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#MannKiBaat में बोले #PMModi – कृषि कानून से कम हुई किसानों की दिक्कतें, मिले नए अधिकार
Last Updated on November 29, 2020 by Sintu Kumar
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी ने रेडियो पर मन की बात कार्यक्रम के जरिए देश को संबोधित किया। यह मन की बात का 71वां संस्करण है। देश में कोरोना वैक्सीन का जायजा लेने के बाद पीएम मोदी (PM Narendra Modi) ने आज देश को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कृषि कानून समेत कई अहम मुद्दों पर अपने विचार सामने रखे। मन की बात के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि संसद ने हाल ही में कठोर मंथन के बाद कृषि सुधार कानून पारित किया है। उन्होंने कहा कि इन सुधारों से ना केवल किसानों (Farmers) की दिक्कतें कम हुई हैं बल्कि इस कानून ने उन्हें नए अधिकार और अवसर भी दिए हैं। पीएम मोदी ने कहा कि काफी विचार विमर्श के बाद भारत की संसद ने कृषि सुधारों को कानूनी स्वरूप दिया। इन सुधारों से न सिर्फ किसानों के अनेक बंधन समाप्त हुए हैं, बल्कि उन्हें नए अधिकार भी मिले हैं, नए अवसर भी मिले हैं। कानून में एक और बहुत बड़ी बात है, इस क़ानून में ये प्रावधान किया गया है कि क्षेत्र के एसडीएम को एक महीने के भीतर ही किसानों की शिकायत का निपटारा करना होगा।
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पीएम ने कहा कि किसानों में जागरूकता बढ़ाने का ऐसा ही एक काम कर रहे हैं, राजस्थान के बारां जिले में रहने वाले मोहम्मद असलम। ये एक किसान उत्पादक संघ के सीईओ भी हैं। जी हां, आपने सही सुना, किसान उत्पादक संघ के CEO। उम्मीद है, बड़ी-बड़ी कंपनियों के CEOs को ये सुनकर अच्छा लगेगा कि अब देश के दूर दराज वाले इलाकों में काम कर रहे किसान संगठनों मे भी CEOs होने लगे हैं।
आज मैं आप सबके साथ एक खुशखबरी साझा करना चाहता हूं।
हर भारतीय को यह जानकर गर्व होगा कि देवी अन्नपूर्णा की एक बहुत पुरानी प्रतिमा कनाडा से वापस भारत आ रही है।
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मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा –
हर भारतीय को यह जानकर गर्व महसूस होगा कि देवी अन्नपूर्णा की एक प्राचीन मूर्ति को कनाडा से भारत वापस लाया जा रहा है। लगभग 100 साल पहले 1913 में, यह मूर्ति वाराणसी के एक मंदिर से चुराई गई थी और देश के बाहर तस्करी की गई थी।
माता अन्नपूर्णा का काशी से बहुत ही विशेष संबंध है। अब उनकी प्रतिमा का वापस आना हम सभी के लिए सुखद है। माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा की तरह ही हमारी विरासत की अनेक अनमोल धरोहरें, अंतरराष्ट्रीय गिरोहों का शिकार होती रही हैं।
माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा की वापसी के साथ एक संयोग यह भी जुड़ा है कि कुछ दिन पूर्व ही World Heritage Week मनाया गया है। World Heritage Week संस्कृति प्रेमियों के लिए, पुराने समय में वापस जाने, उनके इतिहास के अहम पड़ावों को पता लगाने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है।
काफी विचार विमर्श के बाद भारत की संसद ने कृषि सुधारों को कानूनी स्वरूप दिया।
इन सुधारों से न सिर्फ किसानों के अनेक बन्धन समाप्त हुए हैं, बल्कि उन्हें नए अधिकार भी मिले हैं, नए अवसर भी मिले हैं।
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आज देश में कई Museums और लाइब्रेरी अपने कलेक्शन को पूरी तरह से डिजिटल बनाने का काम कर रहे है। दिल्ली में हमारे राष्ट्रीय संग्रहालय ने इस संबंध में कुछ सराहनीय प्रयास किए हैं।
इस महीने 12 नवंबर से डॉक्टर सलीम अली जी का 125वां जयंती समारोह शुरू हुआ है। डॉक्टर सलीम ने पक्षियों की दुनिया में Bird Watching को लेकर उल्लेखनीय कार्य किए है। दुनिया में Bird Watching को, भारत के प्रति आकर्षित भी किया है।
भारत में बहुत सी Bird Watching Society सक्रिय हैं। आप भी जरूर इस विषय के साथ जुड़िए। मेरी भागदौड़ की जिन्दगी में, मुझे भी पिछले दिनों केवड़िया में पक्षियों के साथ समय बिताने का बहुत ही यादगार अवसर मिला।
भारत की संस्कृति और शास्त्र, दोनों हमेशा से ही पूरी दुनिया के लिए आकर्षण के केंद्र रहे हैं। कई लोग तो इनकी खोज में भारत आए और हमेशा के लिए यहीं के होकर रह गए, तो कई लोग वापस अपने देश जाकर इस संस्कृति के संवाहक बन गए।
स्कूल-कॉलेज से निकलने के बाद दो चीजें कभी खत्म नहीं होती हैं- एक आपकी शिक्षा का प्रभाव और दूसरा आपका अपने स्कूल, कॉलेज से लगाव।
मेरा संस्थानों से आग्रह है कि Alumni engagement के नए और innovative तरीकों पर काम करें।
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मुझे जोनास मैसेट्टी के काम के बारे में पता चला, जिन्हें ‘विश्वनाथ’ के नाम से भी जाना जाता है। जोनास ब्राजील में वेदांत और गीता पर पाठ देता है। वह ‘विश्वविद्या’ नामक एक संस्था चलाते हैं, जो रियो डी जनेरियो से एक घंटे की दूरी पर पेट्रोपोलिस की पहाड़ियों में स्थित है। उन्होंने आगे बताया कि मैकेनिकल इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद, जोनास ने अपने शेयर बाजार कंपनी के लिए काम किया। बाद में वे भारतीय संस्कृति की ओर आकर्षित हुए, खासकर वेदांत की ओर। उन्होंने भारत में वेंदांता का अध्ययन किया और कोयम्बटूर में अर्श विद्या गुरुकुलम में 4 साल बिताए। मैं जोनास को उनके प्रयासों के लिए बधाई देता हूं।
भारत की संस्कृति और शास्त्र, हमेशा से ही पूरी दुनिया के लिए आकर्षण के केंद्र रहे हैं।
कई लोग तो इनकी खोज में भारत आए और हमेशा के लिए यहीं के होकर रह गए, तो कई लोग वापस अपने देश जाकर इस संस्कृति के संवाहक बन गए।
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कल 30 नवंबर को हम श्री गुरु नानक देव जी का 551वां प्रकाश पर्व मनाएंगे। पूरी दिनिया में गुरु नानक देव जी का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। Vancouver से Wellington तक, Singapore से South Africa तक उनके संदेश हर तरफ सुनाई देते हैं। गुरुग्रन्थ साहिब में कहा गया है- ‘सेवक को सेवा बन आई’, यानी सेवक का काम सेवा करना है। बीते कुछ वर्षों में कई अहम पड़ाव आए और एक सेवक के तौर पर हमें बहुत कुछ करने का अवसर मिला।
PM @narendramodi talks about a Gurudwara in Kutch, which is considered very sacred and special. #MannKiBaat pic.twitter.com/3fhoGZtTT9
— PMO India (@PMOIndia) November 29, 2020
क्या आप जानते हैं कि कच्छ में एक गुरुद्वारा है, लखपत गुरुद्वारा साहिब। 2001 के भूकंप से कच्छ के लखपत गुरुद्वारा साहिब को भी नुकसान पहुंचा था। यह गुरु साहिब की कृपा ही थी कि मैं इसका जीर्णोद्धार सुनिश्चित कर पाया।
पिछले दिनों, मुझे, देश-भर की कई Universities के Students के साथ संवाद का, उनकी Education Journey के महत्वपूर्ण Events में शामिल होने का, अवसर प्राप्त हुआ है। देश के युवाओं के बीच होना बेहद तरो-ताजा करने वाला और उर्जा से भरने वाला होता है।
5 दिसम्बर को श्री अरबिंदो की पुण्यतिथि है। श्री अरबिंदो को हम जितना पढ़ते हैं, उतनी ही गहराई हमें मिलती जाती है। मेरे युवा साथी, श्री अरबिंदो को जितना जानेंगे, उतना ही अपने आप को जानेंगे, खुद को समृद्ध करेंगे।