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दुर्गा पूजा पर क्यों पहनती है महिलाएं लाल बार्डर वाली सफेद साड़ी
देश भर इन दिनों मां दुर्गा के नवरात्र पर्व की धूम है। नौ दिनों तक चलने वाला यह पर्व मां दुर्गा को समर्पित है, इस दौरान मां के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। वैसे तो हमारे देश के अलग -अलग राज्यों में नवरात्र का पर्व स्थानीय परंपराओं के अनुसार मनाया जाता है। लेकिन बंगाली समुदाय की दुर्गा पूजा एक अलग ही महत्व रखती है। बंगाल में दुर्गा पूजा एक अक्टूबर से शुरब हो गई है। पश्चिम बंगाल में इस पर्व पर खास झलक देखने को मिलती है। शहरों और गांवों में भव्य दुर्गा पंडाल सजाए जाते हैं। यह त्योहार महिषासुर राक्षस के पराजय और मां दुर्गा की जीत की खुशी में मनाया जाता है। इस दौरान बंगाली लोग पारम्परिक पोशाक पहनकर धुनुची नृत्य करते हैं। बंगाल में दुर्गा पूजा के दौरान होने वाले धुनुची नृत्य का बड़ा महत्व है। मान्यता है महिषासुर वध से पहले देव दुर्गा ने शक्ति बढ़ाने के लिए धुनुची नृत्य किया था। इसलिए दुर्गा पूजा के दौरान यहां धुनुची नृत्य किया जाता है।
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दुर्गा पूजा में बंगाल में महिलाएं लाल बॉर्डर वाली सफेद साड़ी पहने नजर आती हैं। रेड बॉर्डर वाली व्हाइट महिलाएं बहुत ही खूबसूरत दिखती हैं। यह साड़ी खास कपड़े की बनती है जिसे जामदानी कहते है। जामदानी साड़ी हाथ से बुन कर बनाया जाता है। यह कॉटन और सिल्क की साड़ी होती है।
बंगाल में सफेद और लाल रंग को परंपरागत रंग माना जाता है। बंगाल में शादीशूदा महिलाएं नवरात्र के समय व्हाइट और रेड कलर की साड़ी पहनना पसंद करती हैं। बंगाली महिलाएं साड़ी के साथ सिंदूर, लांल बिंदी और गोल्ड ज्वैलरी पहती हैं। बंगाली महिलाएं के इस लुक को देशभर में काफी पसंद किया जाता हैं।
दुर्गा अष्टमी के दिन बंगाली महिलाएं लाल और सफेद साड़ी पहन कर मां दुर्गा की पूजा करती हैं। दशहरे वाले दिन यही साड़ी पहनकर मां दुर्गा को सिंदूर चढ़ाकर सिंदूर खेला खेलती हैं। इस दिन सभी शादीशूदा महिलाएं एक दूसरे के सिंदूर लगाकर सिंदूर खेला खेलती हैं। मान्यता है कि इससे मां दुर्गा सुहाग की आयु लंबी करती हैं।