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Bilaspur में क्वारंटाइन सेंटर में रखे युवक की मृत्यु मामले की होगी मजिस्ट्रेट जांच
शिमला। बिलासपुर के स्वारघाट में क्वारंटाइन (Quarantine) में रखे युवक की मौत मामले की मजिस्ट्रेट जांच होगी। सीएम जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) ने सारे मामले की मजिस्ट्रेट जांच करवाने के आदेश दिए हैं। उन्होंने एडीएम बिलासपुर को मामले की जांच सौंपी है। एडीएम मामले की जांच कर रिपोर्ट बनाकर सौपेंगे। बता दें कि स्वारघाट में क्वारंटाइन में रखा एक युवक सेंटर में ही गिर गया। युवक को बिलासपुर (Bilaspur) अस्पताल ले जाया गया। इसके बाद उसे आईजीएमसी (IGMC) रेफर कर दिया। युवक की आईजीएमसी पहुंचने से पहले ही मौत हो गई। युवक के परिजनों ने आरोप लगाया है कि अनुमति मिलने के बाद ही युवक गाड़ी लेकर बाहर गया था और परमिट की अवधि समाप्त होने से पहले वापस पहुंच गया था, लेकिन प्रशासन ने इसके बावजूद भी उसे क्वारंटाइन किया।
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परिजनों ने युवक को कोविड पॉजिटिव बताए गए रोगियों के बीच में रखने के भी आरोप लगाए। प्रशासन ने स्वारघाट क्वारंटाइन सेंटर में सभी को यह बताया कि उनके साथ दो करोना पॉजिटिव लोग भी क्वारंटाइन सेंटर में रखे गए हैं, जिसकी वजह से युवक डर गया और उसे चक्कर आ गया। वह गिर गया। प्रशासन ने कई घटों तक उसको किसी तरह की भी कोई मेडिकल मदद नहीं दी और इसी बीच युवक की हालत ज्यादा बिगड़ गई, जिसके बाद बिलासपुर अस्पताल से उसे शिमला रेफर कर दिया गया। शिमला में भी युवक को करीब 5 घंटे गाड़ी में ही रखा गया। इस बीच किसी तरह की स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं दी गईं। परिजनों का आरोप है कि शिमला (Shimla) पहुंचने पर अस्पताल प्रशासन ने मरीज को कोविड संक्रमित समझते हुए किसी तरह की मदद नहीं की और युवक की बिना इलाज के ही शिमला में अस्पताल के बाहर एंबुलेंस में ही करीब 5 घंटे पड़ा रहा। कोविड सैंपल लेने के बाद युवक को मृत घोषित कर दिया। युवक के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर समय पर इलाज शुरू नहीं करने के गंभीर आरोप लगाए हैं।
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परिजनों ने यह भी कहा कि युवक की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन ने डेड बॉडी (Dead Body) अस्पताल के बाहर खुले लॉन में रख दी और करीब 5 घंटे तक शव लावारिस की तरह बिना निगरानी लावारिस स्थिति में पड़ा रहा। लेकिन अस्पताल प्रशासन में से किसी ने भी युवक के शरीर को हाथ तक लगाने से इंकार कर दिया। उनका यह भी कहना था कि अस्पताल प्रशासन लगातार परिजनों को ही मृतक की डेड बॉडी को उठाकर ले जाने के लिए बार-बार कहता रहा लेकिन अस्पताल प्रशासन ने डेड बॉडी को उठाने और ले जाने में किसी तरह की भी मदद नहीं की। मामले सीएम के पास पहुंचने के बाद मामले की जांच के आदेश दिए हैं।