत्पन्न होती है। लेकिन जब 1 ग्राम ड्यूटीरियम को संलयित किया जाता है तो 2.3 x 1012 J ऊर्जा उत्तपन होती है। परमाणु विखंडन को संलयन की अपेक्षा अधिक हानिकारक माना जाता है क्योंकि विखंडन प्रक्रिया से वातावरण में रेडियो सक्रियता बढ़ जाती है जिसके परिणामस्वरूप गुणसूत्रों और जीन में परिवर्तन आ जाता है। ल्यूकीरिया (blood cancer) हो जाता है तथा जैविक आधार पर अनेक दोष उत्पन्न हो जाते हैं।
प्रश्न 62. हम किसी ऊर्जा स्रोत का चयन किन कारकों के आधार पर करते हैं?
उत्तर-1. ऊर्जा प्राप्त करने में सरलता
- कम ख़र्च
- प्रौद्योगिकी की दक्षता
4 पर्यावरण को होने वाली कम-से-कम क्षति।
अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न
(Very Short Answer Type Questions)
प्रश्न 1. किसी भौतिक या रासायनिक प्रक्रिया में कुल ऊर्जा रूपांतरण के समय क्या होता है?
उत्तर-ऊर्जा संरक्षित रहती है।
प्रश्न 2. किसी प्लेट को ऊँचाई से नीचे गिराने पर जब वह फर्श से टकरा जाती है तो कौन-सा ऊर्जा का रूपांतरण होता है?
उत्तर-प्लेट की स्थितिज ऊर्जा ध्वनि ऊर्जा में रूपांतरित हो जाती है।
प्रश्न 3. मोमबत्ती के जलने पर मोम की रासायनिक ऊर्जा का रूपांतरण किस में होता है?
उत्तर-ऊष्मीय ऊर्जा और प्रकाश ऊर्जा में।
प्रश्न 4. शारीरिक कार्यों को करने के लिए किस ऊर्जा की आवश्यकता होती है?
उत्तर-पेशीय ऊर्जा।
प्रश्न 5. विविध वैद्युत साधित्रों को प्रचालित करने के लिए किस ऊर्जा की आवश्यकता होती है?
उत्तर-विद्युत ऊर्जा।
प्रश्न 6. भोजन पकाने और किसी वाहन को दौड़ाने के लिए किस ऊर्जा की आवश्यकता होती है?
उत्तर-रासायनिक ऊर्जा।
प्रश्न 7. उत्तम ईंधन किसे कहते हैं? (H.P. 2011 Set-A, C, 2012 Set-B, 2014 Set-C)
उत्तर-जो ईंधन प्रति एकांक द्रव्यमान अधिक कार्य करे, सरलता से प्राप्त हो, भंडारण और परिवहन सरल हो तथा दाम में सस्ता हो, उस ईंधन को उत्तम ईंधन कहते हैं।
प्रश्न 8. किस ईंधन के उपयोग ने औद्योगिक क्रांति को संभव बनाया?
उत्तर-कोयले के उपयोग ने।
प्रश्न 9. जीवाश्मी ईंधन के दो उदाहरण लिखिए। (H.P. 2010, 2011, Set B, C, 2014 Set-B, Set-C, 2015) उत्तर-कोयला, पेट्रोलियम।
प्रश्न 10. जीवाश्मी ईंधनों को बनने में कितने वर्ष लगे?
उत्तर-करोड़ों वर्ष।
प्रश्न 11. जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के कैसे स्रोत हैं?
उत्तर-अनवीकरणीय स्रोत।
प्रश्न 12. जीवाश्म ईंधन जलने से किन-किन अधातुओं के ऑक्साइड बनते हैं?
उत्तर-कार्बन, नाइट्रोजन और सल्फर।
प्रश्न 13. किस अधातु का ऑक्साइड अम्लीय वर्षा का कारण बनता है?
उत्तर-सल्फर।
प्रश्न 14. कौन-सी वर्षा हमारे जल और मृदा के संसाधनों को प्रभावित करती है?
उत्तर-अम्लीय वर्षा।
प्रश्न 15. किसी सरलतम टरबाइन में गतिशील भाग कौन-सा होता है?
उत्तर-घूर्णक-ब्लेड संयोजन।
प्रश्न 16. विद्युत संयंत्रों में किसे जलाकर प्रायः माप बनाई जाती है?
उत्तर-जीवाश्म ईंधन को।
प्रश्न 17. जिन संयंत्रों में ईंधन को जलाकर ऊष्मीय ऊर्जा उत्पन्न की जाती है, उन्हें क्या कहते हैं?
उत्तर-तापीय विद्युत संयंत्र।
प्रश्न 18. जल वैद्युत ऊर्जा के लिए ऊर्जा के किस रूप को किस में रूपांतरित किया जाता है?
उत्तर-गिरते जल की स्थितिज ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में।
प्रश्न 19. हमारे देश में ऊर्जा के कितने भाग की आपूर्ति जल वैद्युत संयंत्रों से होती है?
उत्तर-लगभग 25%।
प्रश्न 20. बांध बनाकर नदियों के पानी की किस ऊर्जा का किस में रूपांतरण होता है?
उत्तर-गतिज ऊर्जा का स्थितिज ऊर्जा में रूपांतरण।
प्रश्न 21. टिहरी बाँध किस नदी पर बनाया गया है?
उत्तर-गंगा नदी पर।
प्रश्न 22. सरदार सरोवर बांध का निर्माण किस नदी पर किया गया है? (H.P. 2013, Set-B)
उत्तर-नर्मदा नदी पर।
प्रश्न 23. बांधों के जल में पारिस्थितिक तंत्र नष्ट क्यों हो जाते हैं?
उत्तर-जल में डूब जाने के कारण।
प्रश्न 24. प्राचीन काल में ईंधन के रूप में किस का प्रयोग किया जाता था?
उत्तर-लकड़ी का।
प्रश्न 25. किस ईंधन को ‘जैव मात्रा‘ कहते हैं?
उत्तर-जो ईंधन पादप और जंतु उत्पाद हो, जैसे गोबर।
प्रश्न 26. चारकोल किस प्रकार बनाया जाता है?
उत्तर-लकड़ी को वायु की सीमित आपूर्ति में जलाकर।
प्रश्न 27. चारकोल किस प्रकार जलता है?
उत्तर-चारकोल बिना ज्वाला के जलता है।
प्रश्न 28. जैव गैस को उत्तम ईंधन क्यों मानते हैं?
उत्तर- इसमें 75% तक मीथेन होती है जो बिना धुआं उत्पन्न किए हुए जलती है।
प्रश्न 29. पवनों का प्रवाह कैसे होता है?
उत्तर-सूर्य के विकिरणों से भूखंडों तथा जलाशयों के असमान तप्त होने के कारण वायु में गति उत्पन्न होती है तथा पवनों का प्रवाह होता है।
प्रश्न 30. शताब्दियों पहले पवन चक्कियों का उपयोग मुख्य रूप से किस लिए किया जाता था?
उत्तर-कुओं से जल बाहर खींचने के लिए।
प्रश्न 31. पवन चक्की की किस गति से विद्युत उत्पन्न की जाती है?
उत्तर-घूर्णी गति।
प्रश्न 32. पवन ऊर्जा फार्म किसे कहते हैं?
उत्तर-जब किसी विशाल क्षेत्र में अनेक पवन चक्कियाँ लगाई जाती हैं तो उस क्षेत्र को पवन ऊर्जा फार्म कहते हैं।
प्रश्न 33. व्यापारिक स्तर पर विद्युत प्राप्त करने के लिए किसी पवन ऊर्जा फार्म में क्या किया जाता है? उत्तर-सभी पवनचक्कियों द्वारा उत्पन्न विद्युत ऊर्जाओं का परस्पर योग कर लिया जाता है।
प्रश्न 34. किस देश को पवनों का देश कहा जाता है? (H.P. 2013, Set-B)
उत्तर-डेनमार्क को।
प्रश्न 35. डेनमार्क में कितने प्रतिशत विद्युत आपूर्ति पवन चक्कियों से की जाती है?
उत्तर-25%
प्रश्न 36. पवन ऊर्जा के क्षेत्र में कौन-सा देश अग्रणी है?
उत्तर-जर्मनी।
प्रश्न 37. पवन ऊर्जा उत्पादित करने में भारत का विश्व भर में कौन-सा स्थान है? (H.P. 2014, Set-A)
उत्तर–पाँचवां स्थान।
प्रश्न 38. यदि पवनों द्वारा विद्युत उत्पादन की अपनी क्षमता का पूरा उपयोग करें तो हम कितनी विद्युत शक्ति उत्पन्न कर सकते हैं?
उत्तर-लगभग 45,000 MWI
प्रश्न 39. तमिलनाडु में कन्याकुमारी के निकट भारत का विशालतम पवन ऊर्जा फार्म कितनी ऊर्जा उत्पन्न करता है?
उत्तर-380 MWI
प्रश्न 40. पवन ऊर्जा के लिए पवनों की चाल कितनी होनी चाहिए? (H.P. 2015)
उत्तर-15Km/h से अधिक।
प्रश्न 41. पवन न चलने की अवस्था में पवन चक्की की टरबाइन किस की सहायता से चलाए जाते हैं?
उत्तर-संचायक सैलों की सहायता से।
प्रश्न 42. पवन चक्कियों में टूट-फूट की संभावना किन कारणों से होती है?
उत्तर-अंधड़, चक्रवात, धूप, वर्षा आदि प्राकृतिक थपेड़ों से।
प्रश्न 43. सूर्य लगभग कब से विशाल मात्रा में ऊर्जा विकरित कर रहा है?
उत्तर-लगभग 5 करोड़ वर्ष से।
प्रश्न 44. सूर्य कब तक ऊर्जा विकरित करता रहेगा?
उत्तर-लगभग 5 करोड़ वर्ष तक।
प्रश्न 45. वायुमंडल की बाह्य परतों से पार निकल कर इसका कितना भाग अवशोषित हो जाता है?
उत्तर-लगभग आधा भाग।
प्रश्न 46. हमारा देश प्रति वर्ष कितनी सौर ऊर्जा प्राप्त करता है?
उत्तर-5000 ट्रिलियन किलोवाट।
प्रश्न 47. पृथ्वी के किसी क्षेत्र में प्रतिदिन आने वाली औसत सौर ऊर्जा कितनी होती है?
उत्तर-4 से 7 Kwh/m2
प्रश्न 48. सौर कुक्कर में कांच की शीट का ढक्कन क्यों लगाया जाता है?
उत्तर-ग्रीन हाऊस प्रभाव उत्पन्न करने के लिए।
प्रश्न 49. सौर सेल सौर ऊर्जा को किस में रूपांतरित करते हैं?
उत्तर-विद्युत ऊर्जा में।
प्रश्न 50. सौर पैनेलों की व्यवस्था क्यों की जाती है?
उत्तर-अधिक विद्युत के लिए।
प्रश्न 51. महासागरों में जल का स्तर किस कारण चढ़ता और गिरता है?
उत्तर-चंद्रमा के गुरुत्वीय खिंचाव के कारण।
प्रश्न 52. ज्वारीय ऊर्जा के दोहन के लिए बांध का निर्माण कहाँ किया जाता है?
उत्तर-संकीर्ण क्षेत्र पर।
प्रश्न 53. तरंग ऊर्जा किस प्रकार की तरंगों से उत्पन्न होती है?
उत्तर-प्रबल तरंगों से।
प्रश्न 54. भूतापीय ऊर्जा किन परिवर्तनों का परिणाम है?
उत्तर-भौमिकीय परिवर्तनों का।
प्रश्न 55. ‘तप्त स्थल‘ क्या है?
उत्तर-भूमिगत तपे हुए क्षेत्रों को।
प्रश्न 56. गर्म जल के निकास मार्गों को गर्म चश्मों के अतिरिक्त और क्या कह कर पुकारते हैं?
उत्तर-ऊष्ण स्रोत।
प्रश्न 57. तप्त स्थलों से भाप को किस प्रकार बाहर निकाला जाता है?
उत्तर–पाइप डालकर भाप को बाहर निकाला जाता है।
प्रश्न 58. किन दो देशों में भूतापीय ऊर्जा पर आधारित विद्युत शक्ति संयंत्र कार्य कर रहे हैं?
उत्तर-न्यूज़ीलैंड तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में।
प्रश्न 59. नाभिकीय ऊर्जा किस कारण उत्पन्न होता है?
उत्तर-नाभिकीय विखंडन से।
प्रश्न 60. भारी नाभिक तत्वों के तीन उदाहरण दीजिए।
उत्तर-यूरेनियम, प्लूटोनियम, थोरियम।
प्रश्न 61. किन की बमबारी से भारी नाभिक तत्त्व को हल्के नाभिकों में तोड़ा जा सकता है?
उत्तर-निम्न ऊर्जा न्यटॉन की बमबारी से।
प्रश्न 62. यूरेनियम के परमाणु के विखंडन से कितनी ऊर्जा उत्पन्न होती है?
उत्तर-कोयले के किसी कार्बन परमाणु के दहन से उत्पन्न ऊर्जा की तुलना में एक करोड़ गुना अधिक। प्रश्न 63. अल्बर्ट आइंस्टीन का नाभिकीय विखंडन संबंधी सूत्र लिखिए।
उत्तर-E = Δ mc2
प्रश्न 64. हमारे देश में नाभिकीय विद्युत संयंत्र कहाँ-कहाँ प्रतिष्ठित हैं?
उत्तर-तारापुर (महाराष्ट्र), राणा प्रताप सागर (राजस्थान), कलपाक्कम (तमिलनाडु), नरौरा (उत्तर प्रदेश), कटरापर (गुजरात) और कैगा (कर्नाटक)।
प्रश्न 65. हमारे देश की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता की कितने प्रतिशत आपूर्ति नाभिकीय विद्युत संयंत्रों से होती है?
उत्तर-केवल 3%|
प्रश्न 66. सभी व्यापारिक नाभिकीय रिएक्टर किस पर आधारित हैं?
उत्तर-नाभिकीय विखंडन पर।
प्रश्न 67. नाभिकीय संलयन से संबंधित अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर-2H + 2H→He. { + N}.
प्रश्न 68. नाभिकीय संलयन के लिए कितना तापमान आवश्यक होता है?
उत्तर-107K.
प्रश्न 69. C.N.G. तथा L.P.G. के पूरे नाम लिखिए। (H.P. 2010, Set-B, 2015)
उत्तर-C.N.G. = संपीडित प्राकृतिक गैस (Compressed Natural Gas). L.P.G. = द्रवित पैट्रोलियम गैस (Liquid Petrolium Gas)
प्रश्न 70. समाप्य और असमाप्य ऊर्जा स्रोत किस दूसरे नाम से जाने जाते हैं?
उत्तर-समाप्य = अनवीकरणीय स्रोत, असमाप्य = नवीकरणीय स्रोत।
प्रश्न 71. हमें अपने दैनिक जीवन में ऊर्जा की आवश्यकता कहाँ पड़ती है?
उत्तर-हमें अपने दैनिक जीवन में खाना पकाने, यातायात, प्रकाश, विद्युत, उद्योग चलाने, कृषि, संचार व्यवस्था, मनोरंजन, चिकित्सा आदि के लिए ऊर्जा की आवश्यकता पड़ती है।
प्रश्न 72. ऊर्जा का अंततः मुख्य स्रोत कौन-सा है?
उत्तर-सूर्य।
प्रश्न 73. ऊर्जा के स्रोतों को कितने भागों में बांटा जा सकता है?
उत्तर-ऊर्जा के स्रोतों को दो भागों में बांटा जा सकता है-नवीकरण ऊर्जा स्रोत, अनवीकरण ऊर्जा स्रोत।
प्रश्न 74. बायोगैस के अवयव कौन-कौन से हैं?
उत्तर-CH4, CO2, H, तथा H2 तथा H2S। इसमें मीथेन 65% होती है।
प्रश्न 75. जीवाश्म ईंधन की मुख्यतः रचना क्या है?
उत्तर-ऊर्जा युक्त कार्बन यौगिकों के वे अणु जिनका निर्माण मूलतः सौर ऊर्जा का उपयोग करते हुए वनस्पतियों ने किया था उन्हें जीवाश्म ईंधन कहते हैं।
प्रश्न 76. कोयले में पाए जाने वाले मुख्य अवयव लिखो।
उत्तर-कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन के अणु तथा कुछ मात्रा में सल्फर।
प्रश्न 77. कोयले को वायु की अनुपस्थिति में जलाने से प्राप्त होने वाले दो उत्पाद लिखो।
उत्तर-(i) कोक (ii) कोलतार।
प्रश्न 78. एक कारण बताओ जिसके आधार पर हम यह कह सकते हैं कि बायोगैस एक अच्छा ईंधन है। उत्तर-इसका अधिक भाग मीथेन है जो स्वयं उत्तम ईंधन है।
प्रश्न 79. बायोगैस संयंत्र किसानों के लिए वरदान क्यों माना जाता है?
उत्तर-इससे गैसीय ईंधन के अतिरिक्त स्लरी के रूप में खाद मिलती है।
प्रश्न 80. कोल गैस के कौन-कौन से घटक हैं?
उत्तर-कोल गैस के घटक-कोल गैस, मीथेन, हाइड्रोजन, कार्बन मोनोऑक्साइड, एस्टिलीन, इथाइलीन, नाइट्रोजन तथा कार्बनऑक्साइड का मिश्रण है।
प्रश्न 81. L.P.G. के अवयव लिखिए।
उत्तर-इथेन, प्रोपेन तथा ब्यूटेन। मुख्य संघटक ब्यूटेन हैं, जिन्हें उच्च दाब पर तरल रूप में बदला जा सकता है।
प्रश्न 82. प्राकृतिक गैस का मुख्य अवयव बताओ।
उत्तर-CH4, मीथेन।
प्रश्न 83. अनवीनीकरण ईंधन कौन-कौन से हैं?
उत्तर-कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस।
प्रश्न 84. L.P.G. के रिसाव की जाँच में क्या मिलाया जाता है? (H.P. 2011 Set-B)
उत्तर- इथायल मरकापटैन (C2H5SH)
प्रश्न 85. किस हाइड्रोकार्बन का कैलोरीमान सर्वाधिक है?
उत्तर-मीथेन का कैलोरीमान सर्वाधिक (55KJ/g) है।
प्रश्न 86. हाइड्रोजन गैस का कैलोरीमान बहुत ऊंचा होता है लेकिन फिर भी इसे ईंधन के रूप में उपयोग नहीं करते ऐसा क्यों है?
उत्तर-(i) यह एक विस्फोटक गैस है।
(ii) इसका सुगमता से भंडारण नहीं किया जा सकता है।
प्रश्न 87. जीवाश्म ईंधन किसे कहते हैं? जीवाश्म ईंधन का कोई एक उदाहरण दो।
उत्तर-जंतु तथा वनस्पति का कई वर्षों से पृथ्वी की सतह के नीचे दब कर अपघटित हो जाने से बने ईंधन को जीवाश्म ईंधन कहते हैं। ये वास्तव में पौधों और जंतुओं के धीमे ऑक्सीकरण द्वारा बनते हैं। पेट्रोलियम एक जीवाश्म ईंधन है।
प्रश्न 88. किसी ईंधन के कैलोरीमान की परिभाषा दो।
उत्तर-ईंधन के एक ग्राम द्रव्यमान को पूर्ण रूप से जलाने से उत्पन्न हुई ऊष्मा उस ईंधन की ऊष्मीय मान या कैलोरीमान का माप होती है। प्रत्येक ईंधन का कैलोरीमान अलग-अलग होता है।
प्रश्न 89. ईंधन तेल कोयले की अपेक्षा क्यों अधिक अच्छा है?
उत्तर-(i) ईंधन तेल का ज्वलन ताप कम होता है।
(ii) इसका ऊष्मीय मान अधिक होता है।
प्रश्न 90. द्रव तथा गैसीय ईंधन के ठोस ईंधन की तुलना में दो उपयोग बताओ।
उत्तर-(i) ठोस ईंधन की तुलना में द्रव तथा गैसीय ईंधन का ज्वलन ताप कम होता है।
(ii) ठोस ईंधन जलने पर धुआँ छोड़ते हैं जबकि द्रव तथा गैसीय ईंधन जलने पर या तो कम धुआं देते हैं या बिल्कुल धुआँ नहीं देते हैं।
प्रश्न 91. जीव द्रव्यमान (biomass) क्या होता है?
उत्तर-पौधों तथा जंतुओं के शरीर में उपस्थित पदार्थों को जीव द्रव्यमान कहते हैं।
प्रश्न 92. हाइड्रोजन के यौगिक पृथ्वी में अधिकांश मात्रा में उपलब्ध हैं और इनका उच्च ऊष्मीय मान है परंतु यह गैस घरेलू ईंधन के रूप में सामान्य रूप से प्रयोग नहीं होती है। इसका एक मुख्य कारण बताओ।
उत्तर-यह अत्यंत ज्वलनशील और विस्फोटक है। अतः इसका प्रयोग तकनीकी रूप से मुश्किल है।
प्रश्न 93. एक कि० ग्रा० लकड़ी से कितना चारकोल उत्पन्न होता है?
उत्तर-0.25 कि० ग्रा०।
प्रश्न 94. ऐसे दो ऊर्जा के स्रोतों का नाम लिखिए जिन्हें आप नवीकरणीय मानते हैं? (H.P. 2011, Set-C)
उत्तर-सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा।
प्रश्न 95. ईंधन के रूप में गोबर के उपलों की कोई दो हानियां लिखो।
उत्तर-(i) इनका दहन अपूर्ण होता है, जिससे धुआँ उत्पन्न होता है।
(ii) गोबर में उपस्थित लाभप्रद तत्त्व नष्ट हो जाते हैं जो मिट्टी की उर्वरकता को बढ़ाते हैं।
प्रश्न 96. किस चूल्हे में ईंधन का दहन अपेक्षाकृत अधिक होता है-परंपरागत चूल्हे में या धुएँ रहित चूल्हे में।
उत्तर-धुएं रहित चूल्हे में।
प्रश्न 97. पृथ्वी पर ऊर्जा का मुख्य स्रोत क्या है? (H.P. 2009, Set A)
उत्तर-सूर्य।
प्रश्न 98. कोयले में कार्बन के अतिरिक्त और कौन-से तत्व होते हैं?
उत्तर-सूक्ष्म मात्रा में गंधक, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन।
प्रश्न 99. दो कम ज्वलन ताप वाले द्रवों के नाम बताइए।
उत्तर-अल्कोहल तथा पेट्रोल।
प्रश्न 100. घरों में उपयोग किए जाने वाले ईंधनों के उदाहरण दें।
उत्तर-घरों में उपयोग किए जाने वाले ईंधन-लकड़ी, गोबर, कोयला, चारकोल तथा द्रवित पेट्रोलियम गैस (L.P.G.) आदि।
प्रश्न 101. “कुछ शहरों में घरेलू जल-मल का विसर्जन विशाल बायो-गैस संयंत्रों में किया जाता है।” क्यों?
उत्तर-घरेलू मल-जल का बायोगैस बनाने के लिए उपयोग करने से न केवल लाभप्रद गैसीय ईंधन ही उपलब्ध होता है बल्कि इससे जल-प्रदूषण का भी नियंत्रण होता है।
प्रश्न 102. उद्योगों में मुख्य रूप से किस ईंधन का प्रयोग किया जाता है?
उत्तर-कोयले या ईंधन तेल का।
प्रश्न 103. अधिकांश भारतीय अपना खाना पकाने के लिए किस ईंधन का प्रयोग करते हैं?
उत्तर-लकड़ी, कोयले और सूखे उपलों का।
प्रश्न 104. परंपरागत चूल्हों में कौन-सा ईंधन जलाया जाता है?
उत्तर-लकड़ी तथा उपले।
प्रश्न 105. परंपरागत चूल्हे का एक दोष लिखिए।
उत्तर-परंपरागत चूल्हा बहुत अधिक वायु प्रदूषण करता है।
प्रश्न 106. किस प्रकार के चूल्हे में ईंधन की बचत होती है?
उत्तर-धुएं रहित चूल्हे में ईंधन की बचत होती है।
प्रश्न 107. चारकोल का प्रयोग दिन-प्रतिदिन कम क्यों होता जा रहा है?
उत्तर-चारकोल का प्रयोग लकडी की कमी के कारण कम होता जा रहा है।
प्रश्न 108. बायोगैस का मुख्य स्रोत क्या है?
उत्तर-बायोगैस का मुख्य स्रोत गोबर है।
प्रश्न 109. ईंधन के अतिरिक्त बायोगैस का एक उपयोग लिखिए।
उत्तर-बायोगैस का प्रयोग सड़कों पर प्रकाश करने में होता है।
प्रश्न 110. बायोगैस संयंत्र किस-किस प्रकार के हैं?
उत्तर-(i) स्थायी गुंबज संयंत्र (ii) तैरती गैस टंकी संयंत्र।
प्रश्न 111. स्थायी गुंबज टंकी संयंत्र अच्छा क्यों माना जाता है?
उत्तर-इस संयंत्र में संपाचक और गैस गुंबज एक ही इकाई में होते हैं।
प्रश्न 112. घरेलू जल-मल का विसर्जन कहां किया जा सकता है?
उत्तर-बायोगैस संयंत्रों में घरेलू जल-मल का विसर्जन किया जा सकता है।
प्रश्न 113. ऐसी संस्था का नाम लिखिए जो व्यापक स्तर पर बायोगैस संयंत्रों के निर्माण कार्य को प्रोत्साहन दे रही है।
उत्तर-खादी तथा ग्रामोदयोग समिति।
प्रश्न 114. विश्व में सबसे अधिक मवेशी किस देश में हैं?
उत्तर-भारत में।
प्रश्न 115. हमारे देश के मवेशियों से कितने बायोगैस संयंत्र लगाए जा सकते हैं?
उत्तर-14.5 लाख संयंत्र।
प्रश्न 116. बायोगैस संयंत्रों से हमारे देश की घरेलू ऊर्जा की कितने प्रतिशत आपूर्ति की जा सकती है?
उत्तर-लगभग 75%.
प्रश्न 117. सौर कुक्करों के उपयोग को बढावा देने के लिए किन संस्थाओं ने प्रयास किए हैं?
उत्तर-भारत सरकार ने गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोत विभाग तथा प्रांतीय स्तर पर अन्य विभागों ने प्रयास किया।
प्रश्न 118. सौर सैल किस ऊर्जा को किस ऊर्जा में परिवर्तित करता है?
उत्तर-सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में।
प्रश्न 119. किन्हीं चार अर्ध-चालकों के नाम बताओ जिनसे सौर सैल बनाये जाते हैं।
उत्तर-सिलिकॉन, गैलियम, सीलीनियम, जर्मेनियम।
प्रश्न 120. भारत में पवन ऊर्जा का लाभ उठाने हेतु कौन-कौन सी योजनाएं आरंभ की जा चुकी हैं?
उत्तर-(i) गुजरात के ओखा नामक स्थान पर स्थित IMW की पवन चक्की।
(ii) गुजरात के पोरबंदर में स्थित लांबा नामक स्थान पर पवन ऊर्जा शक्ति संयंत्र।।
प्रश्न 121. विश्व का ऐसा पहला कौन-सा देश था जिसने व्यावसायिक स्तर पर सौर कुक्करों का उत्पादन सर्वप्रथम किया?
उत्तर-भारत (सन् 1962 में)।
प्रश्न 122. सेलेनियम पर आपतित सौर ऊर्जा का कितना प्रतिशत विद्युत में परिवर्तित होता है?
उत्तर-0.6%।
प्रश्न 123. आधुनिक सेलेनियम सौर सैल की दक्षता कितनी है?
उत्तर-25%
प्रश्न 124. अर्धचालकों से निर्मित सौर सैलों की दक्षता कितनी है?
उत्तर-10%-18%.
प्रश्न 125. ग्लाइडर उड़ने के लिए किस ऊर्जा पर निर्भर करता है?
उत्तर-पवन ऊर्जा पर।
प्रश्न 126. विद्युत उत्पादन करने के लिए किस ऊर्जा का उपयोग करने से पर्यावरण का प्रदूषण नहीं होता?
उत्तर-पवन ऊर्जा।
प्रश्न 127. किस महीने में पवन प्रवाह सब से कम होता है?
उत्तर-जनवरी में।
प्रश्न 128. किस महीने में पवन प्रवाह बहुत तेज़ होता है?
उत्तर-जुलाई में।
प्रश्न 129. सौर सैल क्या होते हैं?
उत्तर-सौर सैल एक ऐसी युक्ति है जो सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करती है।
प्रश्न 130. सौर कुक्कर क्या होते हैं?
उत्तर-यह वह सौर तापन युक्ति है जो सौर ऊर्जा को ताप ऊर्जा में परिवर्तित करके खाना बनाने के काम में प्रयोग की जाती है।
प्रश्न 131. भारत में ज्वारीय तंरगों से ऊर्जा कहां-कहां प्राप्त की जा रही है?
उत्तर-गुजरात, कच्छ की खाड़ी एवं कैम्बे तथा पश्चिम बंगाल के पूर्वी सागरीय तट पर स्थित सुंदर वन।
प्रश्न 132. जल का कौन-सा गुण महासागरों के ऊर्जा का विशाल भंडार प्रदान करने का आधार बनता है?
उत्तर-जल की विशिष्ट ऊष्माधारिता का उच्चमान।
प्रश्न 133. सागरीय तापीय ऊर्जा को किस उपयोगी रूप में बदला जा सकता है?
उत्तर-विद्युत में।
प्रश्न 134. पवन चक्की से मिलता-जुलता दैनिक जीवन में एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-कागज़ की बनी फिरकी।
प्रश्न 135. अनवीकरण जीवाश्म ईंधनों के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-कोयला और पेट्रोलियम।
प्रश्न 136. सबसे पहला व्यावहारिक सौर सैल कब बनाया गया था?
उत्तर-सन् 1954 में।
प्रश्न 137. अर्धचालकों की चालकता को किस प्रकार बढ़ाया जा सकता है?
उत्तर-अर्धचालकों की चालकता को विशेष अपद्रव्य मिलाकर बढ़ाया जा सकता है।
प्रश्न 138. ऊर्जा का चिरस्थाई स्रोत कौन-सा है?
उत्तर-सूर्य।
प्रश्न 139. पारंपरिक रूप से सौर ऊर्जा के दो उपयोग लिखिए।
उत्तर-(i) कपड़े सुखाने में, (ii) समुद्र के पानी से नमक बनाने में।
प्रश्न 140. सौर पैनेल (Solar Panel) क्या होते हैं?
उत्तर-सौर सैलों के समूह को सौर पैनेल कहते हैं। इसमें बड़ी संख्या में सौर सैलों को एक विशेष क्रम में जोड दिया जाता है।
प्रश्न 141. सौर पैनेलों के दो लाभ लिखिए।
उत्तर-(i) सड़कों पर प्रकाश करने, (ii) जल-पंप चलाने में।
प्रश्न 142. कृत्रिम उपग्रहों में विद्युत ऊर्जा किस साधन से प्राप्त की जाती है?
उत्तर-सौर पैनेलों से।
प्रश्न 143. सौर ऊर्जा को सीधे विद्युत ऊर्जा में बदलने वाली युक्ति का नाम बताइए।
उत्तर-सौर सैल।
प्रश्न 144. बाँध के एकत्रित पानी में कौन-सी ऊर्जा होती है?
उत्तर-स्थितिज ऊर्जा।
प्रश्न 145. कोयले के जलने से ऊर्जा के कौन-से रूप प्रकट होते हैं?
उत्तर-ऊष्मीय ऊर्जा तथा प्रकाशीय ऊर्जा।
प्रश्न 146. थर्मल पावर स्टेशन पर ऊर्जा प्राप्ति का साधन क्या होता है?
उत्तर-कोयला।
प्रश्न 147. तेज़ आंधी वाले दिन कई मकानों की छतें क्यों उड़ जाती हैं?
उत्तर-तेज़ आंधी की गतिज ऊर्जा के कारण।
प्रश्न 148. आदिम मनुष्य खाना पकाने के लिए जिस ऊर्जा का उपयोग करते थे उसका स्रोत लिखिए। उत्तर-ऊष्मीय ऊर्जा।
प्रश्न 149. यांत्रिक ऊर्जा के दो प्रकार बताओ।
उत्तर-(i) स्थितिज ऊर्जा (ii) गतिज ऊर्जा।
प्रश्न 150. विद्युत पंखे तथा लाऊड स्पीकर में किस प्रकार का परिवर्तन होता है?
उत्तर-विद्युत पंखा-विद्युत ऊर्जा का यांत्रिक ऊर्जा में। लाऊड स्पीकर-ध्वनि ऊर्जा का विद्युत ऊर्जा में।
प्रश्न 151. ऊर्जा संरक्षण का नियम बताओ।
उत्तर-ऊर्जा संरक्षण का नियम-इस नियम के अनुसार ऊर्जा को न तो बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है। ऊर्जा एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित की जा सकती है परंतु ऊर्जा का कुल परिमाण बना रहता है।
प्रश्न 152. ऊर्जा के अपरंपरागत स्रोतों के दो उदाहरण बताओ।
उत्तर-(i) जल (ii) वायु।
प्रश्न 153. हम सीढ़ी चढ़ते समय कौन-सी ऊर्जा का उपयोग करते हैं?
उत्तर-पेशीय ऊर्जा।
प्रश्न 154. सौर ऊर्जा पर आधारित दो संयंत्रों के नाम लिखो।
उत्तर-(i) सोलर कुक्कर (ii) सोलर सैल।
प्रश्न 155. पवन चक्र की एक हानि बताओ।
उत्तर-पवन चक्र केवल उन्हीं क्षेत्रों में काम कर सकता है जहां पर्याप्त मात्रा में पवन बहती है।
प्रश्न 156. बाँध बनाने से किन दो स्थानों पर पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न हुई हैं?
उत्तर-गंगा नदी पर बने टिहरी बाँध और नर्मदा पर बने सरदार सरोवर बाँध पर।
प्रश्न 157. समुद्र की लहरें तटों से टकरा कर लगभग कितनी विद्युत ऊर्जा को उत्पन्न करने की क्षमता रखती हैं?
उत्तर-लगभग 2-3 मिलियन मैगावाट, जो 3000 बड़े बिजली प्लांट उत्पन्न कर सकते हैं।
बहु-विकल्पी प्रश्नोत्तर
(Multiple Choice Questions)
- बायोगैस में कितने प्रतिशत मीथेन गैस होती है।
(A) 25% (B) 50%
(C) 75% (D) 100%.
- सूर्य भविष्य में लगभग कितने वर्ष तक ऊर्जा विकसित करता रहेगा?
(A) 100 करोड़ (B) 250 करोड़
(C) 400 करोड़ (D) 500 करोड़।
- हमारा देश प्रतिवर्ष कितने किलोवॉट सौर ऊर्जा प्राप्त करता है?
(A) 5000 मिलियन (B) 5000 बिलियन
(C) 5000 ट्रिलियन (D) उपरोक्त सभी।
- सौर सैल बनाने के लिए किसका उपयोग किया जाता है?
(A) कार्बन विकली (B) सिलिकॉन
(C) सोडियम (D) कोबाल्ट।
- वह उपकरण जो ऊर्जा के एक रूप को यांत्रिक ऊर्जा में बदलता है क्या कहलाता है?
(A) सौर कुक्कर (B) सौर सैल
(C) इंजन (D) उपरोक्त सभी।
- गोबर का पानी में घोल जो संयंत्र में अवशेष के रूप में प्राप्त होता है, क्या कहलाता है?
(A) नोदक (B) जीवाश्म ईंधन
(C) स्लरी (D) संश्लिष्ट तेल।
- निम्नलिखित में से कौन जैव मात्रा ऊर्जा स्रोत का उदाहरण नहीं है?
(A) लकड़ी (B) गोबर गैस
(C) कोयला (D) नाभिकीय ऊर्जा।
- सौर कुक्कर 100°C – 140°C तापमान प्राप्त करने के लिए कितने घंटे ले लेता है?
(B- (A) 1-2 घंटे (B) 2-3 घंटे
(C) 7-8 घंटे (D) 9-10 घंटे।
- निम्नलिखित में से कौन ठोस ईंधन नहीं है?
(A) कोयला (B) लकडी
(C) कोक (D) किरोसीन।
- LPG का कैलोरी मान क्या है?
(A) मीथेन 46 KJ/g (B) 96 KJ/g
(C) हाइड्रोजन 146 KJ/g (D) 196 KJ/g.
- बायोगैस में निम्नलिखित में से कौन उपस्थित नहीं होता?
(A) CH4 (B) CO2
(C) H2 (D) O2
- पृथ्वी के वायुमंडल के ऊपरी भाग के प्रत्येक वर्गमीटर द्वारा कितनी ऊर्जा प्रति सेकेंड प्राप्त की जाती है?
(A) 1.36 KJ (B) 13.6 KJ
(C) .136 KJ (D) 136 KJ.
- निम्न में से कौन-सा अनवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है?
(A) पवन ऊर्जा (B) सौर ऊर्जा
(C) जीवाश्मी ईंधन (D) जल ऊर्जा।
- परमाणु संयंत्रों में प्रयुक्त ईंधन है–
(A) जल (B) यूरेनियम
(C) जीवाश्म ईंधन (D) बायो गैस।
- सौर कुक्कुर का कौन-सा भाग ग्रीन हाऊस प्रभाव के लिए उत्तरदायी है?
(A) बॉक्स के भीतर किया गया काला रंग (B) दर्पण
(C) काँच की शीट (D) सौर कुक्कर का बाहरी भाग।
- ऊर्जा का वास्तविक एकमात्र स्रोत क्या है?
(A) सूर्य (B) जल
(C) यूरेनियम (D) जीवाश्मी ईंधन।
- किसी भी भौतिक या रासायनिक प्रक्रम में कुल ऊर्जा रहती है–
(A) परिवर्तित (B) अपरिवर्तित
(C) गतिमान (D) अस्थिर।
- कार्बन, नाइट्रोजन और सल्फर के ऑक्साइड होते हैं–
(A) क्षारीय (B) अम्लीय
(C) उदासीन (D) लवणीय।
- निम्नलिखित में से कौन-सा जैव मात्रा ऊर्जा स्रोत का उदाहरण नहीं है? (H.P. 2014 Set-B)
(A) लकड़ी (B) गोबर गैस
(C) नाभिकीय ऊर्जा (D) कोयला।
- तापीय विद्युत संयंत्र किन क्षेत्रों के निकट स्थापित किए जाते हैं?
(A) नदी क्षेत्र (B) सागर तट
(C) कोयले-तेल के क्षेत्र (D) रेगिस्तान।
- हमारे देश ऊर्जा की कुल मांग का कितना भाग जल विद्युत संयंत्रों से पूरा होता है?
(A) 20% (B) 25%
(C) 30%. (D) 35%.
- कृषि योग्य भूमि और मानव आवास नष्ट होने का बड़ा कारण किस ऊर्जा उत्पादन को माना जाता है?
(A) जल ऊर्जा (B) पवन ऊर्जा
(C) परमाणु ऊर्जा (D) भूतापीय ऊर्जा।
- किस का दहन बिना ज्वाला के होता है?
(A) कोयला (B) लकड़ी
(C) चारकोल (D) उपले
- जैव गैस संयंत्र से प्राप्त स्लरी में किस की प्रचुर मात्रा होती है?
(A) सल्फर, फॉस्फोरस (B) कार्बन, सोडियम
(C) नाइट्रोजन, ऑक्सीजन (D) फॉस्फोरस, नाइट्रोजन।
- किस देश को पवनों का देश कहते हैं?
(A) भारत (B) इटली
(C) फ्रांस (D) डेनमार्क।
- टरबाइन की आवश्यक चाल को बनाए रखने के लिए पवन की चाल कितनी होनी चाहिए?
(A) 2 km/h से अधिक (B) 8 km/h से अधिक
(C) 12 km/h से अधिक (D) 15 km/h से अधिक।
- नाभिकीय ऊर्जा कार्बन परमाणु के दहन की तुलना में कितने गुना अधिक होती है?
(A) एक सौगुना (B) एक हज़ार गुना
(C) एक लाख गुना (D) एक करोड़ गुना।
- निम्नलिखित में रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(i) किसी पिंड की गतिज ऊर्जा उसकी ………. के कारण होती है।
(ii) ………… के उपयोग ने औद्योगिक क्रांति को संभव बनाया।
(iii) ……….. वर्षा हमारे जल और मृदा के संसाधनों को प्रभावित करती है।
(iv) हमारे देश में ऊर्जा के ………… भाग की आपूर्ति जल वैदयुत संयंत्रों से होती है।
(v) तमिलनाडु में कन्याकुमारी के निकट भारत का विशालतम पवन ऊर्जा फ़ार्म…………….ऊर्जा उत्पन्न करता है।
(vi) लकड़ी को वायु की सीमित आपूर्ति में जलाकर ………. बनाया जाता है।
(vii) टिहरी बाँध …………. नदी पर बनाया गया है।
(viii) ………… को पवनों का देश कहा जाता है।
(ix) ………………..के क्षेत्र में जर्मनी अग्रणी है।
- निम्नलिखित में से उच्च जोड़े बनाइए–
(i) नाभिकीय संलयन (क) CH4
(ii) सूर्य (ख) कोयला
(iii) प्राकृतिक गैस (ग) पवन ऊर्जा
(iv) अनवीनीकरण ईंधन (घ) जल गैस
(v) शोधित ईंधन (ङ) 107 KA
(vi) 1 kg लकड़ी (च) भारत
(vii) सबसे अधिक मवेशी (छ) 0.25 Kg चारकोल
(viii) ग्लाइडर (ज) ऊर्जा का मुख्य स्रोत।
- निम्नलिखित में से सही और ग़लत छाँटिए–
(i) सबसे पहला व्यावहारिक सौर सैल सन् 1954 में बनाया गया था।
(ii) सिलिकॉन सौर सैल की दक्षता 15VC है।
(iii) लकड़ी तथा उपलों को परंपरागत चूल्हों में जलाया जाता है।
(iv) ग्लाइडर उड़ने के लिए पवन ऊर्जा पर निर्भर करता है।
(v) बायोगैस में 25% मीथेन होती है।
(vi) अल्बर्ट आइंस्टीन का नाभिकीय विखंडन संबंधी सूत्र E = mc3 है।
(vii) बायोगैस के अवयव CH4, O2, CO, H2S हैं।
(viii) सरदार सरोवर बांध का निर्माण नर्मदा नदी पर किया गया है।
उत्तर–
- (C) 75%, 2. (D) 500 करोड़, 3. (C) 5000 ट्रिलियन, 4. (B) सिलिकॉन,
- (C) इंजन, 6. (C) स्लरी, 7. (D) नाभिकीय ऊर्जा, 8. (B) 2-3 घंटे,
- (D) किरोसीन, 10. (A) 46 KI/g, 11. (A) मीथेन, 12. (A) 1.36 KI,
- (C) जीवाश्मी ईंधन, 14. (A) यूरेनियम, 15. (C) काँच की शीट, 16. (B) सूर्य,
- (A) अपरिवर्तित, 18. (B) अम्लीय, 19. (C) नाभिकीय ऊर्जा 20. (D) कोयले-तेल के क्षेत्र,
- (B) 25%, 22. (A) जल ऊर्जा, 23. (C) चारकोल,
- (D) फॉस्फोरस, नाइट्रोजन, 25: (D) डेनमार्क, 26. (D) 15 km/h से अधिक,
- (D) एक करोड़ गुना,
- (I) गति (II) जीवाश्म ईंधन (III) अम्लीय (IV) 25% (V) 380 MW (VI) चारकोल (VII) नर्मदा
(VIII) डेनमार्क (IX) पवन ऊर्जा
- (I) ङ (II) ज (III) क (IV) कोयला (V) जल गैस (VI) छ: (VII) च (VIII) पवन ऊर्जा,
- (I) सही (II) ग़लत।