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त्योहारी सीजन में ग्राहकों को EMI पर राहत नहीं : #RBI ने रेपो रेट में नहीं किया बदलाव
Last Updated on October 9, 2020 by
नई दिल्ली। कोरोना काल और त्योहारी सीजन में ग्राहकों को राहत की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। भारतीय रिजर्व बैंक (#RBI) की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक आज समाप्त हो गई है और आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। ग्राहकों को ईएमआई में कटौती की उम्मीद थी, लेकिन आरबीआई ने रेपो रेट (Repo Rate) में कोई बदलाव नहीं किया है। केंद्रीय बैंक द्वारा नए हाउसिंग लोन पर रिस्क वेटेज को कम कर दिया गया है साथ ही संकट के समय में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के मद्देनजर दिसंबर 2020 से आरटीजीएस को 24 घंटे लागू करने का प्रस्ताव है। बता दें कि यह एमपीसी की 25वीं बैठक थी, जो पहले 28 सितंबर को होनी थी। समिति में स्वतंत्र सदस्यों की नियुक्ति में देरी के कारण बैठक को आगे टालना पड़ा था। अब तीन जाने माने अर्थशास्त्रियों अशिमा गोयल, जयंत आर वर्मा और शशांक भिड़े को एमपीसी का सदस्य नियुक्त कर दिया गया है।
Bi-monthly Monetary Policy address by RBI Governor, Shri Shaktikanta Das https://t.co/n2aOm0P71S
— ReserveBankOfIndia (@RBI) October 9, 2020
केंद्रीय बैंक ने ग्राहकों के लिए कई ऐलान किए जो इस प्रकार हैं –
- आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति के नए सदस्यों का स्वागत किया और उनका आभार प्रकट किया।
- आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। यह चार फीसदी पर बरकरार है। एमपीसी ने सर्वसम्मति से ये फैसला लिया है यानी ग्राहकों को ईएमआई या लोन की ब्याज दरों पर नई राहत नहीं मिली है। रिवर्स रेपो रेट को भी 3.35 फीसदी पर स्थिर रखा गया है।
- गवर्नर ने कहा कि हाल में आए आर्थिक आंकड़ों से अच्छे संकेत मिले हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था में रिकवरी के मजबूत संकेत मिले हैं। कई देशों में मैन्युफैक्चरिंग, रिटेल बिक्री में रिकवरी देखने को मिली है। साथ ही खपत और निर्यात में भी कई देशों में सुधार दिखा गया।
- चालू वित्त वर्ष के आखिरी तिमाही में जीडीपी में वृद्धि की उम्मीद है। हम बेहतर भविष्य के बारे में सोच रहे हैं। सभी सेक्टर्स में ग्रोथ देखने को मिल रही है।
- शक्तिकांत दास ने कहा कि, ‘मैं आशावादी हूं। तीसरी तिमाही में वैश्विक अर्थव्यवस्था की गतिविधियों में असमान रूप से ही लेकिन रिबाउंड देखने को मिला है।’ वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही का गहरा संकुचन पीछे छूट चुका है। उन्होंने कहा कि अब फोकस रिवाइवल पर है। भारत कोरोना वायरस से पहले की वृद्धि के आंकड़े को छू सकता है।
- जीडीपी चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही तक संकुचन के रास्ते से हटकर फिर से वृद्धि के रास्ते पर आ सकती है।
- वित्त वर्ष की पहली छमाही के धीमे सुधार को दूसरी छमाही में गति मिल सकती है, तीसरी तिमाही से आर्थिक गतिविधियां बढ़ने लगेंगी: दास।
- दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही तक मुद्रास्फीति के तय लक्ष्य के दायरे में आ जाने का अनुमान है।
देश में रबी फसलों का आउटलुक बेहतर दिख रहा है। - जीडीपी वृद्धि का अनुमान निगेटिव में 9.5 फीसदी रखा गया है। सितंबर माह में पीएमआई बढ़कर 56.9 हो गया, जो जनवरी 2012 के बाद से सबसे अधिक है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में उधार की औसत लागत 5.82 फीसदी पर है, जो 16 साल में सबसे कम है।’
- छोटे कर्जदारों के लिए 7.5 करोड़ रुपये के कर्ज को मंजूरी दे दी गई है।
- केंद्रीय बैंक का ध्यान फाइनेंस को आसान बनाने और वृद्धि पर है, जिस लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए अगले हफ्ते 20,000 करोड़ रुपये का ओपन मार्केट ऑपरेशन यानी OMO होगा। ओपन मार्केट ऑपरेशन (ओएमओ) के तहत केंद्रीय बैंक सरकारी सिक्योरिटी और ट्रेजरी बिल की खरीद और बिक्री करते हैं। भारत में यह काम आरबीआई करता है।
- आरबीआई देश की अर्थव्यवस्था में पैसे की आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए ओपन मार्केट ऑपरेशन करता है।
- केंद्र सरकार के लिए WMA (वेस एंड मीन्स एड्वांसेस) की सीमा 1.25 लाख करोड़ रुपये रखी गई है।
- मार्च 2021 तक एक लाख करोड़ का ऑन-टैप TLTRO उपलब्ध होगा। इसे रेपो रेट से जोड़ा जाएगा।
- सभी एनबीएफसी और एचएफसी को सह-ऋण देने की योजना का विस्तार करिया जाएगा।
- केंद्रीय बैंक तरलता और आसान वित्त स्थितियों के लिए बाजार सहभागियों को आश्वस्त करने के लिए आवश्यक सभी उपाय करने के लिए तैयार है।