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टेलरिंग का काम छोड़कर आज़माया डेयरी फार्मिंग में हाथ, मिला अच्छा मुनाफा
Last Updated on August 1, 2021 by Sintu Kumar
ऊना। प्रदेश सरकार द्वारा चलाई संचालित की जा रही योजनाओं का लाभ लेकर बंगाणा उपमंडल के अंतर्गत आने वाले पडयोला गांव के निवासी राज कुमार आत्मनिर्भर बने हैं। इससे पहले वह टेलरिंग का काम करते थे, जिससे महीने में घर का खर्चा करना बहुत मुश्किल था। लेकिन राज कुमार ने वर्ष 2018 में पशुपालन विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के तहत डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming) का काम आरंभ किया था। राज कुमार बताते हैं कि वर्तमान में 15 दुधारू पशुओं का पालन कर रहे है, जिनमें 7 भैंस और 2 गाय दूध दे रही हैं, जिससे अच्छी आमदनी हो रही है। राज कुमार ने बताया कि एक भैंस लगभग 15 से 18 लीटर दूध देती है जिसे वह 65 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बचते हैं तथा इसके साथ-साथ वह दही व पनीर का भी काम करते है और महीने में काफी अच्छी इनकम कमाते है।
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राज कुमार ने कहा ”पशुपालन विभाग (Animal Husbandry Department) के डॉक्टर डेयरी फार्मिंग में उनकी मदद कर रहते हैं। समय-समय पर पशुओं में होने वाले रोगों के उपचार बारे तथा पशुओं के दूध की गुणवत्ता को बढ़ाने की महत्वपूर्ण सलाह भी देते रहते है। निरंतर उनके फार्म में आकर पशुओं के स्वास्थ्य की जांच कर मेरा मार्गदर्शन करते हैं। राज कुमार ने कहा कि बेरोजगार युवाओं को रोजगार प्रदान करने और किसानों की आय को बढ़ाने के मकसद से प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही है। इसलिए उन्होंने बेरोजगार युवाओं को योजनाओं का लाभ लेकर अपनी अच्छी आमदनी कमाने बारे अपील की है ताकि वह भी अपने घर का अच्छे तरीके से खर्च करने में समर्थ बन सकें।
डेयरी फार्मिंग के लिए सरकार दे रही सब्सिडी
वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी बंगाणा डॉ. सतिंदर ठाकुर ने कहा कि नाबार्ड के तहत सरकार डेयरी फार्मिंग के लिए अधिकतम 10 लाख रुपए तक का ऋण प्रदान करती है। जिसमें सामान्य वर्ग के लिए 25 प्रतिशत तथा एससी-एसटी के लिए 35 प्रतिशत सब्सिडी उपलब्ध करवाई जाती है। उन्होंने कहा कि बंगाणा उपमंडल में डेयरी फार्मिंग के प्रति युवाओं का रुझान बढ़ा है और पढ़ा-लिखा वर्ग भी पशुपालन के माध्यम से जुड़ रहा है। पशुपालन विभाग के डॉक्टर प्रगतिशील किसानों की हर संभव सहायता करने को तत्पर हैं।
जिला को बनाएंगे पशुपालन का हब
पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रदेश सरकार ऊना जिला को पशुपालन का हब बनाने का प्रयास कर रही है। किसानों को पशुपालन विभाग के माध्यम से न सिर्फ उन्नत नस्ल के दुधारू पशु खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, बल्कि जिला ऊना में पशुपालन के लिए आधारभूत ढांचा भी सुदृढ़ किया जा रहा है। बरनोह में पशुओं के लिए आंचलिक अस्पताल का भवन 10 करोड़ रुपए की लागत से निर्माणाधीन है। आठ करोड़ रुपए की लागत से डंगेहड़ा में मुर्रा प्रजनन फार्म भी खोला जा रहा है। इसके अतिरिक्त बसाल में 350 कनाल भूमि पर 47.50 करोड़ रुपए की लागत से डेयरी का उत्कृष्टता केंद्र खोला जा रहा है, जिसके लिए भूमि का चयन किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि न सिर्फ जिला ऊना के किसान व पशुपालकों के लिए यह सारी सुविधाएं मील का पत्थर सिद्ध होंगी, बल्कि पड़ोसी जिलों को भी आने वाले समय में इसका लाभ मिलेगा।