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हिमाचल: आईपीएच वर्कर यूनियन ने जल शक्ति विभाग कार्यालय के सामने किया प्रदर्शन
शिमला। आईपीएच वर्कर यूनियन संबंधित सीटू के नेतृत्व में हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के जल शक्ति विभाग के प्रमुख अभियंता कार्यालय टूटीकंडी शिमला पर मजदूरों ने जोरदार प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में जल शक्ति विभाग, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, गुम्मा वाटर सप्लाई और शिमला जल प्रबंधन निगम के आउटसोर्स कर्मियों ने भाग लिया। यूनियन ने हिमाचल सरकार को चेताया है कि अगर आउटसोर्स कर्मियों को नियमित नहीं किया गया, उनके लिए नीति नहीं बनाई गई, तो वे मजबूरन उग्र आंदोलन को विवश हो जाएंगे।
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श्रम कानूनों का हो रहा उल्लंघन
सीटू प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि जलशक्ति विभाग में श्रम कानूनों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। मजदूरों को चार महीने बाद आधा-अधूरा वेतन दिया जा रहा है। इसलिए मजदूरों को हर महीने सात तारीख से पहले वेतन दिया जाए। वहीं, मजदूरों से आठ से बारह घंटे कार्य लिया जा रहा है। और उसके एवज में बेहद कम वेतन दिया जा रहा है। उन्होंने मांग की है कि हिमाचल प्रदेश सरकार के शेड्यूल ऑफ एम्प्लॉयमेंट अनुसार घोषित मासिक वेतन दिया जाए। जल शक्ति विभाग द्वारा की जा नियमित नियुक्तियों में पहले से कार्यरत आउटसोर्स कर्मियों को प्राथमिकता दी जाए। साथ ही ठेकेदार या आउटसोर्स कंपनी बदलने पर मजदूरों को नौकरी से ना निकाला जाए। उनकी सेवाएं पूर्ववत जारी रखी जाएं। उन्होंने सिरमौर जिला में ठेकेदार बदलने पर नौकरी से निकाले गए मजदूरों को बहाल करने की मांग की है। कर्मचारियों को कम से कम नौ हजार रुपए वेतन दिया जाए। विजेंद्र मेहरा ने हैरानी जताते हुए कहा कि इन मजदूरों को केवल तीन हज़ार से लेकर तीन 3500 रुपए दिए जाते हैं। इसके साथ ही एसटीपी के सीवरमैन व अन्य मजदूरों के वेतन में फौरन बढ़ोतरी की मांग की।
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मंडी में महिलाओं का प्रदर्शन
अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति ने मंडी शहर के सेरी चानणी में रसोई गैस, पेट्रोल, डीजल के बढ़ते हुए दाम व अन्य खाद्य वस्तुओं के दिन प्रतिदिन बढ रहे दामों के विरोध में धरना प्रदर्शन किया। धरना प्रदर्शन के दौरान महिलाओं ने केंद्र और प्रदेश सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की। जनवादी महिला समिति का कहना है कि केंद्र सरकार आए दिन रसोई गैस, पेट्रोल ,डीजल और अन्य वस्तुओं के दाम बढ़ाने में लगी है जिससे आम जनता का जीवन यापन करना दूभर हो गया है। हालांकि सरकार को चाहिए था की जो आयकर नहीं देते हैं, उनके खाते में प्रतिमाह 7500 रुपये डाला जाता और उन्हें मुफ्त राशन वितरण किया जाता।
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