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वोडाफोन ने भारत के खिलाफ 20,000 करोड़ का #Tax विवाद मामला जीता; जानें
Last Updated on September 25, 2020 by Deepak
नई दिल्ली। टेलिकॉम सर्विस प्रदाता ब्रिटिश कंपनी वोडाफोन (Vodafone) ने भारत सरकार के खिलाफ पिछली तिथि से टैक्स लागू करने का 20,000 करोड़ रुपए का अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केस जीत लिया है। यह विवाद साल 2007 में वोडाफोन द्वारा हचिसन का भारतीय कारोबार खरीदने से जुड़ा था। हेग स्थित स्थाई मध्यस्थता कोर्ट ने भारत द्वारा वोडाफोन पर टैक्स देनदारी थोपना भारत-नीदरलैंड्स द्विपक्षीय निवेश संधि का उल्लंघन बताया है।
वोडाफोन की अब चांदी ही चांदी; विस्तार से जानें मामला
ट्रिब्यूनल ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि भारत सरकार को वोडाफोन से बकाए की मांग मांगना बंद करना चाहिए और कानूनी लड़ाई लड़ने में हुए खर्च के आंशिक मुआवजे के तौर पर कंपनी को 54.7 लाख डॉलर का भुगतान करना चाहिए। हालांकि अभी तक इस विषय पर वोडाफोन और भारत सरकार के वित्त मंत्रालय की तरफ से कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। बता दें कि इस मामले की शुरुआत तब हुई जब साल 2007 में वोडाफोन ने हचिंसन एस्सार का टेकओवर किया। इस सौदे के लिए वोडाफोन ने एस्सार में 67% स्टेक लेने के लिए 11 अरब डॉलर चुकाए थे। इस पर भारत सरकार ने कंपनी से टैक्स देने को कहा था, जिसे कंपनी ने यह कहते हुए इंकार कर दिया था कि अधिग्रहण भारत से बाहर हुआ है।
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जबकि इस मसले पर भारत सरकार का कहना था कि एस्सार तो भारत में है। इसके बाद जब मामला कोर्ट के दरवाजे पर पहुंचा तब वोडाफोन को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली लेकिन 2012-13 में यूपीए सरकार ने आयकर कानून 1961 में बदलाव किया और उसे पीछे से लागू करने का फैसला किया, जिसके बाद वोडाफोन अंतरराष्ट्रीय कोर्ट चली गई थी। अब इस मामले पर इंटरनेशनल कोर्ट का फैसला आने के बाद वोडाफोन को इससे बड़ा फायदा होगा। शुक्रवार को Vodafone की भारतीय इकाई के शेयरों में 13 फीसद की तेजी दर्ज की गई है।