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Railway का बड़ा ऐलान: 36 लाख प्रवासियों के लिए अगले 10 दिनों में चलाईं जाएंगी 2600 Trains
नई दिल्ली। देश में जारी कोरोना वायरस (Coronavirus) के कहर के बीच अपने घर से दूर दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों को उनके घर वापस भेजन के लिए ढेरों श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई जा रही हैं। अब एक बार फिर रेलवे (Railway) ने प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के संबंध में एक बड़ा ऐलान किया है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि अब तक 2600 से अधिक विशेष ट्रेनें (Special Train) चली हैं, 35 से अधिक लाख प्रवासियों ने इन ट्रेनों का लाभ उठाया है। श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की संख्या अब प्रतिदिन 200 से अधिक हो गई है।
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1 जून से 200 मेल एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई जाएंगी
https://twitter.com/RailMinIndia/status/1264162461797793792
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने कहा कि अगले 10 दिनों में 2,600 ट्रेनों के शेड्यूल तय किए गए हैं। इनमें स्पेशल श्रमिक ट्रेनों से 36 लाख प्रवासी यात्रा करेंगे। रेलवे ने राज्यों को अपनी जरूरतें बताने को कहा है। उन्होंने कहा कि सामान्य स्थिति की बहाली की दिशा में रेलवे मंत्रालय की तरफ से 1 जून से 200 मेल एक्सप्रेस ट्रेनें चलाई जाएंगी। बोर्ड के अध्यक्ष विनोद कुमार यादव ने कहा कि भारतीय रेलवे एक मई को श्रमिक स्पेशल ट्रेनें शुरू की गई। सभी यात्रियों को मुफ्त भोजन और पीने का पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। ट्रेनों और स्टेशनों में सोशल डिस्टेंसिंग और स्वच्छता प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है। 80% ट्रेन यात्राएं उत्तर प्रदेश और बिहार के प्रवासी मजदूरों द्वारा की गई हैं।
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अगर जरूरत पड़ी तो 10 दिन के बाद भी ट्रेनें शेड्यूल की जाएंगी
उन्होंने आगे कहा कि हमने 5 हजार कोच को कविड-19 केयर सेंटर्स के तौर पर तब्दील किया, जिनमें 80 हजार बेड थे। इनमें से करीब 50 प्रतिशत कोच का इस्तेमाल श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के लिए किया है। अगर जरूरत पड़ी तो उसे फिर से कोविड-19 केयर के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए 1 जून से 200 और स्पेशल ट्रेनें चलाने का फैसला किया गया है। कुछ स्पेशल ट्रेनों में बर्थ की क्षमता का महज 30 फीसद ही बुकिंग हुई है, हालांकि कुछ ट्रेनों में 100 फीसद सीटें बुक हो चुकी हैं। अभी भी 190 ट्रेनों की उपलब्धता है। इस दौरान शिकायत आ रही थीं कि श्रमिक भाई बुकिंग नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए टिकट काउंटर खोलने का भी फैसला किया गया। उन्होंने कहा कि प्रवासी श्रमिकों के लिए जो ट्रेनें चलाई जा रही हैं, वे राज्य सरकार के समन्वय के साथ चलाई जा रही हैं। अगर जरूरत पड़ी तो 10 दिन के बाद भी ट्रेनें शेड्यूल की जाएंगी।
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