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बीजेपी के संजय बोले- आउटसोर्स कर्मियों के लिए सीएम सुक्खू की टिप्पणी दुर्भाग्यपूर्ण
धर्मशाला। सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के द्वारा आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए जो टिप्पणी की गई है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत जो कर्मचारी आउटसोर्स के तहत कार्य कर रहे थे, उनमें से तीन कर्मचारियों को कंपनी द्वारा इसलिए हटा दिया गया कि उन्होंने प्रदेश की स्वास्थ्य सचिव के घर में काम करने से मना कर दिया क्योंकि वह उनके काम के दायरे में नहीं था । उनमें से भी एक महिला जो शिमला के दूर दराज क्षेत्र से आई थी और शारीरिक तौर पर स्वस्थ भी नहीं थी उसको भी अधिकारी के कहने के ऊपर नौकरी से निकाल दिया गया। यह बात बीजेपी के सह मीडिया प्रभारी संजय शर्मा ने कही। उन्होंने कहा कि मामला सामने आने के बाद सीएम अधिकारी के ऊपर कोई कार्रवाई करते, उन्होंने तो अधिकारी को ही संरक्षण देना अपना कर्तव्य समझ लिया जबकि सरकार बनाने के लिए वह समर्थन तो जनता से चाहते हैं लेकिन जनता के हितों को सुरक्षित नहीं करते हैं।
अधिकारियों के दबाव में काम कर रहे सीएम
संजय शर्मा ने कहा अपने चुनावी घोषणापत्र में कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश मे एक लाख युवाओं को रोजगार देने की बात कही थी। परंतु सरकार जो युवा सरकारी नहीं तो आउट सोर्स के माध्यम से ही नौकरी कर रहे थे, उनके भी हितों को सुरक्षित नहीं रख पा रही है।सीएम को इस बात का जवाब देना चाहिए कि जो युवा आउट सोर्स के माध्यम से कहीं भी और किसी भी विभाग में नौकरी कर रहे हैं क्या वह हिमाचली नहीं है ? क्या उनके हितों को सुरक्षित करना सरकार का कर्तव्य नहीं है? क्या आउटसोर्स के लिए प्रदेश के अंदर सरकार को एक ठोस नीति नहीं बननी चाहिए ? उन्होंने कहा कि जब सरकार युवाओं को रोजगार देने में असफल है तो उनके पास शिवाय आउटसोर्स के माध्यम से निजी कंपनियों में नौकरी करने के इलावा और क्या चारा है ।क्या इस सरकार के अधिकारी इतने शक्तिशाली हो गए हैं कि सीएम भी उनके दबाव में जाकर कम कर रहे हैं और युवाओं के हितों की रक्षा सीएम नहीं कर पा रहे हैं।
टांडा मेडिकल कॉलेज में भर्ती आउटसोर्स कर्मियों को नहीं मिल रहा वेतन
संजय शर्मा ने कहा किसरकारी कर्मचारियों द्वारा अधिकारियों के घरों के अंदर निजी कार्य करने का यह कोई पहला मामला नहीं है, ऐसे कई विभागों में कई अधिकारी हैं जो इसी तरह से युवाओं का और कर्मचारियों का उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर के शोषण कर रहे हैं। सरकार को ऐसी बातों का कड़ा संज्ञान लेना चाहिए ताकि भविष्य के अंदर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के दौरान टांडा मेडिकल कॉलेज में भर्ती आउटसोर्स कर्मचारियों को पिछले 5 महीने से वेतन नहीं मिल रहा है लेकिन सरकार मूकदर्शक बन करके बैठी है और उनके हितों की रक्षा करने वाला कोई नहीं है। अन्य भी कई विभाग हैं यहां कई कई महीनों से आउटसोर्स कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है लेकिन सरकार ऐसी कंपनियों के ऊपर कोई एक्शन नहीं ले रही है। सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी ऐसी क्या मजबूरी है कि वह प्रदेश के युवाओं के हितों की रक्षा नहीं कर पा रही है।
जहां मुख्यमंत्री को आउट सोर्स कर्मचारियों के हितों की रक्षा करनी चाहिए। अपनी इस टिप्पणी के लिए मुख्यमंत्री को युवाओं से माफी मांगी चाहिए।
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