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श्रीहरि ना रुकवाते शिव तांडव तो नष्ट हो जाती सारी सृष्टि
वैसे तो भोलेनाथ के कई नाम हैं पर शिव भोलेनाथ (Lord Shiva) को महाकाल भी कहा जाता है। इसका अर्थ यह हुआ कि भोलेनाथ (Bholenath)सृष्टि को नष्ट करने की क्षमता रखते हैं। भगवान शिव और माता पार्वती प्रेम त्याग और समर्पण का प्रतीक हैं। जब माता पार्वती सती हो गई तो भोलेनाथ वियोग में चले गए। इस पर शिव क्रोधित होकर इस धरती पर तांडव करने लगे। इस कारण समस्त धरती पर संकट खड़ा हो गया। भगवान श्रीहरि ने तब विनाश को रोका था। वहीं जहां-जहां सती के शरीर के टुकड़े गिरे वहीं-वहीं शक्तिपीठ स्थापित हो गए। शिव और पार्वती (Parvati) के विवाह के पश्चात उनके जीवन में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव आए।
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जब प्रजापति दक्ष की पुत्री माता सती ने अपने पिता की इच्छा के विपरीत भगवान शिव से विवाह रचाया था। यही कारण था प्रजापति दक्ष पार्वती से नाराज रहने लगे। एक बार प्रजापति दक्ष ने एक विराट यज्ञ करवाया जिसमें शिव भोलेनाथ को आमंत्रित नहीं किया। वहीं पार्वती वहां बिना बुलाए ही पहुंच गई। इस पर दक्ष प्रजापति क्रोधित हो गए और शिव के बारे में अपमान भरे शब्द कहने लगे। इस पर माता पार्वती क्रोधित हो गई और यज्ञ में कूदकर अपने प्राण दे दिए। जब इस बात का पता शिव भोलेनाथ को चला तो वह क्रोधित हो उठे। वह माता सती की देह को लेकर तांडव करने लगे। इस पर तीन लोक संकट में आ गए। सभी देवता भी बेचैन हो उठे। वे ब्रह्मा के पास पहुंच गए। तब ब्रह्मा ने इसका समाधान श्रीहरि (Sri Hari) के पास बताया। तब श्रीहरि ने सती के मृत शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से भस्म कर दिया इससे धरती पर अलग-अलग स्थानों पर सती की देह के टुकड़े बिखर गए जिन को शक्ति पीठ के रूप में जाना जाता है।