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राहतः लगातार 18 महीने बाद थोक महंगाई में दर्ज की गई गिरावट
राहत की बात है कि लगातार 18 महीनों के बाद अक्टूबर महीने में थोक महंगाई (wholesale inflation) की दर में गिरावट देखने को मिली है। इस संबंध में सोमवार को जो आंकड़े जारी हुए हैं उनके अनुसार होलसेल प्राइस बेस्ड इन्फ्लेशन (Wholesale Price Based Inflation) (डब्ल्यूपीआई) 8.39 प्रतिशत पर आ गई है। वहीं सितंबर महीने में यह 10.70 प्रतिशत, अगस्त महीने में 12.41 प्रतिशत और जुलाई में यह 13.93 प्रतिशत पर थी। वहीं पिछले साल डब्ल्यूपीआई (WPI) 13.83 प्रतिशत रही थी। लगातार 18 महीने तक डब्ल्यूपीआई डबल डिजिट (Double Digit) पर रही। राहत की बात अब यह है कि अब 19वें माह में यह सिंगल डिजिट पर आ गई है। बताया जा रहा है कि मार्च 2021 के बाद पहली डब्ल्यूपीआई सबसे कम हुई है। मार्च 2021 में डब्ल्यूपीआई 7.89 प्रतिशत पर थी।
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इसको कमोडिटी (commodity) की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है। यदि आंकड़ों पर गौर करें तो अक्टूबर महीने में फूड इन्फ्लेशन 6.48 प्रतिशत पर पहुंच गया जो सितंबर महीने 8.80 प्रतिशत था। वहीं सब्जियों की महंगाई 39.66 प्रतिशत से घटकर 17.61 प्रतिशत हो गई है। इसके साथ ही आलू की महंगाई 49.79 प्रतिशत से घटकर 44.97 प्रतिशत पर आ गई है। इसके अतिरिक्त अंडे, मीट और मछली महंगाई (Egg, meat and fish inflation) बढ़कर 3.63 प्रतिशत से बढ़कर 3.97 प्रतिशत हो गई है।
वहीं प्याज की महंगाई 20.96 प्रतिशत से घटकर 30.02 प्रतिशत पर आ गई है। इसी तरह फ्यूल और पावर इंडेक्स जिसमें एलपीजी पेट्रोलियम और डीजल जैसे आइटम शामिल हैं, इनकी महंगाई 32.61% से घटकर 23.17% हो गई है। थोक महंगाई का लंबे समय तक बढ़े रहना एक बहुत बड़ी चिंता होती है। यह प्रोडेक्टिव सेक्टर को प्रभावित करती है। यदि वस्तुओं का थोक मूल्य ज्यादा समय तक उच्च बना रहता है तो प्रोड्यूसर इसे कंज्यूमर्स को पास कर देते हैं। वहीं सरकार केवल टैक्स के माध्यम से ही डब्ल्यूपीआई को कंट्रोल कर सकती है। जैसे कच्चे तेल में बढ़ोतरी होने पर सरकार ने ईंधन पर एक्साइज ड्यूटी की कटौती की थी। लगातार 18 माह बाद थोक महंगाई में गिरावट दर्ज की गई है। पिछले 18 महीनों से यह डबल डिजिट पर चल रही थी, जोकि एक बहुत बड़ी चिंता थी। थोक महंगाई बने रहने से आम आदमी के जीवन पर प्रभाव पड़ता है।