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कांग्रेस का ढीला प्रचार: मंजिल दूर और हर कदम पर थमी-थमी रफ्तार
कांगड़ा । औजार तभी सही तरीके से काम करता है जब उसकी धार तेज हो। यदि धार कुंद हो तो वह औजार ठीक से काम नहीं कर पाता। फिर चाहे हमने अपने कार्य की रूपरेखा चाहे कितनी भी शिद्दत से बनाई हो, उसमें या तो सफलता मिलती नहीं या फिर मिलती भी है तो आंशिक मिलती है। यही बात हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पर लागू होती दिख रही है। कांग्रेस (Congress) अपने प्रचार को उस धूरी तक नहीं पहुंचा पाई, जिस पर अक्सर पहुंचना चाहिए था। जब पता है कि टक्कर बीजेपी जैसी मजबूत पार्टी से है। केंद्र में भी बीजेपी (BJP) है और प्रदेश में भी। ऐसे में कांग्रेस की कमर ऐसी कसी होनी चाहिए थी, कि उसे पानी पीने तक का समय नहीं होना चाहिए था। मगर प्रचार और प्रसार में जिस कद्र सुस्ती देखी जा रही है, उससे लगता है कि कांग्रेस या तो हताश है और या फिर उसकी रणनीति में कमी है। दूसरी ओर हमेशा से मुद्दों को भुनाने और अवसर उठाने की आदी बीजेपी कोई मौका नहीं छोड़ रही है। हर गली-कूचे में उसका प्रचार अभियान फुल स्विंग पर है।
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देश का सर्वोच्च पद यानी कि स्वयं पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) भी कई बार चक्कर लगा चुके हैं। कई रैलियां कर चुके हैं। इसी फेहरिस्त में रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और केंद्रीय मंत्री (Defense Minister,Home Minister and Union Minister) कमर कस कर डटे हुए हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तो यहीं डेरा जमाया हुआ है। हालांकि जिसके लिए वे प्रचार कर रहे हैं यानी कि सीएम जयराम ठाकुर वह इतने सक्रिय नहीं दिखे, जितना पूरा केंद्र उनका साथ दे रहा है। दूसरी ओर कांग्रेस का कोई भी आला नेता इस अवसर को सही ढंग से नहीं भुना सका। कुछ दिन पहले सोनिया गांधी आई थीं वो भी शायद प्रचार को धार नहीं दे सकी। कुछ रैलियों में प्रियंका गांधी ने जरूर अलख जगाई है, मगर वह भी प्रचार अभियान को उतनी धार नहीं दे सकी, जितनी देनी चाहिए थी।
महज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इतिश्री कर लेना काफी नहीं, मंजिल पानी है तो चलना पड़ेगा लगातार
राजस्थान कांग्रेस के दिग्गज नेता सचिन पायलट जरूर दिन में एक आध रैली कर धार देने की चेष्टा कर रहे हैं। मगर ज्यादातर नेता कुछ घंटों का प्रचार कर वापस लौट रहे हैं। पंजाब से भी कुछ आला नेता प्रचार करने के लिए आए जिनमें खन्ना से पूर्व विधायक गुरकीरत सिंह कोटली (Gurkeerat Singh Kotli) , पूर्व ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर राजा वडिंग सिंह (Raja Wadding Singh) आदि के नाम शामिल हैं। इसमें निरंतर सक्रिय कोई दिखा है तो वह हैं अलका लांबा। उन्होंने यहीं डेरा जमा रखा है और लगातार कांग्रेस को धार देने की कोशिश कर रही हैं। छिटपुट प्रेस कॉन्फ्रेंस सुप्रिया श्रीनेत ने भी की हैं। मगर बात यहां यह है कि महज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बात नहीं बनने वाली। प्रेस कॉन्फ्रेंस से कुंद धार को तेज नहीं किया जा सकता। जब हथियार की धार कुंद हो जाए तो कभी-कभी उसे तेज करने के लिए मिस्त्री की भी जरूरत पड़ती है। अगर मिस्त्री ही सुस्ती दिखाए तो उस हथियार का फिर अल्लाह राखा है। अभी हाल ही में चुनाव जीत कर मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) को राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था। उनके अध्यक्ष बनने से कांग्रेस के पुनर्जीवित होने के संकेत मिले थे। ऐसा लगा था कि मुरझाई हुई कांग्रेस में शायद अब नई कोंपलें फूटें मगर उन्होंने भी अब हिमाचल का रुख किया है। मगर अब चुनाव को आखिर दिन ही कितने रहे हैं।
स्टार प्रचारकों की लिस्ट तो समय पर जारी कर दी, मगर दिखा नहीं प्रचार
कांग्रेस ने अपने स्टार प्रचारकों की लिस्ट तो जारी कर दी थी, मगर ना तो प्रचारक दिखे ना ही प्रचार। अगर हिमाचल कांग्रेस (Himachal Congress) की बात को उठाता हुआ कोई दिख रहा है तो या तो यदा-कदा सांसद प्रतिभा सिंह (MP Pratibha Singh या फिर मुकेश अग्निहोत्री। मलाल यह है कि कांग्रेस के प्रादेशिक नेता भी चुप ही बैठे हुए हैं और शायद ना किस पल का इंतजार कर रहे हैं। अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। संगठन है तो संगठन की तरह काम करना ही होगा। वहीं प्रियंका गांधी की बात करें तो शायद प्रियंका गांधी ने एक-एक रैली ही की है। मगर कुछ स्टार प्रचारक बाहर ही निकल रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि प्रदेश में कांग्रेस का प्रचार अभियान पूरी तरह प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री और चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) पर निर्भर हो गया है। राष्ट्रीय अध्यक्ष समेत दूसरे बड़े नेताओं के नहीं आने से कांग्रेस के प्रचार को धार नहीं मिल पा रही है। वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं में से चुनाव पर्यवेक्षक सचिन पायलट जरूर प्रचार में जान फूंक रहे हैं। दूसरे बड़े नेता राष्ट्रीय प्रियंका गांधी की रैली के दौरान जरूर फील्ड में नजर आते हैं। विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद पीएम नरेंद्र मोदी तीन दिन पहले सुंदरनगर और सोलन में एक ही दिन में दो बड़ी जनसभाएं कर चुके हैं। वहीं कांग्रेस की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी दो से तीन दिन आराम करने के बाद एक दिन में 1-1 रैली कर रही हैं, जबकि सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और राहुल गांधी के नहीं आने से प्रदेश में प्रियंका गांधी की रैलियों की कांग्रेस नेता बहुत ज्यादा मांग करते रहे हैं।