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#Mathura: श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से ईदगाह हटाने की याचिका खारिज; इस एक्ट का दिया हवाला
Last Updated on September 30, 2020 by Deepak
मथुरा। उत्तर प्रदेश के मथुरा (Mathura) में स्थित श्रीकृष्ण जन्मस्थान मामले में दाखिल याचिका पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाते हुए सिविल कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि से ईदगाह को हटाने के मामले में बुधवार को ही वादी पक्ष के विष्णु जैन, हरीशंकर जैन और रंजन अगिनहोत्री ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा था। सिविल जज सीनियर डिवीजन छाया शर्मा ने याचिकाकर्ताओं की सभी दलीलें अस्वीकार कर दी। इसमें श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान, ईदगाह ट्रस्ट और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को प्रतिवादी बनाया गया था। याचिका में कहा गया था कि ईदगाह मस्जिद कृष्ण जन्मभूमि की जमीन पर बनाया गया था।
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कोर्ट ने पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के तहत मामले को स्वीकार करने पर रोक का हवाला देते हुए दलील की सुनवाई करने से इनकार कर दिया। अदालत में राम मंदिर से संबंधित मामले में न्यायालय के फैसले के पैरा 116 का हवाला दिया और कहा कि मंदिर निर्माण की संकल्पना अमिट ओर अदालत के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। महामना मदन मोहन मालवीय आदि द्वारा ली गई यह संकल्पना मंदिर निर्माण के पश्चात भी कायम है। ऐसी मान्यता है कि 1669-70 में, औरंगजेब ने कटरा केशवदेव स्थित भगवान कृष्ण के जन्म के श्री कृष्ण मंदिर को ध्वस्त कर दिया था और एक संरचना बनाई गई थी और इसे ईदगाह मस्जिद कहा गया था।
जानें इस याचिका में आखिर था क्या
याचिका में जमीन को लेकर 1968 के समझौते को गलत बताया गया। इस याचिका के माध्यम से कृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ जमीन का स्वामित्व मांगा गया। याचिकाकर्ता रंजना अग्निहोत्री ने कहा कि अयोध्या का केस हम लोगों ने लड़ा, उसे जनता को सौंप दिया गया है। अब श्रीकृष्ण की मुख्य जन्मभूमि और जो इटेलियन ट्रैवलर ने अपने एकांउट में मेंशन किया है, उसके नक्शे के हिसाब से मुकदमे को सिविल में डाला गया। वादी पक्ष द्वारा मथुरा की अदालत में दायर हुए एक सिविल मुकदमे में श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर की 13.37 एकड़ जमीन का मालिकाना हक मांगा गया था। इसके साथ ही मंदिर स्थल से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की अपील की गई।