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भारत में महंगा होगा पेट्रोल, फिक्स हो सकती हैं रूसी क्रूड आयल की कीमतें
Last Updated on November 24, 2022 by Vishal Rana
रूस-यूक्रेन (Russia-Ukraine) देश में युद्ध के बीच पश्चिमी देशों ने प्रतिबंधों की मार से बचने के लिए रूस से सस्ते दाम पर कच्चा तेल बेचने का तरीका खोज निकाला। इसका भारत, चीन (India, China) जैसे देशों को फायदा हुआ। मगर इस व्यवस्था पर भी संकट आने वाला है। एक खबर के अनुसार अब यूरोपियन यूनियन के देशों ने रूसी कच्चे तेल की कीमत पर 65 से 70 डॉलर प्रति बैरल फिक्स करने का मन बनाया है। यह रूस में कच्चे तेल की लागत से काफी अधिक है। इतनी ऊंची कीमत (high price) फिक्स करने पर रूस के कच्चे तेल के व्यापार को नुकसान हो सकता है। रूस अभी भारी डिस्काउंट पर कच्चा तेल बेच रहा है। सूत्रों के अनुसार सबसे पहले रूसी कच्चे तेल के लिए 65-70 डॉलर प्रति बैरल की प्राइस जी-7 देश कर सकते हैं।
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वहीं इस संबंध में ईयू के कई देश यह मानकर चल रहे हैं कि रूस के यूक्रेन पर आक्रमण करने से पहले औसत कीमत के बराबर है। ये मौजूदा परिस्थितियों के हिसाब से काफी ज्यादा हैण् इस संबंध मे यूरोपीय यूनियन के राजदूतों की एक बैठक बुधवार को हुई। प्राइस कैप लागू हो जाने के बाद अगर कंपनियां इससे कम कीमत पर कच्चा तेल खरीदती हैं तो उन्हें शिपिंग बीमा और वित्तीय सहायता नहीं दी जाएगी। इसी के साथ कई और सुविधाओं के वंचित कर दिया जाएगा और कच्चे तेल के व्यापार का जोखिम बढ़ जाएगा। यूक्रेन युद्ध के बाद से ही भारत (India) बड़ी मात्रा में रूस से तेल खरीद रहा हैण् उसे ये तेल भारी छूट पर मिल रहा हैण् तभी तो पश्चिमी देशों के कड़े मिजाज के बावजूद दोनों देशों के बीच तेल का व्यापार जारी हैण् ऐसे में माना जा रहा है कि रूसी तेल पर प्राइस कैप का असर भारत पर भी पड़ेगा। हालांकि अगर प्राइस कैप 65 से 70 डॉलर के बीच रहता है तो भारत के लिए यह वर्तमान जैसी ही स्थिति होगी क्योंकि भारत को रूस से कच्चा तेल अभी इसी कीमत के आस.पास मिल रहा है।