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एक जासूस जो दुश्मन देश का बनने वाला था उपरक्षा मंत्री, यहां पढ़ें पूरी स्टोरी
Last Updated on January 25, 2022 by sintu kumar
आपने रॉ (RAW), आईएसआई या सीआईए (CIA) जैसी जासूसी एजेंसियों के बारे में सुना और पढ़ा भी होगा। आजकल इजराइल (Israel) की मोसाद जासूस एंजेसी का नाम सबसे ऊपर लिया जाता है। इस एजेंसी ने ऐसे-ऐसे काम कई हैं कि सीआईए अमेरिका (America) की जासूस एजेंसी भी हैरान रह गई थी। आज दुनिया के हर देश में मोसाद (Mosad) के एजेंट हैं, लेकिन अब कोई भी एली कोहेन जैसा नहीं हो सकता है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इनकी स्टोरी है ही ऐसी। एली कोहेन एक ऐसे एजेंट (Agent) थे, जिनके कारण ही इज़राइल गोलन हाईट (Golan Height) जीतने में सफल हुआ था। इतना ही नहीं, एली कोहेन एक समय सीरीया के उपरक्षा मंत्री (Deputy Defense Minister) तक बनने वाले थे, लेकिन फिर उनका राज खुल गया और वो उन्हें फांसी की सजा दे दी गईण।
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मिस्र के एलेग्जेंड्रिया में हुआ था जन्म
एलीयाहू (एली) कोहेन का जन्म मिस्र के एलेग्जेंड्रिया में एक यहूदी परिवार में 1924 में हुआ था। एली कोहेन (Eli Kohne) के पिता साल 1914 में ही सीरिया के एलेप्पो से आकर मिस्र में बस गए थे। एली कोहेन जब वयस्क थे, तब वो मिस्र (Egypt) के भीतर मिस्र के अन्य यहूदियों की गुप्त रूप से सहायता करने के में काम कर रहे थे। जब साल 1948 में इजरायल बना तो मिस्र के कई यहूदी (Jewish) परिवार वहां से निकलने लगे और इजरायल जाकर बसने लगे। एली कोहेन का परिवार भी इजरायल चला गया, लेकिन वो वहीं रुक गए। उन्होंने अपनी इलेक्ट्रॉनिक्स की पढा़ई पूरी की। एली कोहेन अरबी, अंग्रेजी (English) और फ्रांसीसी भाषा पर अच्छी पकड़ रखते थे और इसके कारण ही वो इजराइली खुफिया विभाग की नजर में आए। एली कोहेन ने शुरूआत में मिस्त्र में इजराइली खुफिया विभाग के लिए काम किया, लेकिन साल 1954 में मिस्त्र में इसका भांडा फोड़ हुआ और सरकार ने इसको डिसमेंटल किया।
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एली कोहेन 1956 के स्वेज संकट के बाद इजरायल आए थे। वो इजरायल की सैन्य खुफिया जानकारी में स्वेच्छा से जाने के लिए शामिल हुए, लेकिन उन्हें नहीं लिया गया। हालांकि, साल 1960 में जब सीरिया (Syria) के साथ एक इजरायल के रिश्ते तेजी से बिगड़े और सीमा पर तनाव बढ़ता चला गया। इज़राइली खुफिया ने कोहेन की भर्ती की और उन्हें 6 महीने तक उन्हें ट्रेन किया गया। इसके बाद उन्हें कामिन अमीन ताबेत का नया नाम देकर अर्जेंटीना (Argentina) के ब्यूनस आयर्स में सीरियाई प्रवासी समुदाय के बीच भेज दिया गया।
दक्षिण अमेरिका (South America) में कोहेन एक धनी व्यापारी के रूप में गए थे। वह सीरिया के समुदाय के कई प्रभावशाली सदस्यों के साथ दोस्ती करने में सफल रहे और इसके बाद वो 1962 में दमिश्क में जाकर बस गए। दमिश्क में कोहेन हाई प्रोफाइल जीवन जीने लगे और वो अपने घरों पर पार्टियां देने लगेए जिसमें सीरियाई सेना (Army) के कई बड़े अधिकारी भाग लेते थे और इस दौरन वो उनसे जानकारियां जुटाते थे और वो कई माध्यमों से इजरायल की खुफिया एजेंसियों को यह जानकारी उपलब्ध कराते थे। एली कोहेन किस कदर तक सीरिया के सिस्टम में घुस चुके थे, इसका अंजादा इसी बात से लगा सकते हैं कि वो अमीन अल.हफ़्ज़ जो सीरिया के राष्ट्रपति (President) बने उसने साथ कोहेन की दोस्ती थी और कहा जाता है कि अमीन अल.हफ़्ज़ के राष्ट्रपति बनने में कोहेन ने उनकी मदद की थी।
हालांकि, साल 1964 में कोहेन की पत्नी तीसरे बच्चे को जन्म देने वाली थी और इसके लिए कोहेन इजरायल गए थे। इतना ही नहीं, उन्होंने संन्यास की योजना बनाई थी और वो इजरायल में बसना चाहते थे। इसका कारण था सीरियाई खुफिया कर्नल अहमद सुआदानी कोहेन को नापसंद करते थे। दूसरी तरफ मोसाद इसके लिए राजी हो गया था, लेकिन उन्होंने उन्हें आखिरी बार सीरिया भेजने के लिए सहमत किया। सीरियाई खुफिया एजेसिंया इस दौरान कई अधिकारियों के फोन टैप कर रही थी और उन पर नजर रख रही थी और इसकी जानकारी राजनेताओं को भी नहीं दी गई थी, जिसके कारण कोहेन को भी इसकी भनक नहीं लगी।
सीरिया एजेसिंयों को इसकी जानकारी लग गई थी कि ट्रांसमीटर के जरिए सूचनाएं एक सीमित समय पर इजराइल भेजी जा रही है। ऐसे में सीरिया की सुरक्षा एजेंसियों ने सोवियत रेडियोण्डिटेक्शन से इसका पता लगाया और कोहेन को रंगे हाथों पकड़ लिया। कहा जाता है कि कोहेन की गलती के कारण ही ऐसा हुआ था, क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें कभी कोई पकड़ नहीं सकता। इसके बाद कोहेन को कई यातनाएं दी गई और फिर उन्हें आखिरकार फांसी पर चढ़ा दिया गया। हालांकिए इस फांसी को टालने के लिए इजरायल ने काफी प्रयास किए और सीरिया पर दवाब बनायाए लेकिन वो अपने काम में सफल नहीं हो पाया।