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धर्म की तरह जाति भी बदली जा सकती है, क्या कहता है हमारा कानून, जानिए यहां
कुछ लोग जाति ( Caste) व्यवस्था को अच्छा नहीं मानते हैं और कुछ लोग अपनी जाति से खुश नहीं होते हैं। ऐसे में सवाल ये है कि अगर कोई व्यक्ति चाहे तो अपनी जाति बदल सकता है यानी एक जाति से दूसरी जाति में परिवर्तन कर सकता है या फिर चाहे तो अपनी जाति को त्याग सकता है यानी बिना किसी जाति के रह सकता है। तो आज हम आपको बताने की कोशिश करते हैं कि जाति बदलने को लेकर हमारा संविधान (Constitution) क्या कहता है और संविधान के हिसाब से कोई व्यक्ति अपनी जाति में बदलाव कर सकता है या नहीं। इसके साथ ही हम आपको बताएंगे कि कोई व्यक्ति चाहे तो अपनी जाति त्याग भी सकता है या नही। तो जानते हैं इन सवालों के जवाब…
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क्या है जाति
सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने अपने एक फैसले में जाति का मतलब बताया है। कोर्ट में इनसाइक्लोपीडिया अमेरिकाना के जरिए बताया, जाति एक सामाजिक वर्ग है, जो स्थिर है और इसमें हर व्यक्ति की मेंबरशिप (Membership) जन्म से मिल जाती है और जन्म के साथ ही यह तय हो जाती है। इसका मतलब है कि हर एक बच्चा अपने जन्म के साथ ही एक जाति की मेंबरशिप लेकर पैदा होता है। हर जाति के साथ ही उन्हें कुछ परंपराएं आदि का अधिकार भी मिलता है।
क्या जाति बदली जा सकती है
जानकारों का मानना है कि वैसे तो जाति बदलने को लेकर संविधान में कोई विशेष कानून (Law) नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसलों पर यह पता लगाया जा सकता है कि जाति में बदलाव किया जा सकता है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने जाति को लेकर स्पष्ट किया है कि एक व्यक्ति अपनी जाति में बदलाव नहीं कर सकता है, जबकि वो धर्म (Religion) में बदलाव कर सकता है। दरअसल, जाति एक ऐसी व्यवस्था या वर्ग है, जो आपके जन्म से संबधित है, इसलिए कहा जा सकता है कि आप अपनी जाति कभी भी नहीं बदल सकते हैं।
धर्म बदलने के बाद जाति का क्या होगाघ्
अगर मान लीजिए कोई धर्म बदल लेता है तो उसकी जाति का जवाब ये है कि यह उस व्यक्ति के नए धर्म पर निर्भर करता है। अब यह धर्म पर निर्भर करता है कि वो उस जाति को किस तरह से अपनाते हैं तो ऐसे मे कहा जा सकता है कि धर्म बदलने के बाद भी जाति नए धर्म के आधार पर होती है, लेकिन वैसे जाति को बदला नहीं जा सकता है।