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वैज्ञानिकों ने पता लगाया- घंटी की तरह ‘बज रहा’ है Earth का वायुमंडल; जानें
नई दिल्ली। जिस रह चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण से पृथ्वी (Earth) के महासागरों पर असर होता है और वहां ज्वारभाटा की लहरें आती हैं। इसी तरह की तरंगें (Waves) हमारे वायुमंडल (Atmosphere) में भी पैदा होती हैं। हवाई यूनिवर्सिटी और क्योटो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि पृथ्वी का पूरा वायुमंडल अनुरूपता में कंपन पैदा कर रहा है। यह ‘संगीत’ भूमध्य रेखा से होकर पृथ्वी पर पर्यावरणीय दबाव की व्यापक लहरों के रूप में है।
यह अध्ययन एटमॉस्फियरिक साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है
बतौर शोधकर्ता, इनमें से प्रत्येक लहर वैश्विक वायुमंडल का ऐसा कंपन है जैसे घंटी के बजने पर होता है। इससे पहले हुए अध्ययनों में अब तक वायुमंडलीय दाब के स्थानीय स्तर पर और सीमित समय के लिए अध्ययन किया गया था। इनमें एक हजार से दस हजार किलोमीटर की वायुमंडलीय तरंगों के बारे में पता चलता तथा जिनकी आवृति कुछ ही घंटों की होती थी। ताजा अध्ययन में शोधकर्ताओं ने व्यापक प्रभाव पर शोध किया है। साइंस डायरेक्ट की रिपोर्ट के अनुसार यह अध्ययन एटमॉस्फियरिक साइंस जर्नल में प्रकाशित हुआ है। लेकिन हाल ही में नए आंकड़े उपलब्ध हुए जिससे वैश्विक स्तर पर इनका अध्ययन संभव हो सका।
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पृथ्वी के वायुमंडल में इस तरह की दर्जनों तरंगें मौजूद हैं
इन आंकड़ों को यूरीपीय सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फोरकास्ट (ECMWF) की ओर से जारी किए गए थे। इन्ही आंकड़ों की मदद से क्योटो यूनिवर्सिटी, हवाई यूनिवर्सिटी मानोआ के वैज्ञानिकों ने दर्शाया है कि पृथ्वी का पूरा वायुमंडल एक तालमेल के साथ कंपन कर रहा है। इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पिछले 38 साल के हर घंटे में पूरी पृथ्वी पर वायुमंडलीय दाब का सविस्तार विश्लेषण किया है। इस अध्ययन के नतीजों से पता है कि पृथ्वी के वायुमंडल में इस तरह की दर्जनों तरंगें मौजूद हैं। वैज्ञानिकों खास तौर पर दूसरे और 33वें घंटे के समय की तरंगों पर ध्यान दिया जो हमारे वायुमंडल पर क्षैतिज (Horizontally) यात्रा कर रही हैं। इस दौरान यह पूरी दुनिया में 700 मील प्रति घंटा की गति से चलती हैं। इस तरह से ये एक चैकरबोर्ड का पैटर्न बना रही हैं।