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तकनीकी कारणों के चलते नहीं आया कोई शेर हॉलीहॉज के तिलिस्म तले कई कांग्रेसियों के अरमान हुए ढ़ेर
शिमला के गलियारों से खबर सामने आ रही है कि हार का खुन्नस खा कर भाजपाई शांत हो गए हैं। तकनीकी कारणों से ना तो दिल्ली से ना ही हमीरपुर से कोई शेर शिमला की गद्दी पर बैठने के लिए आ रहा है। खबर यह भी है कि अगर बीजेपी खुद अपने राजा को बदलती है तो दूसरा चेहरा खुद उनके सिपहसलारों में से होगा, जिन पर हार की जिम्मेदारी बराबर की रही है। जानकार बताते हैं कि गुजरात और हिमाचल में बड़ा सियासी फर्क है। गुजरात में विधानसभा चुनाव में हिमाचल के मुकाबले वक्त ज्यादा है। वहीं, गुजरात में कांग्रेस कमजोर है। जबकि हिमाचल के हालात बिलकुल जुदा हैं। हिमाचल में कांग्रेस ने बीजेपी को चारों खाने चित किया है। अगर बीजेपी ने विधानसभा चुनाव से पहले चेहरा बदलने की हिमाकत की तो कांग्रेस हाथ धो के पीछे पड़ जाएगी। और पीढ़ी परिवर्तन का पूरा नेरेटिव धड़ा का धड़ा रह जाएगा। वहीं, विधानसभा चुनाव को 11 महीने बाकी रह गए हैं, ऐसे में चुनाव आयोग उपचुनाव नहीं करवा सकता है। अगर बीजेपी ने चेहरा बदला तो वह बचे 43 विधायकों में से कोई होगा। फिलवक्त जयराम के मुकाबले बीजेपी विधायक दल में उस कद का कोई नेता दिख नहीं रहा है। वहीं, अगर टॉप टू बॉटम चेहरे में ओर फेर हुआ था, तो संगठन सहित कार्डर भी बिदक जाएगा, यह डर दिल्ली को भलिभांति सता रहा है। जबकि, 2022 के लिए कांग्रेस के हाल जुदा हैं।