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देवभूमि हिमाचल में इस गुफा के अंदर है गुप्त अमरनाथ का वास
Last Updated on June 2, 2020 by
सुंदरनगर। हिमाचल प्रदेश को देव भूमि कहा जाता है यहां पर अनेकों देवी देवता वास करते हैं। इन देवी-देवताओं का अपनी अपनी परंपराओं के अनुसार पूजा-अर्चना की जाती है। आप सभी ने जम्मू-कश्मीर के अमरनाथ (Amarnath) का नाम जरूर सुना होगा और दर्शन भी जरूर किए होंगे। आज हम आपको जम्मू-कश्मीर के अमरनाथ नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश (Amarnath) के गुप्त अमरनाथ के दर्शन करवाने जा रहे हैं। यह गुप्त अमरनाथ मंडी जिला (Mandi district) के सुंदरनगर की धारली नामक जगह में गुफा के अंदर विराजमान हैं। यह गुफा मंडी जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर सुंदरनगर के धारली में मौजूद है।
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गुफा के अंदर भगवान शंकर के गण भी है मौजूद
ग्राम पंचायत जरल के गांव धारली की प्राचीन शिव गुफा (Ancient shiva cave) पहुंचने के लिए सड़क मार्ग द्वारा जाया जा सकता है। यह गुफा अंदर से 40 फुट लंबी और लगभग 20 फुट ऊंची है। इस गुफा में एक समय पर लगभग 200 से अधिक लोग बैठ सकते हैं। वहीं इस अद्भुत गुफा के अंत में अमरनाथ में बनने वाले शिवलिंग के समान एक प्राकृतिक शिवलिंग मौजूद है। इस गुफा में शिवलिंग के ऊपर गंगा माता हैं जिनका जल शिवलिंग वर्ष में लगभग 6 माह अभिषेक करता है। वर्तमान में इसकी देखकर शिव गुफा कमेटी धारली और स्वामी कुशलानंद सरस्वती महाराज द्वारा की जाती है। प्राचीन परंपराओं के अनुसार जानकारी देते हुए गुफा की देखभाल करने वाले सरस्वती महाराज ने कहा कि शिव गुफा धारली के अंदर विद्यमान शिवलिंग के दर्शनों के लिए तीन द्वार हैं। इसमें पहला द्वार शिला के नीचे संकरा रास्ता है, जिसे अब बड़ा कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि इसके उपरांत अगले द्वार पर भगवान शंकर के गण मौजूद हैं और अगर किसी भक्त को काली ताकतों का प्रभाव हो वे इससे आगे गुफा में जा नहीं पाते हैं। वहीं, तीसरे और अंतिम द्वार पर भगवान शिव के परम भक्त प्राकृतिक नंदी मौजूद है। इस स्थान पर नंदी से आज्ञा लेकर शिवलिंग के दर्शन गर्भगृह में किए जाते हैं। प्राचीन शिव गुफा धारली में शिव परिवार की मौजूदगी पाषाण रुप में मौजूद है। इसमें पार्वती, गणेश,कार्तिकेय, योगनी और वाहन हैं।
वर्ष 1975 में पौड़ाकोठी निवासी धनी राम ने ढूंढी थी गुफा
गुफा के ऊपर मौजूद पत्थर पूरी तरह से मृगशाला के तौर पर प्रतीत होती है। गुफा के अंदर से इसकी शुरुआत नहीं दिखाई देती है लेकिन इसके चमत्कारिक गुण के कारण गुफा के बाहर से रोशनी आकर सीधा शिवलिंग पर ही पड़ती है। शिव गुफा पिछले लाखों वर्षों से यहां पर मौजूद है और इस शिवलिंग के दर्शन करने से साक्षात अमरनाथ के दर्शन करने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस गुफा को पहली बार वर्ष 1975 में पौड़ाकोठी निवासी धनी राम शर्मा द्वारा ढूंढा गया था। धनी राम को अपने स्वप्न में धारली शिव गुफा, ऋषि मुनि आदि दिखाई देते थे। इसके साथ ही उनके घर पर परिवार के सदस्य बीमार होने लगे और खेल आनी लग गई। वहीं धनी राम के किसी जानकार ने बोला कि स्वप्न में दिखने वाली शिव गुफा में जाओ। धनी राम द्वारा धारली के इस पर्वत पर इस गुफा को ढूंढा गया और शिव गुफा मिली। इसके उपरांत धनी राम द्वारा इस गुफा में शिव पुराण करवा कर परिवार को स्वास्थ्य लाभ मिला। इसके ही साथ भक्तों का इस शिव गुफा में आने का सिलसिला शुरू हो गया। जो आज तक निरंतर जारी है।
शिवरात्रि पर सांप ने की थी गुफा की परिक्रमा
सरस्वती महाराज ने कहा कि श्रावन मास और महाशिवरात्रि में इस गुफा का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। महाशिवरात्रि के दिन इस गुफा में हजारों भक्तों का मेला लगता है धारली शिव गुफा में महाशिवरात्रि के दिन दो बार सांप द्वारा परिक्रमा की गई है। सरस्वती महाराज ने कहा कि गुफा में एक बहुत लंबे सांप द्वारा दो बार सिर्फ शिवरात्रि के दिन ही पूरी गुफा की परिक्रमा की गई। शिव गुफा कमेटी धारली प्रधान गगन कुमार ने कहा कि यह लाखो वर्ष पुरानी गुफा है कमेटी का गठन लगभग 7 साल पहले हुआ था तब से लेकर यहा पर धीरे-धीरे विकास करवाया जा रहा है। गुफा तक लोग सड़क के माध्यम से पहुँचते हैं और हर वर्ष लाखों श्रद्धालु गुप्त अमरनाथ धारली के दर्शन करने आते हैं।