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रोडवेज वाली बस को इस देश ने बना दिया ट्रेन, अब दौड़ रही हैं ट्रैक पर
नई दिल्ली। भारत से तोहफे में मिली बसों को हमारे ही एक पड़ोसी देश ने ट्रेन की तरह इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। इन बस नुमा ट्रेनों (Rail Bus) को उन रूट्स पर दौड़ाया जा रहा है, जहां ट्रैफिक (Traffic) कम होता है। रेलवे को घाटा होता है, इसलिए दो या तीन डिब्बों की रेल चलाई जाती है। यह नायाब तरीका ढूंढने वाला देश श्रीलंका है। श्रीलंका (SriLanka) में कुछ ऐसे रूट्स हैं जहां पर रेल यात्रियों की संख्या काफी कम होती है। यहां ट्रेन पर अनावश्यक पैसा खर्च करने की जगह बसों को ही ट्रैक पर दौड़ाया जाता है।
इस तरह की होती है रेल बस
रेल बस में बाकी सब बस जैसा ही है लेकिन ड्राइवर की स्टीयरिंग हटा दी गई है। सबसे बड़ा बदलाव यह है कि इसके पहियों को बदलकर ट्रेन के पहिये लगा दिए गए हैं। 2 बसों को मिलाकर 1 रेलबस बनाई जाती है। बस के दोनों ओर ड्राइवर कैबिन होते हैं। ठीक उसी तरह से जैसे दिल्ली मेट्रो (Delhi Metro) में होते हैं। भारत और श्रीलंका सहयोगी देश हैं। भारत ने हमेशा श्रीलंका की मदद को आगे आता है। यातायात की सुविधा को बढ़ाने के लिए भारत अपने इस खूबसूरत पड़ोसी देश की मदद करता है। हाल में भारत ने श्रीलंका को 75 बसें गिफ्ट की थी। 2009 में रेल बस प्रोजेक्ट के लिए ही 10 बसें गिफ्ट की थी। इन्हें मोडिफाई करके श्रीलंका ने 5 रेलबसों में तब्दील कर दिया। यह 10 बसें अशोक लीलैंड ने सप्लाई की थीं। श्रीलंका में रेलबस की शुरुआत 1995 में हुई थी। तब टाटा की 2 बसों को मिलाकर एक रेलबस बनाई गई थी।
किन रूट्स पर होता है परिचालन
फिलहाल रेल बस का परिचालन निम्नलिखित रूट्स पर होता है। चिलाव से पुट्टालम, बाटीकालोआ से गलोया, त्रिंकोमाली से गलोया, अनुराधापुरा से मेदावाछिया, कुरुनेगला, महावा, पेरेडनिया से कैंडी और महारगामा से कोसागामा। अगर आप कभी श्रीलंका के टूर पर जाएं तो इन रूट्स पर रेलबस का आनंद ले सकते हैं। अमूमन इन रूट्स पर भीड़ कम होती है। रेलबस घने जंगलों और खेत-खलिहानों के बीच से होकर निकलती है। किराये के संबंध में आपको स्टेशन से बेहतर जानकारी मिल पाएगी।