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जो काम सरकार ना कर सकी, India के इस गांव ने कर दिखाया
Last Updated on May 14, 2021 by
इंडिया (India) में एक गांव ऐसा है,जहां पर सिगरेट कंपनियों (Cigarette Companies) ने अपने हाथ खड़े कर दिए,मतलब वह अपना प्रोडेक्ट बेचने में सफल नहीं हो पाई। कारण सीधा है इस गांव में कोई भी बीड़ी-सिगरेट नहीं पीता है। यहां तंबाकू (Tobacco) से बना कोई भी पदार्थ ले जाना वर्जित है। ये गांव पूरे इंडिया के लिए उदाहरण है। क्योंकि सरकार चाहकर भी धूम्रपान को खत्म नहीं कर पा रही और ये गांव किसी को यहां बीडी-सिगरेट बेचने नहीं दे रहा। हम बात कर रहे हैं हरियाणा के बॉर्डर पर बसे राजस्थान से सटे एक छोटा से गांव टीकला की।
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जिसकी आबादी सिर्फ 1500 है। ये गांव भले ही छोटा सा हो, लेकिन यहां दशकों से चली आ रही एक परंपरा पूरे देश के लिए एक बड़ा संदेश है। इस गांव का कोई भी सदस्य किसी भी प्रकार का धूम्रपान नहीं करता। यहां के जवान हो या बुजुर्ग सभी (Biddi-Cigarette) बीड़ी-सिगरेट, पान-मसाला से दूर रहते हैं। यही नहीं अगर गांव में कोई रिश्तेदार आता है, तो उसे भी पहले बीड़ी.सिगरेट का सेवन ना करने को कह दिया जाता है।
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जाट का नाम लेते ही सबसे पहले हमारे दिमाग में हुक्का आता है। जाट है और यहां के बुजुर्ग हुक्का नहीं पीते होंगे ऐसा हो ही नहीं सकता ऐसी शायद सभी की सोच है। लेकिन आपको इस बात से हैरानी होगी कि हरियाणा के अन्य गांव की तरह ये गांव भी जाट बाहुल्य गांव है, फिर भी यहां के बुजुर्ग हुक्का का सेवन नहीं करते हैं। कहते हैं कि टीकला गांव में बाबा भगवानदास का मंदिर और समाधि बनी हुई है। उनकी 23वीं पीढ़ी में गृहस्थ गद्दी संभाल रहे बाबा अमर सिंह बताते हैं कि बाबा भगवानदास (Baba Bhagwandas) ने सबसे पहले तंबाकू का बहिष्कार (Boycotting Tobacco) करने की शुरुआत की थी। बाबा के कई चमत्कार के बाद लोगों की आस्था उनमें बढ़ती गई और लोगों ने किसी भी रूप में तंबाकू का सेवन करना छोड़ दिया। तब से शुरू हुई आस्था आज गांव में एक परंपरा का रूप ले चुकी है। इसके चलते ही यहां का हर बाशिंदा तंबाकू उत्पादों से कोसो दूर है।