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चाय के इतिहास के इतने किस्से हैं कि हैरान रह जाएंगे आप, पढ़ें पूरी कहानी
Last Updated on December 11, 2021 by admin
नई दिल्ली। चाय (Tea) पर शायरी, कहानी और लफ्फाजी तो आपको देखने सुनने और पढ़ने को बहुत मिल जाएंगे। लेकिन क्या आपने कभी चाय के इतिहास के बारे में सुना है। हिस्ट्री आपको जीतना बोरिंग सब्जेक्ट स्कूल के दिनों में लगता हो, लेकिन चाय की हिस्ट्री आपको रोमांचित कर देगा।
चाय पीने का इतिहास काफी पुराना है। चाय का जिक्र करीब 750 ईपू भी मिलता है। आज भारत चाय का सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत में भी लंबे समय से चाय का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन जिस चाय के बाद सुबह-सवेरे आपके शरीर का इंजन स्टार्ट होता है उसे पहले महज दवा के लिए इस्तेमाल में लाया जाता था। कहा जाता है कि कई सालों पहले बौद्ध भिक्षुओं ने औषधि के रुप में चाय का इस्तेमाल किया था। कहानी है कि बौद्ध भिक्षु ने अपनी तपस्या के दौरान जागते रहने के लिए कुछ खास पत्ते चबाते थे और वो पत्तियां चाय की थीं। इस तरह से भारत में चाय प्रचलित हुई। हालांकि कई कहानियां इससे अलग भी है।
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चीन में हुई थी खोज
अगर आप लॉजिकल है तो इसकी एक कहानी आपको चीन की ओर ले जाएगी। 5000 साल पहले चीन में चाय के बारे में पता चला। 2732 ईपू एक सम्राट सेन नूंग (Shen Nung) ने इसकी खोज तब की जब उनके उबलते हुए पानी में ये पत्तियां आकर गिर गईं। इसके बाद उन्होंने देखा कि इससे खुशबू भी आई और फिर उन्होंने इसे पी भी लिया। जिसके बाद चाय उनके पेय पदार्थ में शामिल हो गई।
चाय की पत्तियों को लेकर गजब की है कांस्पीरेसी थ्योरी
भारत में चाय के उत्पादन को लेकर गजब की कांस्पीरेसी थ्योरी है। कहा जाता है कि ब्रितानिया हुकूमत में चाय के पौधों को चीन से चुरा कर पहली बार दार्जिलिंग और असम की पहाड़ियों में लगाई थी। जिसके बाद से 19वीं सदी के अंत में इसका उत्पादन शुरू किया गया और इसके बागान लगाए जाने लगे। कहानी तो यह भी है कि पहले लोग चाय का उपयोग एक सब्जी पकाने में भी कर रहे थे और लहसुन के साथ चाय की पत्तियों को मिलाकर इसका इस्तेमाल किया जाता था।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पानी के बाद दूसरा सबसे ज्यादा पिया जाने वाला दूसरा पेय पदार्थ है। आपकी जानकार हैरानी होगी कि चाय में एक ‘एल-थेनाइन’ नाम का इंग्रेडिएंट होता है, जो आपके ब्रेन पॉवर को बढ़ाने में मदद करता है, स्ट्रेस कम करता है, बुद्धि विकास करता है और आपको कुछ देर तक नींद नहीं लगने देता।